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Telangana Politics: कम नहीं हो रहीं केसीआर की मुश्किलें; आखिर BRS को छोड़ नेता क्यों थाम रहे कांग्रेस का हाथ?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद Published by: काव्या मिश्रा Updated Sun, 07 Jul 2024 10:37 AM IST
सार

विधानसभा चुनाव के बाद से अभी तक सात विधायक और छह एमएलसी पार्टी छोड़ चुके हैं। यह सभी लोग बीआरएस का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। हाल ही में केसीआर को बड़ा झटका लगा था, जब पार्टी के दिग्गज नेता केशव राव ने कांग्रेस का दामन थामा था। 

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Despite KCR's efforts to keep flock together, BRS at receiving end with desertion of MLAs and MLCs
राज्यसभा सांसद के. केशव राव ने कांग्रेस का दामन थामा - फोटो : पीटीआई
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के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। तेलंगाना में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद से ही में पार्टी की परेशानियां बढ़ गई हैं। बीआरएस को लगातार विधायकों और एमएलसी के दलबदल का सामना करना पड़ रहा है। 

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अभी तक इतने नेताओं ने छोड़ा साथ
विधानसभा चुनाव के बाद से अभी तक सात विधायक और छह एमएलसी पार्टी छोड़ चुके हैं। यह सभी लोग बीआरएस का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। हाल ही में केसीआर को बड़ा झटका लगा था, जब पार्टी के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद के. केशव राव ने कांग्रेस का दामन थामा था। वह पहले भी कांग्रेस में ही थे, लेकिन बाद में केसीआर के साथ जाकर बीआरएस का दामन थाम लिया था।
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बीआरएस के लिए यही मात्र झटका नहीं था। इसके अलावा केशव राव की बेटी और हैदराबाद की महापौर विजया लक्ष्मी आर गडवाल सहित कई अन्य नेताओं ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया है। यह लोग भी कांग्रेस में शामिल हुए हैं।

राजनीतिक गलियारों में मजबूत बनाए रखना पार्टी के लिए कठिन
सत्तारूढ़ कांग्रेस तथा भाजपा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपनी बढ़त को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में बीआरएस के सामने नेताओं के पलायन के बाद खुद को राजनीतिक गलियारों में मजबूत बनाए रखने की कठिन चुनौती है। केसीआर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। वह लगातार अपने बचे हुए नेताओं को आश्वासन दे रहे हैं कि पार्टी सत्ता में वापसी करेगी क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी तेजी से अपनी लोकप्रियता खो रही है।

मार्च से शुरू हुए बुरे दिन
बीआरएस पार्टी के बुरे दिन मार्च से शुरू हुए। दरअसल, खैरताबाद से पार्टी विधायक दानम नागेंद्र ने सबसे पहले पार्टी से इस्तीफा दिया। वह केसीआर का साथ छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। वहीं, इस्तीफे का सिलसिला फिलहाल शनिवार को भी जारी रहा।गडवाल से विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी बीते दिन पार्टी को झटका देकर सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुए।  

विधायकों के अलावा, बीआरएस के छह एमएलसी गुरुवार देर रात सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुए। वहीं, अब पार्टी के लिए बुरी खबर यह है कि कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया कि आने वाले दिनों में और बीआरएस विधायक सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो सकते हैं।

पिछले साल मिली थी बीआरएस को जबरदस्त हार
बीआरएस ने पिछले साल हुए चुनावों में कुल 119 विधानसभा क्षेत्रों में से 39 पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस 64 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी। हालांकि, सिकंदराबाद कैंटोनमेंट से बीआरएस विधायक जी लास्या नंदिता की इस साल की शुरुआत में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। कांग्रेस ने हाल ही में सिकंदराबाद कैंटोनमेंट विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में जीत हासिल की। इससे कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़कर 65 हो गई।

कांग्रेस ने विधान परिषद में भी बढ़ाई सदस्यों की संख्या
तेलंगाना विधानपरिषद की वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में बीआरएस के पास 25 सदस्य हैं और कांग्रेस के चार सदस्य हैं।  40 सदस्यीय विधानपरिषद में चार मनोनीत सदस्य भी हैं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के दो, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीआरटीयू के एक-एक और एक निर्दलीय सदस्य भी हैं, जबकि दो सीट रिक्त हैं। रेवंत रेड्डी के गुरुवार रात राष्ट्रीय राजधानी की दो दिवसीय यात्रा से लौटने के तुरंत बाद ये सदस्य कांग्रेस में शामिल हुए, बीआरएस के छह नेताओं के कांग्रेस में शामिल हो जाने से तेलंगाना विधान परिषद में कांग्रेस सदस्यों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है।

बीआरएस ने जताई नाराजगी
बीआरएस ने विधायकों के दलबदल पर नाराजगी जताई है। उसने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की है। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने विधायकों के दलबदल को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर हमला किया और उनसे पूछा कि क्या यह तरीका संविधान की रक्षा करने जा रहा है।

रामाराव ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा, 'बीआरएस सांसद केशव राव ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद इस्तीफा दे दिया। उनके फैसले का स्वागत है। कांग्रेस के टिकट पर दलबदल कर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले बीआरएस विधायक का क्या? बीआरएस के उन आधा दर्जन विधायकों का क्या, जिन्होंने दलबदल कर कांग्रेस का दामन थाम लिया?'

उन्होंने आगे कहा, 'राहुल गांधी क्या आप इस तरह संविधान की रक्षा करने जा रहे हैं? यदि आप बीआरएस विधायकों को इस्तीफा नहीं देने के लिए मना सकते तो देश कैसे विश्वास करेगा कि आप कांग्रेस के घोषणापत्र के अनुसार 10 संशोधनों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं? यह कैसा न्याय पत्र है?'

कांग्रेस ने किया पलटवार
हालांकि, कांग्रेस एमएलसी और राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ ने बीआरएस पर पलटवार करते हुए याद दिलाया कि बीआरएस (तत्कालीन टीआरएस) ने सत्ता में रहने के दौरान दलबदल को बढ़ावा दिया था। बता दें, बीआरएस ने 2019 में 12 कांग्रेस विधायकों को भर्ती किया था। उन्होंने कहा कि बीआरएस अब दलबदल की बात कैसे कर सकती है। क्या बीआरएस ने दलबदल करने वालों को अपने पदों से इस्तीफा दिलवाया? उन्होंने आगे कहा कि बीआरएस अक्सर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटाने की बात करती थी और बीआरएस विधायकों ने इसे मंजूरी नहीं दी। 

लोकसभा में भी करारी हार
गौरतलब है, बीआरएस को हाल के लोकसभा चुनावों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा।  तेलंगाना में लोकसभा की 17 सीटों में से कांग्रेस और भाजपा ने आठ-आठ सीटों पर जीत दर्ज की है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद सीट बरकरार रखी है। विधायकों और अन्य नेताओं का इस्तीफा बीआरएस एमएलसी के. कविता के दिल्ली आबकारी नीति मामले में जेल जाने की पृष्ठभूमि में आया है। लोकसभा चुनाव से पहले कविता की गिरफ्तारी क्षेत्रीय पार्टी के लिए एक झटका थी।

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