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OPS: ओपीएस बहाली और NPS-UPS की समाप्ति के लिए हड़ताल करेगा 'कॉन्फेडरेशन', कैबिनेट सचिव को दिया नोटिस
सार
'कॉन्फेडरेशन' के महासचिव एसबी यादव ने बताया, कैबिनेट सचिव को गत सप्ताह हड़ताल का नोटिस दे दिया है। यह एक दिवसीय हड़ताल 9 जुलाई को होगी। 'कॉन्फेडरेशन' ने केंद्र सरकार के समक्ष कई मांग रखी हैं।
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क्या थी NPS, जानें OPS से कितनी अलग
- फोटो : Freepik
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विस्तार
'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' की तरफ से कैबिनेट सचिव को एक दिवसीय हड़ताल का नोटिस दिया गया है। यह एक दिवसीय हड़ताल 9 जुलाई को होगी। 'कॉन्फेडरेशन' ने केंद्र सरकार के समक्ष कई मांग रखी हैं। इनमें आठवें वेतन आयोग की कमेटी का अविलंब गठन करने और स्टाफ साइड एनसी जेसीएम द्वारा आठवें वेतन आयोग के 'टर्म ऑफ रेफरेंस' के लिए जो सुझाव दिए गए हैं, उन्हें 'रेफरेंस' में शामिल करना, शामिल है। कर्मचारियों के लिए एनपीएस, यूपीएस को खत्म करना। सभी कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जाए। कोविड 19 के दौरान डीए/डीआर की जो तीन किस्तें फ्रीज कर दी गई थी, उसे जारी किया जाए। पेंशन के कम्यूटेड हिस्से को 15 साल की बजाय 12 साल के बाद बहाल किया जाए।
सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और निगमीकरण की प्रथा पर रोक लगे- कॉन्फेडरेशन महासचिव
'कॉन्फेडरेशन' के महासचिव एसबी यादव ने बताया, कैबिनेट सचिव को गत सप्ताह हड़ताल का नोटिस दे दिया है। कर्मियों की ज्यादातर मांगें, वही हैं, जिनके लिए कर्मचारी लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। यादव के मुताबिक, अनुकंपा नियुक्ति पर लगाई गई 5 प्रतिशत की सीलिंग को हटाया जाए। सभी मामलों में मृतक कर्मचारी के बच्चों/आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। केंद्र सरकार के सभी विभागों में कैडर के रिक्त पदों को भरा जाए। सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और निगमीकरण की प्रथा पर रोक लगे।
जेसीएम तंत्र के अनुसार एसोसिएशन/फेडरेशन के लोकतांत्रिक कामकाज को सुनिश्चित किया जाए। लंबित एसोसिएशन/फेडरेशन को मान्यता प्रदान करें। एआईपीईयू ग्रेड सी यूनियन, एनएफपीई और इसरोसा के मान्यता रद्द करने के आदेश वापस लिए जाएं। सेवा एसोसिएशन/फेडरेशन पर नियम 15 1 (सी) को लागू करना बंद करें। कैजुअल, कंटीजेंट, कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले मजदूरों और जीडीएस कर्मचारियों को नियमित करें, स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को सीजी कर्मचारियों के बराबर दर्जा दें। इनके अतिरिक्त कई दूसरी मांगें भी सरकार के समक्ष रखी गई हैं।
यादव के अनुसार, परिसंघ अपनी वास्तविक वैध मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहा है, लेकिन सरकार का रवैया अड़ियल है। सभी मांगें अनसुलझी हैं, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों में नाराजगी है। एनसी-जेसीएम द्वारा जो सुझाव/विचार दिए गए हैं, उन्हें आठवें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में शामिल किया जाए। 10 फरवरी को राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम की स्थायी समिति की बैठक में स्टाफ पक्ष का प्रतिनिधित्व कामरेड शिव गोपाल मिश्रा (सचिव) ने किया था। बैठक में कर्मचारी पक्ष की तरफ से एम राघवैया (नेता), सी. श्रीकुमार, (सदस्य स्थायी समिति), जेआर भोसले, (सदस्य स्थायी समिति), गुमान सिंह (सदस्य स्थायी समिति), बीसी शर्मा, (सदस्य स्थायी समिति), रूपक सरकार, (सदस्य स्थायी समिति) और तापस बोस (सदस्य स्थायी समिति) उपस्थित रहे थे। जेसीएम के प्रतिनिधियों ने सरकारी कर्मियों के वेतन भत्ते तय करने वाले नियमों की बहुत अधिक समीक्षा और उनमें सुधार की जरूरत पर बल दिया था।
