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Climate: आपदा प्रभावित देशों की सूची में 9वें नंबर पर भारत; पिछले 30 वर्षों में 80,000 मौतें, 1.3 अरब प्रभावित

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 12 Nov 2025 07:50 AM IST
सार

Climate Disasters In India: पिछले तीन दशकों में जलवायु आपदाओं से सर्वाधिक प्रभावित देशों में भारत नौवें स्थान पर है, जहां लगभग 430 बार प्राकृतिक रूप से असहनीय मौसमी घटनाओं के कारण 80,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है। वहीं इसके कारण करीब 1.3 अरब लोग प्रभावित भी हुए हैं। पढ़ें, भारत में आपदाओं की सूची...

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Climate disasters killed 80,000, hit 1.3 billion in India since 1995: Report, News Hindi
भारत में जलवायु आपदाओं से तीन दशक में 80 हजार मौतें - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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भारत दुनिया के उन दस देशों में शामिल है, जो बीते तीन दशकों में जलवायु आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवॉच की नई रिपोर्ट क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (सीआरआई) 2026 के मुताबिक, 1995 से 2024 के बीच भारत में करीब 430 मौकों पर प्राकृतिक रूप से असहनीय मौसम की घटनाओं ने 80 हजार से अधिक लोगों की जान ली और 1.3 अरब से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया।
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आपदाओं से भारत को 14 लाख करोड़ का नुकसान
इन आपदाओं से भारत को लगभग 170 अरब डॉलर (करीब 14 लाख करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान हुआ है। यह रिपोर्ट ब्राजील के बेलेम शहर में आयोजित कॉप 30 सम्मेलन में मंगलवार को जारी की गई। इसमें कहा गया कि भारत में लगातार बढ़ती बाढ़, चक्रवात, सूखा और भीषण गर्मी जैसी घटनाएं जलवायु परिवर्तन के गंभीर असर को रेखांकित करती हैं। 

लगातार आपदाएं, घटते विकास के लाभ
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की स्थिति लगातार खतरे जैसी है, यानी ये घटनाएं अब अलग-अलग नहीं, बल्कि बार-बार दोहराई जा रही हैं। इससे विकास की उपलब्धियों पर असर पड़ रहा है और करोड़ों लोगों की आजीविका खतरे में है। भारत की विशाल जनसंख्या और मानसूनी पैटर्न पर निर्भरता इसे खास तौर पर संवेदनशील बनाती है। रिपोर्ट बताती है कि हर साल करोड़ों लोग किसी न किसी रूप में भीषण मौसम की चपेट में आते हैं।

2024 में भारी बारिश-बाढ़ से 80 लाख लोग प्रभावित
साल 2024 में अकेले भारी मानसूनी बारिश और अचानक आई बाढ़ों ने गुजरात, महाराष्ट्र और त्रिपुरा में करीब 80 लाख लोगों को प्रभावित किया। पिछले वर्ष दुनियाभर में सबसे ज्यादा नुकसान बाढ़ और तूफानों से हुआ, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाया।

भारत में आपदाओं की लंबी सूची
रिपोर्ट में भारत की कई विनाशकारी घटनाओं का जिक्र किया गया है। इसमें साल 1998 का गुजरात में आया चक्रवात, 1999 का ओडिशा का सुपर चक्रवात, साल 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ और हाल के वर्षों की घातक हीट वेव शामिल हैं। इन सभी घटनाओं ने भारत की जलवायु जोखिम रैंकिंग को ऊंचा किया है।

जलवायु आपदाओं की वैश्विक स्थिति
साल 1995 से 2024 के बीच दुनिया में 9,700 से अधिक बार मौसम के कारण हुई घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 8.3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 5.7 अरब लोग प्रभावित हुए। कुल आर्थिक नुकसान 4.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक आंका गया है।

जलवायु आपदा से प्रभावित शीर्ष 10 देश
इस सूची में पहले नंबर पर डोमिनिका, फिर म्यांमार, होंडुरास, लीबिया, हैती, ग्रेनेडा, फिलीपींस, निकारागुआ, भारत और बहामास शामिल हैं।

गरीब देशों पर सबसे ज्यादा असर
इस रिपोर्ट में कहा गया कि विकासशील देश अब भी जलवायु आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं क्योंकि उनके पास अनुकूलन और पुनर्वास के लिए सीमित संसाधन हैं। जर्मनवॉच ने कहा कि 2024 में एल नीनो की स्थिति ने मौसम को और असामान्य बनाया, लेकिन असली वजह मानवजनित जलवायु परिवर्तन ही रहा जिसने हीटवेव, तूफान और बाढ़ों की तीव्रता बढ़ाई।

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'नया सामान्य' बन चुकी हैं आपदाएं
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि बार-बार आने वाली ये आपदाएं अब 'नई सामान्य स्थिति' बनती जा रही हैं। इससे गरीब और विकासशील देशों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है और गरीबी बढ़ने का खतराहै।

वैश्विक नेताओं से अपील
जर्मनवॉच ने कहा कि इस रिपोर्ट को कॉप30 में मौजूद वैश्विक नेताओं को जलवायु वित्त की कमी दूर करने और उत्सर्जन घटाने के प्रयास तेज करने की याद दिलाने के रूप में देखा जाना चाहिए। भारत जैसे देशों के लिए रिपोर्ट ने जलवायु अनुकूलन योजनाओं, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और संवेदनशील समुदायों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की सलाह दी है।
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