Defence: रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनेगा भारत, नवाचार और शोध को बढ़ाने के लिए सरकार ने बनाया नया प्लान
Indian Defence Industry: सरकार ने रक्षा निर्माण को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा रिसर्च और डेवलेपमेंट (R&D) बजट का 25% उद्योगों और स्टार्टअप के लिए खोल दिया है। डीआरडीओ ने दो हजार से ज्यादा कंपनियों को मुफ्त तकनीक उपलब्ध कराई है। टीडीएफ योजना के लिए पांच सौ करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट दिया गया है।
विस्तार
देश में रक्षा उपकरण बनाने और नई तकनीक विकसित करने के लिए सरकार ने अब तेजी से कदम बढ़ाए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ के साथ मिलकर सरकार ने ऐसी कई पहल शुरू की हैं। इनसे भारत में अत्याधुनिक रक्षा तकनीक तैयार की जा सकेगी। इन कदमों का मकसद रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना और देश के उद्योगों को नई तकनीक के विकास में सीधा मौका देना है।
सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है कि रक्षा अनुसंधान के कुल बजट का 25% हिस्सा अब सीधे उद्योगों, स्टार्टअप और कॉलेजों के लिए उपलब्ध रहेगा। डीआरडीओ ने एक नई प्रक्रिया लागू की है। इसके जरिए सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की कंपनियों को प्रतिस्पर्धा के आधार पर चुना जाएगा। उन्हें रक्षा निर्माण की तकनीक सौंपी जाएगी। इससे निजी क्षेत्र रक्षा उत्पादन में बड़ी भूमिका निभा सकेगा और देश के अंदर आधुनिक हथियारों व उपकरणों का निर्माण बढ़ेगा।
डीआरडीओ के साथ इतनी कंपनी कर रही काम
डीआरडीओ ने बताया कि उसके साथ काम करने वाली कंपनियों की संख्या अब 2000 से ज्यादा हो चुकी है। इन कंपनियों को डीआरडीओ द्वारा विकसित तकनीक बिना किसी शुल्क के दी जा रही है। इसके अलावा डीआरडीओ के वैज्ञानिक खुद उद्योगों को सलाह और तकनीकी सहयोग भी दे रहे हैं, ताकि वे बेहतर गुणवत्ता वाले रक्षा उपकरण तैयार कर सकें। डीआरडीओ के पेटेंट भी अब भारतीय उद्योग मुफ्त में उपयोग कर सकते हैं। इससे उन्हें नई तकनीक अपनाने में आसानी होगी।
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स्टार्टअप को मिल रहा बड़ा मौका
रक्षा मंत्रालय की टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (टीडीएफ) योजना के तहत अब तक 26 तकनीकें तैयार हो चुकी हैं। इनमें से दो तकनीकें पीएसएलवी मिशन के साथ अंतरिक्ष में भी भेजी गईं, जो बड़ी सफलता है। सरकार ने टीडीएफ के लिए 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट मंजूर किया है, ताकि देश में नई और कठिन तकनीकों पर काम किया जा सके। डीआरडीओ एक नई स्टार्टअप नीति भी ला रहा है, जिससे रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप को आसानी से काम करने का मौका मिलेगा। ‘डेयर टू ड्रीम’ प्रतियोगिता के चार सफल चरण पूरे हो चुके हैं, जिससे युवा नवाचार को बढ़ावा मिला है।
उद्योगों के लिए खुलीं टेस्टिंग की सुविधाएं
डीआरडीओ की 24 प्रयोगशालाओं की आधुनिक परीक्षण सुविधाओं को अब उद्योगों के लिए खोल दिया गया है। इन सुविधाओं को रक्षा परीक्षण पोर्टल पर रखा गया है, ताकि कंपनियों को पारदर्शी तरीके से परीक्षण की सुविधा मिल सके। सरकार की (मेक) प्रक्रिया के तहत पिछले तीन वर्षों में 70 रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें भारतीय कंपनियों को रक्षा उपकरणों की डिजाइन और निर्माण का काम दिया जा रहा है।
डीआरडीओ ने पिछले तीन वर्षों में 148 नई अनुसंधान परियोजनाओं की शुरुआत की है। देश में 15 डीआरडीओ इंडस्ट्री अकादमी केंद्र बनाए गए हैं, जहां मिलकर 82 क्षेत्रों में भविष्य की तकनीक पर शोध चल रहा है। डीआरडीओ उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बनाए जा रहे रक्षा उद्योग गलियारों को भी ज्ञान साझेदार के रूप में समर्थन दे रहा है। आई-डेक्स कार्यक्रम के माध्यम से स्टार्टअप और एमएसएमई को आर्थिक सहायता देकर रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक में नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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