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Delhi Blast: जांच एजेंसियों का फंदा कसने के बाद उमर ले गया कई जानें, मॉड्यूल तबाह होने की आखिरी कड़ी था डॉक्टर
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दिल्ली में धमाके का मुख्य आरोपी डॉ. उमर।
- फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली के लालकिले के पास हुआ भयानक विस्फोट, दरअसल आतंक की एक बड़ी साज़िश के ढहने की आखिरी आवाज थी। यह कोई सुनियोजित फिदायीन हमला नहीं, बल्कि एक आतंक के डाक्टर की घबराहट का नतीजा था। सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से भागने की कोशिश में डा. उमर इतने लोगों की जान ले गया। साजिश का पैमाना इतना बड़ा था कि भले ही बड़ा हमला टल गया, पर जो क्षति हुई वह भी कम नहीं। जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, पिछले एक महीने से केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां, राज्य पुलिस की टीमें मिलकर कश्मीर से लेकर गुजरात, यूपी और महाराष्ट्र तक फैले एक विशाल आतंकी मॉड्यूल के तार पकड़ चुकी थीं। यह एक पैन-इंडिया ऑपरेशन था, जिसने इस नेटवर्क को लगभग डिकोड कर दिया था। दिल्ली वाले तक एजेंसियां बस पहुंचने ही वाली थीं कि यह दुखद हादसा हुआ।
एक महीने का ऑपरेशन: फंदा कस चुका था
पिछले कुछ दिनों से लालकिले के आसपास सुरक्षा का घेरा क्यों ज्यादा था, इसका कारण अब स्पष्ट हो रहा है। आतंकी नेटवर्क पर फंदा कस चुका था। फरीदाबाद में केंद्रीय और राज्य एजेंसियों ने इस मॉड्यूल के कई ठिकानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में विस्फोटक बनाने की सामग्री, रॉ-केमिकल और टाइमिंग डिवाइस बरामद किए। ये सबूत बताते थे कि आतंकी एक नहीं, कई जगहों पर बड़े, समन्वित हमले की तैयारी में थे।
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एक महीने का ऑपरेशन: फंदा कस चुका था
पिछले कुछ दिनों से लालकिले के आसपास सुरक्षा का घेरा क्यों ज्यादा था, इसका कारण अब स्पष्ट हो रहा है। आतंकी नेटवर्क पर फंदा कस चुका था। फरीदाबाद में केंद्रीय और राज्य एजेंसियों ने इस मॉड्यूल के कई ठिकानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में विस्फोटक बनाने की सामग्री, रॉ-केमिकल और टाइमिंग डिवाइस बरामद किए। ये सबूत बताते थे कि आतंकी एक नहीं, कई जगहों पर बड़े, समन्वित हमले की तैयारी में थे।
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सुबह फरीदाबाद में हुई इस बड़ी कार्रवाई के बाद, नेटवर्क पर दबाव असहनीय हो गया। इसी दबाव में, मॉड्यूल का एक केंद्रीय सदस्य, डॉ. उमर, जो मेडिकल प्रोफेशन की आड़ में नेटवर्क को लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रहा था, घबरा गया। व्हाइट कॉलर आतंकियों की इस नई खेप तक पहुंचाना आसान नहीं था, लेकिन जम्मू-कश्मीर में डाक्टर को पकड़े जाने के बाद शुरू हुई कहानी में गुजरात एटीएस ने बहुत तेजी से प्रभावी कार्रवाई की। फिर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश पुलिस व एजेंसियों के समन्वय व सतर्कता की वजह से फरीदाबाद में तीन हजार किलो इकट्ठा किया गया तबाही का सामान पकड़ा जा सका।
घबराहट का धमाका
जिस तरह से यह पूरा आतंक का मॉड्यूल ध्वस्त होने के कगार पर था। सारा तबाही का सामान और लोग पकड़े जा रहे थे। डाक्टरी के वेश में रहने वाले आतंकवादी उमर को महसूस हो गया था कि अब उसका पकड़ा जाना तय है। उसने घबराहट में अधूरा विस्फोटक उठाकर वाहन में रखा ताकि उसे कहीं हटाया या जमा किया जा सके। इस हड़बड़ी में ट्रिगर हुआ और विस्फोटक समय से पहले ही फटने की आशंका जताई जा रही है।