आठवें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों के लिए कर्मचारी पक्ष की ओर से कहा गया था कि जीवन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन तय किया जाए। कर्मचारी के लिए ऐसी स्थिति रहे कि जिसमें वह सम्मानजनक तरीके से जीवनयापन कर सके। कर्मचारी पक्ष की ओर से पुरानी पेंशन योजना की बहाली करने की मांग भी की गई है। संदर्भ शर्तों में रेलवे और रक्षा नागरिक कर्मचारियों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। पेंशनभोगियों के मुद्दे और सीजीएचएस से जुड़े प्रावधान, इन्हें भी संदर्भ की शर्तों में शामिल करने की मांग की गई।
पेंशन, मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति, ग्रेच्युटी, पारिवारिक पेंशन, 12 साल के बाद पेंशन के परिवर्तित हिस्से की बहाली, हर पांच साल के बाद पेंशन में वृद्धि के लिए संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों को लागू करना, इसे भी संदर्भ शर्तों के लिए भेजा गया। मौजूदा सेवानिवृत्ति लाभों में आवश्यक सुधार करना, अतीत व भविष्य के पेंशनभोगियों के बीच समानता, यह सुझाव भी भेजा गया। एक जनवरी 2004 या उसके बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सीसीएस (पेंशन नियम) 1972 (अब 2021) के तहत परिभाषित और गैर अंशदायी पेंशन योजना की समीक्षा करना और उसे बहाल करना। सीजीएचएस से संबंधित मामलों को लेकर एफएमए की संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश करना और डाक पेंशनभोगियों सहित कर्मचारियों व पेंशनभोगियों को कैशलेस/परेशानी मुक्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के तरीकों की सिफारिश करना, इन्हें भी संदर्भ शर्तों में शामिल किया जाए।
स्नातकोत्तर स्तर तक बाल शिक्षा भत्ता और छात्रावास सब्सिडी की समीक्षा व अनुशंसा करना। ऐसे अग्रिमों की समीक्षा करना और उन्हें शुरू करने की सिफारिश करना, जो वर्तमान परिस्थिति में आवश्यक हैं और साथ ही जो अग्रिम समाप्त कर दिए गए हैं, उन्हें बहाल करना, उक्त बातों को भी आठवें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में शामिल किया जाए। 365 दिन में चौबीसों घंटे काम करने वाले रेलवे कर्मचारियों के कर्तव्यों की प्रकृति में शामिल जोखिम और कठिनाई को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रेलवे में सभी श्रेणियों के कर्मचारियों को जोखिम और कठिनाई भत्ते के भुगतान पर विचार करना। अत्यधिक, बारहमासी, जोखिम भरी और खतरनाक कामकाजी परिस्थितियों पर विचार करना, जिसके तहत रक्षा नागरिक कर्मचारी हथियारों, गोला-बारूद, रसायन, विस्फोटक और एसिड आदि के निर्माण व इसके भंडारण में शामिल होते हैं, इनके लिए एक विशेष जोखिम भत्ता, बीमा कवरेज की सिफारिश करना, मुआवजा आदि, ये भी संदर्भ शर्तों का हिस्सा बनें।
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सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और निगमीकरण की प्रथा पर रोक लगे- कॉन्फेडरेशन महासचिव
'कॉन्फेडरेशन' के महासचिव एसबी यादव ने बताया, कैबिनेट सचिव को गत सप्ताह हड़ताल का नोटिस दे दिया है। कर्मियों की ज्यादातर मांगें, वही हैं, जिनके लिए कर्मचारी लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। यादव के मुताबिक, अनुकंपा नियुक्ति पर लगाई गई 5 प्रतिशत की सीलिंग को हटाया जाए। सभी मामलों में मृतक कर्मचारी के बच्चों/आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। केंद्र सरकार के सभी विभागों में कैडर के रिक्त पदों को भरा जाए। सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और निगमीकरण की प्रथा पर रोक लगे।
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जेसीएम तंत्र के अनुसार एसोसिएशन/फेडरेशन के लोकतांत्रिक कामकाज को सुनिश्चित किया जाए। लंबित एसोसिएशन/फेडरेशन को मान्यता प्रदान करें। एआईपीईयू ग्रेड सी यूनियन, एनएफपीई और इसरोसा के मान्यता रद्द करने के आदेश वापस लिए जाएं। सेवा एसोसिएशन/फेडरेशन पर नियम 15 1 (सी) को लागू करना बंद करें। कैजुअल, कंटीजेंट, कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले मजदूरों और जीडीएस कर्मचारियों को नियमित करें, स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को सीजी कर्मचारियों के बराबर दर्जा दें। इनके अतिरिक्त कई दूसरी मांगें भी सरकार के समक्ष रखी गई हैं।
