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CAA: विदेश मंत्री जयशंकर ने सीएए को सही ठहराया, कहा- आलोचना करने वालों को भारतीय इतिहास की समझ नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: गुलाम अहमद Updated Sun, 17 Mar 2024 02:00 AM IST
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सार

दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, यदि आप दुनिया के कई हिस्सों से लगातार आ रही टिप्पणियों को सुनते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं। सीएए के जरिए इस तरह की समस्या को संबोधित करना ही नहीं चाहिए।

EAM Jaishankar defends implementation of CAA, slammed critics on their understanding of history
Dr. S Jaishankar - फोटो : फाइल फोटो
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन को सही ठहराते हुए कहा कि जो लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं, उन्हें भारतीय इतिहास की समझ नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का उन लोगों के प्रति दायित्व है, जिन्हें विभाजन के समय निराश किया गया था।

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दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में शनिवार को विदेश मंत्री ने कहा, मैं उनके लोकतंत्र या उनके सिद्धांतों की खामियों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। मैं ऐसे लोगों को हमारे (भारत) इतिहास की उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं। यदि आप दुनिया के कई हिस्सों से लगातार आ रही टिप्पणियों को सुनते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं। सीएए के जरिए इस तरह की समस्या को संबोधित करना ही नहीं चाहिए।
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विदेश मंत्री ने गिनाए दुनिया के कई कानून
विदेश मंत्री ने दृढ़ता से सीएए के कार्यान्वयन का बचाव किया और आलोचकों को अपनी नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने को कहा। जयशंकर ने कहा, दुनिया में ऐसे कई देश हैं जिन्होंने नागरिक संबंधी कानून बनाए हैं। उन्होंने कहा, मैं आपको कुछ उदाहरण से समझाना चाहूंगा। क्या आपने जैक्सन-वनिक संशोधन के बारे में सुना है, जो सोवियत संघ के यहूदियों के बारे में है, जिसके तहत अमेरिका में यहूदी को प्रवेश की अनुमति दी गई। आप खुद से ही सवाल करें कि सिर्फ यहूदी ही क्यों। इसके अलावा 1999 का लॉटेनबर्ग संशोधन भी इसका उदाहरण है, इसमें तीन देशों के अल्पसंख्यकों के एक समूह को शरणार्थी का दर्जा दिया गया और अंततः नागरिकता दी गई। इसमें ईसाई और यहूदी प्रमुख थे। इसके अलावा स्पेक्टर संशोधन भी इसी तरह का उदाहरण है।

यूरोप में तो नागरिकता के लिए फास्ट ट्रैक अपनाते हैं
विदेश मंत्री ने कहा कि अगर आप यूरोप को देखेंगे तो कई यूरोपीय देश उन लोगों की नागरिकता देने के लिए फास्ट ट्रैक अपनाते हैं, जो विश्व युद्ध में क कहीं छूट गए थे। कुछ केस में तो विश्व युद्ध से पहले का भी उदाहरण है। दुनिया में इस तरह के कानून के बहुत सारे उदाहरण हैं।

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