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Climate Change: जलवायु संकट पर कॉप30 के अध्यक्ष की चेतावनी; कहा- तत्काल काम करना जरूरी वरना देर हो जाएगी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Mon, 01 Sep 2025 04:03 PM IST
सार

कॉप30 अध्यक्ष डो लागो ने चेतावनी दी है कि सहयोग के बिना दुनिया जलवायु संकट से निपटने का वक्त गंवा रही है। उन्होंने अमीर और गरीब देशों के बीच खाई पाटने पर जोर दिया और ट्रंप की नीतियों की आलोचना की। भारत और ब्राजील के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि अब जलवायु परिवर्तन सिर्फ पर्यावरण नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और रोजगार का मुद्दा बन चुका है।

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Climate Change crisis COP30 President warning say necessary work immediately mark trump for not co operating
जलवायु परिवर्तन(सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : फ्रीपिक
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विस्तार
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दुनिया जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने में तेजी नहीं लाई तो वक्त हाथ से निकल जाएगा। यह चेतावनी कॉप30 के अध्यक्ष आंद्रे कोर्रेआ डो लागो ने दी है। उन्होंने कहा कि विकसित और विकासशील देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक खाई को जल्द पाटना जरूरी है, नहीं तो वैश्विक प्रयास कमजोर हो जाएंगे।
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उन्होंने साफ कहा कि जलवायु परिवर्तन पर बातचीत हमेशा से विकसित और विकासशील देशों के बीच खींचतान में फंसी रही है। अमीर देश चाहते हैं कि गरीब देश भी उत्सर्जन घटाने का वादा करें, जबकि गरीब देश चाहते हैं कि अमीर देश उन्हें स्वच्छ विकास के लिए संसाधन मुहैया कराएं। यही टकराव सबसे बड़ी चुनौती है।
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ट्रंप की आलोचना भी हुई आलोचना
डो लागो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि ट्रंप जलवायु वार्ता में दिलचस्पी नहीं लेते और खासतौर पर देशों के उत्सर्जन पर चर्चा से बचते हैं। ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस समझौते से बाहर कर दिया है। यह दूसरा मौका है जब उन्होंने ऐसा किया। पहले कार्यकाल में भी उन्होंने यही कदम उठाया था, हालांकि बाइडेन सरकार में अमेरिका फिर से शामिल हुआ था।

ये बहस करने का समय नहीं- डो लागो 
कॉप30 अध्यक्ष का कहना है कि अब बहस करने का समय नहीं, बल्कि काम करने का समय है। उन्होंने कहा कि हमें सही साबित होने की बजाय जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए व्यावहारिक और त्वरित कदम उठाने होंगे। इसमें स्वच्छ विकास, नई नौकरियां और लोगों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने का लक्ष्य होना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि अब यह सिर्फ पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था, निवेश और रोजगार का मामला है। जलवायु परिवर्तन पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है और आने वाले समय में हमारी अधिकांश गतिविधियों में बड़े बदलाव की जरूरत होगी।

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विकसित और विकासशील देशों के बीच खाई
कॉप30 अध्यक्ष ने कहा कि जलवायु वार्ता की सबसे बड़ी समस्या यही रही है कि विकासशील देशों को अमीर देशों से मदद की जरूरत है। गरीब देश साफ-सुथरे विकास के लिए तकनीक और फंड चाहते हैं। वहीं अमीर देश उनसे केवल प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन संसाधन देने से कतराते हैं। यही कारण है कि समझौते आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

डो लागो ने कहा कि वैज्ञानिक लगातार बता रहे हैं कि हमारे पास बहुत कम समय है। अगर सहयोग नहीं हुआ तो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि जलवायु संकट के समाधान के लिए आर्थिक ढांचा और निवेश की नई दिशा चाहिए।

भारत और ब्राजील की सराहना
उन्होंने भारत और ब्राजील के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि साओ पाउलो ने बायोफ्यूल की मदद से वायु प्रदूषण में बड़ी कमी की है। भारत भी ऐसे कदम उठा रहा है। हालांकि उन्होंने माना कि ये समाधान महंगे हैं और इन्हें सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है।

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कॉप30 की सीईओ आना टोनी ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण स्वास्थ्य और जलवायु दोनों लक्ष्यों को जोड़ने का मौका देता है। उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता सुधारने और मीथेन उत्सर्जन कम करने पर खास ध्यान देना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि विकासशील देशों में स्वच्छ परिवहन गरीबी घटाने, बच्चों की सेहत बचाने और उत्सर्जन घटाने का असरदार तरीका बन सकता है।

कॉप30 नवंबर 2025 में ब्राजील के बेलेम में आयोजित होगा। यह पहली बार होगा जब अमेजन क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र का जलवायु शिखर सम्मेलन होगा। इसमें करीब 200 देशों के नेता और वार्ताकार पेरिस समझौते की प्रगति की समीक्षा करेंगे और उत्सर्जन घटाने व स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए नए व मजबूत वादे करेंगे।

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