यह ऐसे ही नहीं है। बैलिस्टिक एक्सपर्ट और फॉरेंसिक टीमों ने घटनास्थल का बारीकी से मूल्यांकन किया है। विस्फोट से बड़ा गड्ढा (क्रेटर) नहीं बना, और सबसे महत्वपूर्ण—विस्फोटक में कील या शार्पनर (जो नुकसान बढ़ाने के लिए डाले जाते हैं) का प्रयोग नहीं हुआ था। यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि यह विस्फोट सोच-समझकर किया गया हमला होने के बजाय, एक हादसा था। डॉ. उमर खुद विस्फोट की चपेट में आ गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि टाइमिंग बिगड़ गई थी। अगर यह विस्फोटक पूरी तरह से तैयार होता और नियत समय पर सक्रिय होता, तो लालकिले के आसपास व्यापक तबाही हो सकती थी। पैनिक फैक्टर ने कई जानें लीं, लेकिन दूसरा सच है कि बड़ा हमला टाल दिया और सैकड़ों जानें बचा ली गईं।
जिस तरह से यह पूरा आतंक का मॉड्यूल ध्वस्त होने के कगार पर था। सारा तबाही का सामान और लोग पकड़े जा रहे थे। डाक्टरी के वेश में रहने वाले आतंकवादी उमर को महसूस हो गया था कि अब उसका पकड़ा जाना तय है। उसने घबराहट में अधूरा विस्फोटक उठाकर वाहन में रखा ताकि उसे कहीं हटाया या जमा किया जा सके। इस हड़बड़ी में ट्रिगर हुआ और विस्फोटक समय से पहले ही फटने की आशंका जताई जा रही है।
यह ऐसे ही नहीं है। बैलिस्टिक एक्सपर्ट और फॉरेंसिक टीमों ने घटनास्थल का बारीकी से मूल्यांकन किया है। विस्फोट से बड़ा गड्ढा (क्रेटर) नहीं बना, और सबसे महत्वपूर्ण—विस्फोटक में कील या शार्पनर (जो नुकसान बढ़ाने के लिए डाले जाते हैं) का प्रयोग नहीं हुआ था। यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि यह विस्फोट सोच-समझकर किया गया हमला होने के बजाय, एक हादसा था। डॉ. उमर खुद विस्फोट की चपेट में आ गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि टाइमिंग बिगड़ गई थी। अगर यह विस्फोटक पूरी तरह से तैयार होता और नियत समय पर सक्रिय होता, तो लालकिले के आसपास व्यापक तबाही हो सकती थी। पैनिक फैक्टर ने कई जानें लीं, लेकिन दूसरा सच है कि बड़ा हमला टाल दिया और सैकड़ों जानें बचा ली गईं।
डॉक्टरों की भूमिका और अब जांच का फोकस
जांच में साफ हुआ है कि डॉ. उमर जैसे कुछ मेडिकल प्रोफेशनल सिर्फ कवर के तौर पर नहीं, बल्कि सक्रिय सहयोग के लिए नेटवर्क से जुड़े थे। डॉक्टरी पहचान का लाभ उठाकर उन्होंने वैध दस्तावेजों और अस्पताल की आवाजाही का इस्तेमाल लॉजिस्टिक और केमिकल सप्लाई के लिए किया।
अब जांच का प्राथमिक ध्यान मास्टरमाइंड तक पहुंचने, डॉक्टरों के नेटवर्क का पर्दाफाश करने, और आईईडी में अमोनियम नाइट्रेट जैसे किस विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ था, इसकी पुष्टि करने पर है। राूष्ट्रीय जांच एजेंसी और संबंधित एजेंसियां फंडिंग चैनल और सीमापार कनेक्शन जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की ओर पर शक कर रही हैं। हालांकि, सुबूत जुटाने के बाद ही इसका खुलासा किया जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों के एक महीने के बड़े ऑपरेशन ने इस मॉड्यूल की कमर तोड दी थी। दिल्ली की घटना उस टूटने की आखिरी और दुखद कड़ी थी।
जांच में साफ हुआ है कि डॉ. उमर जैसे कुछ मेडिकल प्रोफेशनल सिर्फ कवर के तौर पर नहीं, बल्कि सक्रिय सहयोग के लिए नेटवर्क से जुड़े थे। डॉक्टरी पहचान का लाभ उठाकर उन्होंने वैध दस्तावेजों और अस्पताल की आवाजाही का इस्तेमाल लॉजिस्टिक और केमिकल सप्लाई के लिए किया।
अब जांच का प्राथमिक ध्यान मास्टरमाइंड तक पहुंचने, डॉक्टरों के नेटवर्क का पर्दाफाश करने, और आईईडी में अमोनियम नाइट्रेट जैसे किस विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ था, इसकी पुष्टि करने पर है। राूष्ट्रीय जांच एजेंसी और संबंधित एजेंसियां फंडिंग चैनल और सीमापार कनेक्शन जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की ओर पर शक कर रही हैं। हालांकि, सुबूत जुटाने के बाद ही इसका खुलासा किया जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों के एक महीने के बड़े ऑपरेशन ने इस मॉड्यूल की कमर तोड दी थी। दिल्ली की घटना उस टूटने की आखिरी और दुखद कड़ी थी।