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Rajnath Singh: 'हनुमान जी का भक्त आसमान की ऊंचाइयों को छूकर लौटा है', शुभांशु शुक्ला के लिए बोले राजनाथ सिंह

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Sun, 24 Aug 2025 12:33 PM IST
सार

राजनाथ सिंह ने कहा, 'हमारा योगदान केवल अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने तक ही सीमित नहीं है। आज भारत चंद्रमा से लेकर मंगल तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। आज भारत गगनयान जैसे अभियानों के लिए भी पूरी तरह तैयार है।'

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Defence Minister Rajnath Singh in Felicitation Function for Gaganyatris shubhanshu shukla in Delhi
राजनाथ सिंह और अन्य गगनयात्री और वायुसेना प्रमुख और सीडीएस चौहान - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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दिल्ली में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और गगनयान मिशन पर जाने वाले उनके अन्य सहयोगियों के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस सम्मान समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए। इस दौरान रक्षा मंत्री ने गगनयात्रियों की जमकर तारीफ की और कहा कि पूरे देश को गगनयात्रियों पर गर्व है और सभी देशवासी गौरवान्वित हैं। 
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देशवासियों को गगनयात्रियों पर गर्व
राजनाथ सिंह ने कहा कि 'प्रशिक्षण के दौरान आप सभी ने जो मेहनत की, वह न केवल प्रभावशाली थी, बल्कि मैं कहूंगा कि उत्कृष्ट थी। मुझे भारत माता के सपूत, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके अन्य सहयोगियों, ग्रुप कैप्टन पी वी नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप का स्वागत और अभिनंदन करते हुए सचमुच गर्व महसूस हो रहा है। सभी देशवासियों को आप सभी पर गर्व है। आप सभी ने देशवासियों को गौरवान्वित किया है।'
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सुब्रतो पार्क में भारतीय वायुसेना द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गगनयान मिशन आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में एक नए अध्याय का प्रतीक है। फरवरी 2024 में तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में पहली बार शुभांशु शुक्ला समेत अन्य गगनयात्रियों के नामों का खुलासा किया था। गगनयान मिशन का उद्देश्य 2027 में तीन दिवसीय मिशन के लिए तीन सदस्यीय चालक दल को 400 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित पृथ्वी की कक्षा में भेजना है।

'चंद्रमा से लेकर मंगल तक भारत की उपस्थिति'
राजनाथ सिंह ने कहा, 'हमारा योगदान केवल अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने तक ही सीमित नहीं है। आज भारत चंद्रमा से लेकर मंगल तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। आज भारत गगनयान जैसे अभियानों के लिए भी पूरी तरह तैयार है। मैं इसे केवल एक तकनीकी उपलब्धि के रूप में नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के एक नए अध्याय के रूप में देखता हूं, जहां हम दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों के बीच पूरे गौरव के साथ खड़े हैं।'



'अंतरिक्ष हमारे लिए सिर्फ अनुसंधान का विषय नहीं'
रक्षा मंत्री ने कहा, 'भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल प्रयोगशालाओं और प्रक्षेपण यानों तक ही सीमित नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं और वैश्विक दृष्टि का प्रतीक है। भारत अंतरिक्ष को केवल अनुसंधान के क्षेत्र के रूप में नहीं देखता, बल्कि हम इसे अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, ऊर्जा और मानवता के भविष्य के रूप में देखते हैं। आने वाले समय में, अंतरिक्ष खनन, रिसर्च और ग्रहों से मिलने वाले संसाधन मानव जाति की दिशा बदल देंगे।' रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं लखनऊ संसदीय क्षेत्र से आता हूं, शुभांशु शुक्ला वहीं से हैं। वह हमारे मतदाता भी हैं।'

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शुभांशु शुक्ला बजरंग बली के भक्त
राजनाथ सिंह ने शुभांशु शुक्ला के बारे में आगे कहा कि 'मुझे यह भी बताया गया कि आप (शुभांशु शुक्ला) भी बजरंग बली के भक्त हैं। और आपने वहां (अंतरिक्ष में) कई बार हनुमान चालीसा पढ़ी होगी। आज हनुमान जी का एक भक्त आसमान की ऊंचाइयों को छूकर लौटा है और हम सबके बीच मौजूद है। मेरा मानना है कि यह सिर्फ विज्ञान की जीत नहीं है। यह हमारे विश्वास की भी जीत है। जब शुभांशु अंतरिक्ष में गए, तो वे सिर्फ भारत के ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के, सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि बनकर गए। नागरिक क्षेत्र में आपका योगदान इतिहास में दर्ज होगा। मुझे बताया गया कि शुभांशु ने अंतरिक्ष में खेती भी की है। भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि भारत का कोई किसान अंतरिक्ष में जाकर मेथी और मूंग की खेती करेगा। निश्चित रूप से, आपका अनुभव हमारे आगामी अभियानों में बहुत मददगार साबित होगा। 

राजनाथ सिंह ने कहा कि 'आज हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुके हैं जहां अंतरिक्ष अब केवल सैन्य शक्ति या तकनीकी कौशल का प्रतीक नहीं रह गया है। यह मानव सभ्यता की यात्रा में एक नया मील का पत्थर है। भारत ने हमेशा दुनिया को 'वसुधैव कुटुम्बकम' का संदेश दिया है। आज हमारे वैज्ञानिक और अंतरिक्ष में हमारे अंतरिक्ष यात्री उस संदेश को नई ऊँचाइयों पर ले जा रहे हैं।'


 
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