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सूरज से बिठाएं तालमेल, नहीं होगी डिप्रेशन की बीमारी, ये उपाय करेंगे मदद
अमित शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 15 Jun 2020 07:32 PM IST
सार
- विशेषज्ञों की राय, बड़े बदलाव को स्वीकार न कर पाना बनती है बड़ी चिंता की वजह
- जिंदगी से तालमेल न बिठा पाने के कारण युवा होते हैं आत्महत्या के ज्यादा शिकार
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Sushant singh Rajpoot
- फोटो : For Refernce Only
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विस्तार
सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने लोगों को झकझोर दिया है। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि बॉलीवुड में इतने बड़े स्टारडम को हासिल करने के बाद भी सुशांत की जिन्दगी में ऐसा कौन सा तनाव था जिसने उन्हें मौत को गले लगाने पर मजबूर कर दिया।
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एम्स के मनोचिकित्सक डॉक्टर आर श्रीनिवास कहते हैं कि हमारा मानसिक विकास कुछ इस तरह का हुआ है कि हम कोई भी बड़ा बदलाव अचानक स्वीकार नहीं कर पाते।
करीबी दोस्तों से मिलना अचानक बंद हो जाना, कमाई के जरिया बंद हो जाना या किसी करीबी की मौत हो जाना कुछ लोगों के लिए बड़ा संवेदनशील साबित होता है।
कुछ लोग इससे तालमेल नहीं बिठा पाते और जिंदगी से हार मान लेते हैं। उनका कहना है कि अगर हम सूरज के साथ अपना तालमेल बिठाकर चलें तो हम जिंदगी में बड़े तनाव से काफी हद तक बच सकते हैं।
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डॉक्टर आर श्रीनिवास के मुताबिक कोरोना जैसी परिस्थिति में लोगों की दिनचर्या बिलकुल बदल गई है। लोगों के सोने-जागने का समय बिलकुल अनियमित हो गया है।
ऐसे में लोग दिन में कई घंटे तक सोते हैं और रात में उन्हें नींद नहीं आती है। इसमें रात को जगते हुए उन्हें तरह-तरह के विचार आते हैं जो उनमें तनाव को बढ़ावा दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह बिलकुल गलत प्रक्रिया है और इस तरह की रूटीन से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि चाहे एक दिनचर्या बनानी चाहिए, जिसमें उठने से लेकर सोने तक का समय तय होना चाहिए। ऑफिस न भी जाना हो, आपको नियमित समय पर उठना चाहिए।
सामान्य कामकाज के बाद अपने ऑफिस के निर्धारित समय पर कुछ काम करना चाहिए। घरेलू कामकाज में हाथ बंटाने के साथ-साथ योगा-डांस कर जिंदगी को गतिशील बनाये रखना चाहिए।
बीच-बीच में अपने करीबी लोगों से बातचीत करते रहना उनसे मिलते-जुलते रहना तनाव को कम करता है।
रात में ज्यादा देर तक जगने से बचना चाहिए। सोते समय लाइट्स बिलकुल बंद रखनी चाहिए। आंखों पर पड़ती लाइट्स नींद टूटने का कारण बनती हैं।
नींद न भी आये, शांत संगीत सुनकर मन को स्थिर कर सोने का प्रयास करना चाहिए।
सूरज की गतिविधयों का हमारे शरीर पर सीधा असर पड़ता है, उससे तालमेल बिठाकर हम तनाव से बच सकते हैं।
सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर राजीव मेहता के मुताबिक, सुशांत जैसे लोग बाहर से खुश दिखने की बेहतर कोशिश कर लेते हैं, लेकिन कभी-कभी उनके मन में कोई बड़ा तनाव छिपा होता है।
बाहर से यह दिखाई नहीं पड़ता है, लेकिन करीबी लोग समझने की कोशिश कर सकते हैं। लंबे समय तक इसे दबाया जाये तो बाद में यह तनाव का बड़ा कारण साबित होता है।
इसलिए अगर आपके मन में कोई तनाव आ रहा है, तो उसे अपने करीबी लोगों से बांटने की कोशिश करनी चाहिए।
इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के चेयरमैन डॉक्टर म्रुगेश वैष्णव ने अमर उजाला को बताया कि एक सर्वे के मुताबिक समाज में 72 फीसदी लोगों को किसी न किसी प्रकार की चिंता अवश्य होती है।
यह किसी बच्चे की स्कूल में प्रदर्शन को भी लेकर हो सकती है, तो किसी गृहिणी के भोजन पकाने की समस्या भी हो सकती है।
कामकाज में इस तरह के तनाव से हम अकसर गुजरते हैं, लेकिन 38.2 फीसदी लोगों की चिंता (एंग्जायटी) चिंता के स्तर पर पहुंच जाती है।
मानसिक रोगी का ठप्पा न लग जाए, इसके लिए मनोचिकित्सकों से सलाह भी नहीं लेते हैं।
9.5 फीसदी लोगों की चिंता अवसाद के स्तर पर पहुंच जाती है, जो समय से देखभाल न करने पर बड़ी समस्या बन जाती है।
बाहर से कोई लक्ष्ण न दिखने वाला यह मरीज बातों-बातों में आत्मघात की प्रवृत्ति दिखाता है, यह सावधान होने का समय होता है।
इन उपायों को भी आजमाएं
- दिन में घंटों तक सोने से बचना चाहिए, इससे रात में रात में नींद नहीं आती, जागते हुए तरह-तरह के विचार आते हैं जो तनाव को बढ़ाते हैं
- रात में ज्यादा देर तक जगने से बचना चाहिए। सोते समय लाइट्स बिलकुल बंद रखनी चाहिए।
- नींद न भी आये, शांत संगीत सुनकर मन को स्थिर कर सोने का प्रयास करें।
- संभव हो तो रात में सोते वक्त कोई किताब पढ़ें, इससे नींद अच्छी आएगी
- बीच-बीच में अपने करीबी लोगों से बातचीत करते रहें, इससे तनाव कम रहता है
- सामान्य कामकाज के बाद अपने ऑफिस के निर्धारित समय पर कुछ काम करना चाहिए