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उदयपुर में सत्ता की चाबी!: बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए इसलिए अहम है यह बड़ी बैठक, चिंतन शिविर से पहले रोड मैप तैयार

Ashish Tiwari आशीष तिवारी
Updated Mon, 09 May 2022 06:04 PM IST
सार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि चिंतन शिविर से जो बड़ा फैसला या बड़ी नीति जनता के लिए निकल कर आती है और फिर उसे हकीकत में जमीन पर लागू किया जाता है, तो निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए वह ऑक्सिजन की तरह ही होगी। क्योंकि कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है...
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Congress party is going to hold a Chintan Shivir in Udaipur, Rajasthan from May 13 to 15 before upcoming state elections
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में सीडब्ल्यूसी की बैठक - फोटो : Agency

विस्तार
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उदयपुर में होने वाला कांग्रेस का चिंतन शिविर हाल के दिनों में हुईं कांग्रेस की हुईं तमाम बैठकों का सबसे बड़ा शिविर होगा। पार्टी का भी मानना है कि इस साल और अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनावों से लेकर 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों की पूरी रणनीति का खाका इसी चिंतन शिविर में तैयार किया जाएगा। खास बात यह है कि कांग्रेस का चिंतन शिविर उस दौर में हो रहा है जब कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इसलिए पार्टी के पास इस शिविर में तैयार किए गए मसौदे, रणनीतियां और योजनाएं पार्टी को मजबूत करने में निश्चित तौर पर बहुत मदद भी करेंगे। कांग्रेस के नेताओं का भी मानना है कि उदयपुर में होने इस चिंतन शिविर में जो रणनीति तैयार होगी, उसे अमलीजामा पहनाकर कांग्रेस कई राज्यों में सत्ता वापसी की इबारत लिखेगी।

सत्ता वापसी का रोडमैप तैयार करेगा चिंतन शिविर

उदयपुर में 13 मई से 15 मई तक होने वाले नव संकल्प चिंतन शिविर के माध्यम से कांग्रेस अपने उन सभी कमजोर कील-कांटों को दुरुस्त करने की तैयारी कर रही है, जो पार्टी को सबसे ज्यादा कमजोर कर रहे हैं। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने नेताओं को एकजुट करने की है। इसके अलावा दूसरी सबसे बड़ी चुनौती पार्टी द्वारा तैयार की गई योजनाओं और कार्यक्रमों की ग्राउंड मॉनिटरिंग है, जिन्हें अमलीजामा पहनाकर वास्तव में जनता के पास ले जाना है। इसके अलावा इस शिविर में पिछले चिंतन शिविरों के अनुभवों से निकला हुआ वह निचोड़ भी शामिल होगा, जो उन्हें सत्ता में वापसी दिला सके। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि पार्टी के पुराने चिंतन शिविरों में कांग्रेस ने जो फॉर्मूला तैयार किया और फिर उसी आधार पर काम हुआ तो नतीजा न सिर्फ राज्यों की चुनी हुई कांग्रेसी सरकारों के तौर पर सामने आया, बल्कि केंद्र में भी सत्ता परिवर्तन कर कांग्रेस और यूपीए की सरकारें बनीं। इसलिए उदयपुर में होने वाला चिंतन शिविर निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए कई राज्यों में सत्ता वापसी का बड़ा रोड मैप तैयार करेगा। इसके अलावा 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों के लिए भाजपा से बेहतर विकल्प के तौर पर कांग्रेस और उसके गठबंधन की असली रूप रेखा भी इसी शिविर में तैयार की जाएगी।

कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों में नेतृत्व के प्रति विश्वास जरूरी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि चिंतन शिविर से जो बड़ा फैसला या बड़ी नीति जनता के लिए निकल कर आती है और फिर उसे हकीकत में जमीन पर लागू किया जाता है, तो निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए वह ऑक्सिजन की तरह ही होगी। क्योंकि कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पार्टी लगातार चुनाव हार रही है। जिन राज्यों में सत्ता थी वहां से सत्ता वापस जा रही है। इसके अलावा पार्टी के बड़े नेताओं के बीच खुलकर होने वाले मतभेद निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं में नकारात्मकता भी पैदा करते हैं। वरिष्ठ नेता कहते हैं यह सब पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। उनका कहना है कि आप चिंतन शिविर में तमाम नीतियां बना सकते हैं, तमाम योजनाएं और कार्यक्रम लागू कर सकते हैं। लेकिन जब तक कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में नेतृत्व के प्रति विश्वास नहीं पैदा होगा तब तक किसी भी शिविर किसी भी कार्यक्रम किसी भी मीटिंग में तय किए गए एजेंडे और उस पर बनी नीतियों का कोई लाभ पार्टी को नहीं मिलने वाला।

सरकार को महंगाई पर घेरने की तैयारी

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि पार्टी के पास इस वक्त भाजपा से लड़ने के लिए सबसे मुफीद माहौल है। वह कहते हैं जिस तरीके से महंगाई बढ़ रही है, पार्टी उस मसले पर अगर चरणबद्ध तरीके से सत्ता पक्ष को घेरना शुरू करे, तो परिणाम बदलते हुए दिखेंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सिर्फ महंगाई ही नहीं बल्कि जिस तरीके से हमारे देश की अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो रही है, रुपया लगातार गिरता जा रहा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है, इसके दुष्प्रभाव सामने आने वाले हैं। हमें जनता के बीच में उन सब को लेकर जाना होगा और हमें ईमानदारी से उन्हें यह बताना होगा कि हम आप की लड़ाई लड़ रहे हैं।
 

वह कहते हैं जब लोगों को यह भरोसा हो जाएगा कि कांग्रेस की सरकार ही ऐसी ही विषम परिस्थितियों में आपके लिए मजबूती से खड़ी रह सकती है, तो ऐसे शिविरों में तैयार की गई योजनाएं न सिर्फ पार्टी को मजबूत करेंगीं, बल्कि दोबारा से सत्ता में आकर अपने किए गए वादों को पूरा भी कर सकेंगे। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि कोविड के सबसे बुरे दौर के बाद देश में जिस तरीके की अर्थव्यवस्थाएं और मैनेजमेंट होना चाहिए लेकिन वह नहीं हो पा रहा है। उस पर भी चिंतन किया जाएगा। इसके अलावा पुराने चिंतन शिविरों की तरह उदयपुर चिंतन शिविर में भी निश्चित तौर पर कुछ ऐसा मसौदा निकल कर सामने आ सकता है, जो कांग्रेस के लिए ऑक्सिजन की तरह हो। लेकिन उससे पहले पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं में भरोसा जगाने वाली नीतियों को सामने भी रखना होगा। इसके अलावा जो राजनीतिक गठबंधन या सरकार बनाने के लिए नीतिगत फैसले लेने होंगे, उन्हें भी चिंतन शिविर के माध्यम से पूरी रूपरेखा बनाकर लागू किया जाएगा।

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