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Corona vaccine: टीकों के निर्माण का फॉर्मूला हासिल करना बड़ी चुनौती
अमर उजाला रिसर्च टीम
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sun, 09 May 2021 07:46 AM IST
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सार
- भारत और दक्षिण अफ्रीका ने डब्ल्यूटीओ में व्यापार संबंधी बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) के विशिष्ट ढांचे के तहत छूट मांगी है
- बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के प्रावधानों में छूट मिलने के बाद इसमें यूरोपीय यूनियन के कई देश और चीन रोड़े अटका रहे हैं
- फार्मा कंपनियां भी अमेरिका समेत कई देशों में इसके खिलाफ लामबंदी कर रही है। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर भी दबाव बनाया जा रहा है
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विस्तार
कोविड-19 टीके से बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के प्रावधानों में छूट के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका की मुहिम को अमेरिका का साथ मिलने के बाद अब गरीब देशों को टीके मिलने की आस जगी जरूर है, लेकिन आधा सफर अभी बाकी है। अब विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को पेटेंट पर अंतिम निर्णय करना है।
इसमें यूरोपीय यूनियन के कई देश और चीन रोड़े अटका रहे हैं। इसके साथ ही फार्मा कंपनियां भी अमेरिका समेत कई देशों में इसके खिलाफ लामबंदी कर रही हैं। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर भी दबाव बनाया जा रहा है।
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बाधाओं के बाद भी सिर्फ आईपीआर हटने से ही जल्द टीके नहीं मिल पाएंगे। इन टीकों का देश में निर्माण असल चुनौती होगी। निर्माण के लिए फार्मूला और तकनीक हासिल करना टेढ़ी खीर साबित होगा। इसमें महीने नहीं, सालों तक का वक्त लग सकता है।
दरअसल, भारत और दक्षिण अफ्रीका ने डब्ल्यूटीओ में व्यापार संबंधी बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) के विशिष्ट ढांचे के तहत छूट मांगी है। यह टीका निर्माण के सिर्फ व्यापार संबंधित पहलुओं को संदर्भित करता है, जबकि फार्मा क्षेत्र के कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, असली समस्या व्यापार रहस्य यानी ट्रेड सीक्रेट है।
एक पेटेंट और एक व्यापार रहस्य के बीच एक स्पष्ट विभाजन है। तकनीकी जानकारी मालिकाना है। यह टिप्स के तहत पेटेंट में नहीं मिलेगा। फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना जैसी कंपनियों को तकनीकी जानकारी, कच्चे माल और बुनियादी ढांचे के लिए मनाना बड़ी चुनौती साबित होगी।
भारत की कोशिश में डब्ल्यूटीओ की अड़चन अभी बाकी
फार्मा कंपनियों और तमाम देशों के विरोध के बावजूद बुधवार को अमेरिका की कारोबार प्रतिनिधि कैथरीन के बयान से सभी को टीका मुहैया करवाने की कोशिशों में लगे भारत को नई उम्मीद नजर आ रही है। हालांकि, फिलहाल उनके समर्थन भर से बौद्धिक संपदा अधिकार से कोविड टीका बाहर नहीं हो पाएगा।
कई विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि जो बाइडन द्वारा कोविड-19 टीके को बौद्धिक संपदा अधिकार से बाहर रखने के समर्थन के बावजूद डब्ल्यूटीओ में इसका प्रस्ताव पारित करने में महीनों लग सकते हैं।
बीते 10 महीनों में इस विषय पर 7 बार डब्ल्यूटीओ के सदस्य बैठक कर चुके हैं, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। बौद्धिक संपदा अधिकार के कारोबारी पक्ष टीआरआईपीएस को डब्ल्यूटीओ के समझौते से बाहर करने के लिए नया प्रस्ताव लाना होगा जिस पर डब्ल्यूटीओ के सभी 164 सदस्यों को सहमत होना होगा। इनमें से कोई भी सदस्य वीटो कर सकता है। यानी सभी की सहमति बनने में भी काफी समय लग सकता है।
ईयू नाराज, डब्ल्यूटीओ में उलझ सकता है पेटेंट हटाने का मामला
पेटेंट हटाने के अमेरिका के फैसले पर यूरोपियन यूनियन (ईयू) के देश जर्मनी, बेल्जियम और फ्रांस ने नाराजगी जताई है। ईयू ने इसे एक तरफा बताया, तो जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने भी विरोध किया। हालांकि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उरसुला वॉन डेर लियेन ने कहा यूरोपियन यूनियन खुली बहस के लिए तैयार है। विश्व व्यापार संगठन डब्ल्यूटीओ की प्रक्रिया के मुताबिक वहां फैसले आम सहमति से होते हैं।
चीन भी विरोध में
चीन ने भी अमेरिका के फैसले का विरोध किया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसे अमेरिकी की महज 'जुबानी सेवा' करार दिया। अखबार ने कहा, अमेरिका सरकार ने दुनिया में अपनी खराब हुई छवि को सुधारने के लिए यह फैसला किया है, लेकिन इससे असल में कुछ नहीं बदलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम मॉरीसन से डब्ल्यूटीओ में मांगा है समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ही ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरीसन से भारत व दक्षिण अफ्रीका की ओर से डब्ल्यूटीओ में रखे उस प्रस्ताव के समर्थन का आग्रह किया, जिसमें कोविड-19 महामारी के बीच कुछ बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधित पहलुओं (ट्रिप्स) में अस्थायी छूट देने का अनुरोध किया गया है।