सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Dog census essential for success of Animal Birth Control programme: Report

Stray Dogs: विशेषज्ञ बोले- आवारा कुत्तों के सटीक आंकड़े के बिना योजना नहीं बना सकते अधिकारी, गणना जरूरी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Tue, 18 Nov 2025 03:51 PM IST
सार

Stray Dogs: दिल्ली स्थित एक गैर-सरकारी थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि आवारा कुत्तों के ठोस आंकड़ों के बिना आश्रय गृह या नसबंदी की योजना नहीं बनाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों से हटाने का आदेश दिया था। 

विज्ञापन
Dog census essential for success of Animal Birth Control programme: Report
आवारा कुत्तों को बिरयानी खिलाएगी सरकार - फोटो : एडॉब स्टॉक
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के ठोस आंकड़े के बिना नगरपालिका अधिकारी आश्रय गृह या नसबंदी की योजना नहीं बना सकते, इसलिए पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए गणना जरूरी है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। 
Trending Videos


यह कार्यक्रम पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के तहत संचालित होता है। यह केंद्र सरकार की ओर से आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने और नसबंदी व टीकाकरण के माध्यम से मानव-संघर्ष को कम करने के लिए बनाए गए दिशानिर्देश हैं। 
विज्ञापन
विज्ञापन


ये भी पढ़ें: मराठवाड़ा में सिर्फ छह महीनों में 537 किसानों ने की खुदकुशी, जानें किस जिले में सर्वाधिक मामले

नई दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी थिंक टैंक 'एसया सेंटर' के विशेषज्ञों ने सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2022-2025 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 126 रेबीज से संबंधित मौतें दर्ज की गईं, जबकि दिल्ली में कोई मामला दर्ज नहीं हुआ। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया कि रेबीज से मौतों की संख्या में 'अधिक स्पष्टता की आवश्यकता' है, क्योंकि यह किसी भी स्तनधारी जानवर द्वारा फैल सकती है, जिसमें गाय और बंदर भी शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की संख्या को लेकर तीन लाख से 10 लाख तक के आंकड़े चर्चा में हैं।

ठोस आंकड़े के बिना आश्रय या नसबंदी की योजना असंभव: विशेषज्ञ
विशेषज्ञों ने कहा, बिना ठोस आंकड़े के नगरपालिका के अधिकारियों के लिए इन जानवरों के लिए आश्रय गृह या नसबंदी की योजना बनाना असंभव है। पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम की सफलता के लिए गणना जरूरी है। सात नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अस्पतालल और स्कूल जैसी सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों के काटने की घटनाओं में बढ़ोतरी को देखते हुए आवारा कुत्तों को तय किए गए आश्रय गृह में ले जाना चाहिए। 

ये भी पढ़ें: सऊदी बस हादसा: नमाज-ए-जनाजा के लिए रवाना होंगे मृतकों के करीब 50 परिजन; खाड़ी देश पहुंची तेलंगाना सरकार की टीम

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सहित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि भटकते जानवर और मवेशी हाईवे और एक्सप्रेसवे से हटाए जाएं। रिपोर्ट की लेखिका और एसया सेंटर की निदेशक मेघना बल पीटीआई से कहा, समुदाय में लोग गणना प्रयासों का समर्थन करने में शामिल किए जा सकते हैं। हमारे सर्वेक्षण में हमने पाया कि अधिकांश लोग पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रयासों का समर्थन करने के इच्छुक हैं। वे अपने देखभाल वाले जानवरों या अपने समुदाय में जानवरों का रजिस्टर बना सकते हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed