West Bengal Elections: चुनाव से पहले ममता बनर्जी का 'वक्फ' वाला दांव, कहा- किसी की जमीन छूने नहीं दूंगी
CM Mamta on Waqf Amendment Act: ममता बनर्जी ने मालदा में भाजपा पर वक्फ संशोधन कानून 2025 लाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार किसी की संपत्ति छूने नहीं देगी। राज्य में वक्फ डेटा केंद्र के पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देशों ने टीएमसी के भीतर असहजता बढ़ा दी है।
विस्तार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर भाजपा पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि यह कानून केंद्र लाया है और उनकी सरकार किसी भी हाल में लोगों की संपत्ति को छूने नहीं देगी। मालदा में सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए ममता ने इसे धर्म के नाम पर राजनीति कराने की कोशिश बताया और साफ कहा कि वह धर्म आधारित राजनीति नहीं करतीं।
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि कुछ 'सांप्रदायिक ताकतें' धर्म के नाम पर समाज में दरार डालने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन कानून भाजपा लेकर आई है और उनकी सरकार ने न केवल विधानसभा में इसका विरोध कर प्रस्ताव पारित किया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट भी गई। ममता ने जनता को आश्वस्त किया कि उनके रहते किसी की जमीन या संपत्ति पर कोई हाथ नहीं डाल सकता और राज्य सरकार किसी भी तरह के धार्मिक टकराव को बढ़ावा नहीं देगी।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य की स्थिति वक्फ कानून को लेकर एक बार फिर विवाद में आ गई है। हाल ही में राज्य सरकार ने जिलाधिकारियों को केंद्र की यूएमआईडी पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का डेटा अपलोड करने को कहा, जिससे नए सिरे से असहज स्थिति पैदा हो गई है। इस कदम को कई लोगों ने कानून की व्यवहारिक स्वीकृति बताया है। केंद्र ने 82 हजार से अधिक वक्फ संपत्तियों का पूरा विवरण 6 दिसंबर तक ऑनलाइन अपलोड करने की समय-सीमा तय की है।
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अल्पसंख्यकों की नाराजगी
राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और जमीअत उलेमा-ए-हिंद बंगाल अध्यक्ष सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने कहा कि अगर वक्फ संपत्तियों पर कब्जे की कोशिश हुई तो मुस्लिम समुदाय चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि गांवों में जाकर कौन लोगों को बताएगा कि उनकी जमीन अब उनकी नहीं रही। चौधरी ने कहा कि समुदाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार है और हालात को गंभीरता से देख रहा है। टीएमसी के भीतर यह असहजता अगले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए चुनौती बन गई है।
स्थिति को और जटिल बनाते हुए एआईएमआईएम कोलकाता में राज्य सरकार के इस यू-टर्न के खिलाफ प्रदर्शन करने की तैयारी में है। महीनों तक विरोध करने के बाद अब केंद्र की शर्तें मान लेने से अल्पसंख्यक राजनीति में प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, टीएमसी जहां खुद को अल्पसंख्यक अधिकारों का रक्षक बताती है, वहीं भाजपा इसे तुष्टिकरण कहती है और एआईएमआईएम इस असंतोष को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है।
ममता का माइक्रो-मैनेज्ड संदेश
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र ममता बनर्जी का यह संदेश अल्पसंख्यक बहुल मालदा जिले में दिया गया, जो राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ममता ने कहा कि उनकी सरकार सभी धर्मों के साथ खड़ी रही है और किसी की संपत्ति नहीं छीनी जाएगी। केंद्रीय नियमों, राजनीतिक दबाव और अल्पसंख्यक नाराजगी के बीच उनका यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि वक्फ कानून अब बंगाल की चुनावी राजनीति का बड़ा मुद्दा बन चुका है।
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