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Defence: DAC ने ₹1.05 लाख करोड़ के 10 सैन्य खरीद प्रस्तावों को दी मंजूरी, रक्षा तैयारियों को मिलेगा बड़ा बल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 03 Jul 2025 05:41 PM IST
सार
रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, 'यह निर्णय भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे हमारी सेनाओं की ऑपरेशनल तैयारियां बेहतर होंगी और भारतीय रक्षा उद्योग को नई ताकत मिलेगी।'
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रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में खरीद प्रस्तावों को मंजूरी
- फोटो : ANI
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विस्तार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत वाले 10 प्रमुख रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। ये सभी प्रस्ताव 'खरीद (भारतीय-आईडीडीएम)' यानी स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। यह कदम न केवल सशस्त्र बलों की क्षमता बढ़ाने की दिशा में अहम है, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को भी मजबूती देगा।
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कौन-कौन से रक्षा उपकरण खरीदे जाएंगे?
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जिन उपकरणों और प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दी गई है। इसमें ये सभी शामिल हैं।
नौसेना के लिए भी कई अहम स्वीकृतियां
नौसेना की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण खरीदों की स्वीकृति दी गई हैं। जिसमें मूर्ड माइंस – जलपोतों की सुरक्षा के लिए समुद्र में लगाए जाने वाले विस्फोटक उपकरण और माइन काउंटर मेजर वेसल्स – समुद्र में बिछाए गए दुश्मन के माइंस को निष्क्रिय करने वाले जहाज शामिल है। इसके साथ-साथ सुपर रैपिड गन माउंट – तेज फायरिंग वाली बंदूकें जो समुद्री खतरों से बचाव में मदद करेंगी। इसमें सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स – बिना किसी चालक के पानी के नीचे चलने वाली उन्नत नावें, जो निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने में सहायक होंगी।
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स्वदेशी उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
इन सभी परियोजनाओं को भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा। इससे मेक इन इंडिया के तहत घरेलू रक्षा उत्पादन को काफी बढ़ावा मिलेगा और भारत की विदेशी आयातों पर निर्भरता भी कम होगी।
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कौन-कौन से रक्षा उपकरण खरीदे जाएंगे?
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जिन उपकरणों और प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दी गई है। इसमें ये सभी शामिल हैं।
- बख्तरबंद रिकवरी वाहन – युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त टैंकों और भारी वाहनों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए।
- इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली – दुश्मन की रडार और संचार प्रणाली को निष्क्रिय करने की अत्याधुनिक तकनीक।
- एकीकृत कॉमन इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम – थल, वायु और नौसेना के बीच आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर और अधिक समन्वित बनाने के लिए।
- सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें – वायुसेना और नौसेना की हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए।
नौसेना के लिए भी कई अहम स्वीकृतियां
नौसेना की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण खरीदों की स्वीकृति दी गई हैं। जिसमें मूर्ड माइंस – जलपोतों की सुरक्षा के लिए समुद्र में लगाए जाने वाले विस्फोटक उपकरण और माइन काउंटर मेजर वेसल्स – समुद्र में बिछाए गए दुश्मन के माइंस को निष्क्रिय करने वाले जहाज शामिल है। इसके साथ-साथ सुपर रैपिड गन माउंट – तेज फायरिंग वाली बंदूकें जो समुद्री खतरों से बचाव में मदद करेंगी। इसमें सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स – बिना किसी चालक के पानी के नीचे चलने वाली उन्नत नावें, जो निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने में सहायक होंगी।
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स्वदेशी उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
इन सभी परियोजनाओं को भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा। इससे मेक इन इंडिया के तहत घरेलू रक्षा उत्पादन को काफी बढ़ावा मिलेगा और भारत की विदेशी आयातों पर निर्भरता भी कम होगी।