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PM SHRI Schools: भाकपा ने माकपा के खिलाफ खोला मोर्चा, पीएम श्री स्कूल योजना पर केरल में एलडीएफ में उठा विवाद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 24 Oct 2025 11:13 PM IST
सार
केरल की सत्ताधारी गठबंधन एलडीएफ में तकरार मच गई है, सीपीआई ने सीपीआई (एम) के खिलाफ विरोध जताया। इसकी वजह राज्य सरकार का पीएम श्री स्कूल योजना में शामिल होना है। सीपीआई का कहना है कि इस फैसले में उन्हें और एलडीएफ के अन्य दलों को जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने इसे गठबंधन के नियमों की अवहेलना बताया। वहीं सीपीआई (एम) ने कहा कि फंड लेना ठीक है, लेकिन योजना की सख्त शर्तें स्वीकार नहीं की जाएंगी।
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पीएम श्री स्कूल को लेकर केरल में विवाद
- फोटो : pmshri.education.gov.in
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विस्तार
केरल की सत्ताधारी गठबंधन पार्टी एलडीएफ में सियासी उथल-पुथल मच गई है। इसके प्रमुख सहयोगी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) ने शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना में शामिल होने के फैसले पर विरोध जताया।
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'सरकार ने फैसले के बारे में साथियों रखा अनजान'
सीपीआई के राज्य महासचिव बिनॉय विश्वाम ने कहा कि इस फैसले के बारे में पार्टी और एलडीएफ के अन्य घटक दलों को पूरी तरह से अनजान रखा गया। उन्होंने इसे गठबंधन की सामूहिक अनुशासन की उल्लंघन करार दिया। उन्होंने बताया कि इस योजना पर अभी तक कैबिनेट में कोई चर्चा नहीं हुई थी, लेकिन इसके लिए समझौता पत्र बहुत जल्दी साइन कर दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी जल्दी किस लिए और क्यों की गई।
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वहीं सीपीआई ने चेतावनी दी है कि इस कदम से नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के लागू होने का रास्ता खुल सकता है, जिसे एलडीएफ लंबे समय से रोकता आया है। साथ ही पीएम श्री स्कूल्स की बोर्डिंग और लेबलिंग को लेकर भी पार्टी में असंतोष है।
केरल के शिक्षा मंत्री ने फैसले का किया बचाव
वहीं, केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने सरकार के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह कदम राज्य के लिए केंद्रीय फंड सुरक्षित करने के लिए रणनीतिक था। उन्होंने बताया कि केंद्र ने राज्य के स्कूलों के लिए हजारों करोड़ रुपये रोक दिए थे। मंत्री ने कहा कि इस कदम से लगभग 40 लाख सरकारी स्कूल के बच्चों, जिनमें 5.61 लाख एससी/एसटी और 1.11 लाख विशेष बच्चों का समर्थन शामिल है, को फायदा मिलेगा। कुल फंड की राशि 1,477.13 करोड़ रुपये है, जिसमें से 971.01 करोड़ रुपये केंद्र द्वारा पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं।
शिवनकुट्टी ने यह भी साफ किया कि पीएम श्री योजना में शामिल होना का मतलब यह नहीं कि केरल ने एनईपी को स्वीकार कर लिया है। यह केवल तकनीकी कारणों से किया गया है। राज्य अपनी पाठ्यक्रम नीति में पूरी तरह से स्वतंत्र है और इसमें महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विषय शामिल हैं।
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विपक्ष ने भी उठाए सवाल
सीपीआई (एम) ने भी यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने फंड प्राप्त करने के लिए समझौता किया है, लेकिन योजना की शर्तों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। सीपीआई (एम) राज्य महासचिव एम. वी. गोविंदन ने कहा कि केंद्र ने पहले कभी इतनी शर्तें नहीं लगाईं और यह राज्य के लिए स्वीकार्य नहीं है। विपक्षी कांग्रेस ने इस मुद्दे को एलडीएफ में गहरी दरार बताते हुए सवाल उठाया। विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने कहा कि सीपीआई को तय करना होगा कि वह इस अपमान और शर्म को सहन करे या नहीं।