यादव के अनुसार, परिसंघ अपनी वास्तविक वैध मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहा है, लेकिन सरकार का रवैया अड़ियल है। सभी मांगें अनसुलझी हैं, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों में नाराजगी है। एनसी-जेसीएम द्वारा जो सुझाव/विचार दिए गए हैं, उन्हें आठवें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में शामिल किया जाए। 10 फरवरी को राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम की स्थायी समिति की बैठक में स्टाफ पक्ष का प्रतिनिधित्व कामरेड शिव गोपाल मिश्रा (सचिव) ने किया था। बैठक में कर्मचारी पक्ष की तरफ से एम राघवैया (नेता), सी. श्रीकुमार, (सदस्य स्थायी समिति), जेआर भोसले, (सदस्य स्थायी समिति), गुमान सिंह (सदस्य स्थायी समिति), बीसी शर्मा, (सदस्य स्थायी समिति), रूपक सरकार, (सदस्य स्थायी समिति) और तापस बोस (सदस्य स्थायी समिति) उपस्थित रहे थे। जेसीएम के प्रतिनिधियों ने सरकारी कर्मियों के वेतन भत्ते तय करने वाले नियमों की बहुत अधिक समीक्षा और उनमें सुधार की जरूरत पर बल दिया था।
आठवें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों के लिए कर्मचारी पक्ष की ओर से कहा गया था कि जीवन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन तय किया जाए। कर्मचारी के लिए ऐसी स्थिति रहे कि जिसमें वह सम्मानजनक तरीके से जीवनयापन कर सके। कर्मचारी पक्ष की ओर से पुरानी पेंशन योजना की बहाली करने की मांग भी की गई है। संदर्भ शर्तों में रेलवे और रक्षा नागरिक कर्मचारियों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। पेंशनभोगियों के मुद्दे और सीजीएचएस से जुड़े प्रावधान, इन्हें भी संदर्भ की शर्तों में शामिल करने की मांग की गई।
पेंशन, मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति, ग्रेच्युटी, पारिवारिक पेंशन, 12 साल के बाद पेंशन के परिवर्तित हिस्से की बहाली, हर पांच साल के बाद पेंशन में वृद्धि के लिए संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों को लागू करना, इसे भी संदर्भ शर्तों के लिए भेजा गया। मौजूदा सेवानिवृत्ति लाभों में आवश्यक सुधार करना, अतीत व भविष्य के पेंशनभोगियों के बीच समानता, यह सुझाव भी भेजा गया। एक जनवरी 2004 या उसके बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सीसीएस (पेंशन नियम) 1972 (अब 2021) के तहत परिभाषित और गैर अंशदायी पेंशन योजना की समीक्षा करना और उसे बहाल करना। सीजीएचएस से संबंधित मामलों को लेकर एफएमए की संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश करना और डाक पेंशनभोगियों सहित कर्मचारियों व पेंशनभोगियों को कैशलेस/परेशानी मुक्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के तरीकों की सिफारिश करना, इन्हें भी संदर्भ शर्तों में शामिल किया जाए।
स्नातकोत्तर स्तर तक बाल शिक्षा भत्ता और छात्रावास सब्सिडी की समीक्षा व अनुशंसा करना। ऐसे अग्रिमों की समीक्षा करना और उन्हें शुरू करने की सिफारिश करना, जो वर्तमान परिस्थिति में आवश्यक हैं और साथ ही जो अग्रिम समाप्त कर दिए गए हैं, उन्हें बहाल करना, उक्त बातों को भी आठवें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में शामिल किया जाए। 365 दिन में चौबीसों घंटे काम करने वाले रेलवे कर्मचारियों के कर्तव्यों की प्रकृति में शामिल जोखिम और कठिनाई को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रेलवे में सभी श्रेणियों के कर्मचारियों को जोखिम और कठिनाई भत्ते के भुगतान पर विचार करना। अत्यधिक, बारहमासी, जोखिम भरी और खतरनाक कामकाजी परिस्थितियों पर विचार करना, जिसके तहत रक्षा नागरिक कर्मचारी हथियारों, गोला-बारूद, रसायन, विस्फोटक और एसिड आदि के निर्माण व इसके भंडारण में शामिल होते हैं, इनके लिए एक विशेष जोखिम भत्ता, बीमा कवरेज की सिफारिश करना, मुआवजा आदि, ये भी संदर्भ शर्तों का हिस्सा बनें।