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ED: सट्टेबाजी से कमाए 150 करोड़, तीन मुल्कों में पैसा ट्रांसफर, 30000 रुपये की शिकायत से हुआ MLA का पर्दाफाश

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Thu, 16 Oct 2025 03:19 PM IST
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सार

अवैध सट्टेबाजी प्लेटफार्म की मदद से करोड़ा रुपये की आपराधिक आय जुटाने के इस केस में फंसे 'पप्पी', अभी ईडी की हिरासत में हैं।  ईडी को इस केस की जांच से बड़े सट्टेबाजी रैकेट का पता चला है। 

ED: 150 crore rupees earned from betting, money transferred to three countries
ईडी - फोटो : ANI
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विस्तार
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कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के विधायक केसी वीरेंद्र उर्फ पप्पी का मामला किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। अवैध सट्टेबाजी प्लेटफार्म की मदद से करोड़ा रुपये की आपराधिक आय जुटाने के इस केस में फंसे 'पप्पी', अभी ईडी की हिरासत में हैं। उनकी पत्नी आरडी चैत्रा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी। उसमें विभिन्न आधार देकर केसी वीरेंद्र की गिफ्तारी को अवैध, मनमाना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन, घोषित करने का अनुरोध किया गया।

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उच्च न्यायालय के समक्ष ये तर्क भी दिया गया कि केसी. वीरेंद्र के खिलाफ अधिकांश एफआईआर बंद कर दी गई थीं या उनमें समझौता हो गया। केवल एक ही शिकायत बची है, जो मात्र तीस हजार रुपये के मामले से संबंधित है। ईडी की ओर से पेश हुए कर्नाटक के एएसजी ने अदालत के समक्ष '30,000' रुपये की शिकायत से जुड़े ऐसे ठोस तर्क रखे कि कोर्ट ने केसी वीरेंद्र की गिरफ्तारी को बरकरार रखा। इतना ही नहीं, उक्त रिट याचिका को भी खारिज कर दिया। एएसजी ने कहा, ये तो बस एक छोटी सी झलक है। इस केस की जड़े बहुत गहरी हैं।  ईडी को इस केस की जांच से बड़े सट्टेबाजी रैकेट का पता चला है। 
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कैसीनो के जरिए हुआ था फंड ट्रांसफर
आरोपी की तरफ से धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत ईडी, बीजीजेडओ द्वारा केसी वीरेंद्र की गिरफ्तारी को अवैध, मनमाना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन घोषित करने के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष कई आधार प्रस्तुत किए गए थे। उच्च न्यायालय ने 15 अक्तूबर के आदेश के तहत ईडी, बीजीजेडओ द्वारा केसी वीरेंद्र की गिरफ्तारी को बरकरार रखा। उक्त रिट याचिका को भी खारिज कर दिया। ईडी ने अवैध ऑनलाइन/ऑफलाइन सट्टेबाजी और जुए के जरिए धोखाधड़ी से जुड़ी कई एफआईआर के आधार पर इस केस की जांच शुरू की थी। केसी वीरेंद्र और उनके सहयोगियों ने फोनपैसा पेमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड जैसे पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल करके अवैध सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म (जैसे किंग567) का संचालन किया। भारत, श्रीलंका, नेपाल और दुबई में फर्जी कंपनियों और कैसीनो के जरिए फंड ट्रांसफर किए गए। 

150 करोड़ रुपये की आपराधिक आय
इस केस की जांच में सामने आया है कि अनुमानित अपराध की आय (पीओसी) करोड़ों रुपयों में है। ईडी की शुरुआती जांच से पता चला है कि केसी वीरेंद्र सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े नेटवर्क का किंगपिन है। वह  परिवार द्वारा संचालित संस्थाओं और विदेशी कैसीनो का इस्तेमाल, लूट के पैसे को निवेश करने के लिए करता है। ईडी ने वीरेंद्र को 23 अगस्त को गंगटोक, सिक्किम से गिरफ्तार किया था। पूछताछ में अभी तक 150 करोड़ रुपये की आपराधिक आय का पता लगाया गया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि केसी वीरेंद्र के खिलाफ अधिकांश एफआईआर बंद कर दी गई थीं या उनमें समझौता कर लिया गया था। केवल एफआईआर संख्या 218/2022 ही लंबित रह गई थी। यह एफआईआर भी 30,000 रुपये के विवाद से संबंधित थी, जिसे एक दीवानी मामले के रूप में माना गया। इसमें 'बी' रिपोर्ट (क्लोजर रिपोर्ट) दायर की गई। केसी वीरेंद्र के खिलाफ फोनपैसा या सट्टेबाजी से जुड़े कोई प्रत्यक्ष आरोप या संबंध, नहीं थे। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी, जांच एजेंसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर थी। याचिकाकर्ता के वकील ने इसे 'पीएमएलए' की धारा 19 के तहत उचित प्रक्रिया का उल्लंघन बताया था।  

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30,000 रुपये की शिकायत, एक छोटी सी झलक
ईडी की ओर से पेश हुए कर्नाटक के एएसजी ने जोरदार तर्क दिया कि 30,000 रुपये की शिकायत तो बस एक छोटी सी झलक है। ईडी की जांच में एक बड़े सट्टेबाजी रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। पीएमएलए की धारा 19 के तहत उनकी गिरफ्तारी के लिए 'विश्वास करने का कारण' बनाने की पर्याप्त सामग्री मौजूद थी। फंड ट्रेल्स का पता लगाने और विदेशी लिंक की पहचान करने के लिए हिरासत में पूछताछ आवश्यक थी। यह भी तर्क दिया गया कि हालांकि शिकायत केवल 30,000/- रुपये की राशि से संबंधित है। ईडी के पीएमएलए, 2002 की धारा 2 (1) (यू) के अनुसार, पीओसी में न केवल अनुसूचित अपराध से प्राप्त या अर्जित की गई संपत्ति शामिल हैं, बल्कि दूसरी संपत्तियां भी शामिल हैं जो अनुसूचित अपराध से संबंधित किसी आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त या अर्जित की जा सकती हैं। 

ज्यादा भी हो सकती है आपराधिक आय
उक्त आधार पर, यह तर्क दिया गया कि आपराधिक आय 'पीओसी' वर्तमान एफआईआर में उल्लिखित से अधिक हो सकती है। वर्तमान साइबर धोखाधड़ी मामले में, आमतौर पर बहुत कम व्यक्तियों द्वारा शिकायत दी जाती है, जिनके साथ धोखाधड़ी की जाती है। एफआईआर संख्या 218/2022 ऐसा ही एक उदाहरण है और इसकी जांच से प्रतिवादी को परिष्कृत आपराधिक गतिविधि के एक बड़े नेटवर्क का पता चला है, जिसमें कई व्यक्तियों को लुभाने और उन्हें धोखा देने और पीओसी प्राप्त करने की बात शामिल है। यह पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत एक अपराध है। उच्च न्यायालय ने पाया कि पीएमएलए के तहत पूर्व शर्त को पूरा करने वाला एक विधेय अपराध मौजूद था, क्योंकि पीएमएलए के तहत कार्यवाही तब तक जारी रह सकती है जब तक कि 'बी' रिपोर्ट न्यायिक रूप से स्वीकार नहीं हो जाती। 

ईडी के पास पर्याप्त सामग्री है
इस तरह के अनुसूचित अपराध से उत्पन्न पीओसी के अस्तित्व के संबंध में, ईडी द्वारा अनुसूचित अपराध से कहीं अधिक पीओसी के संबंध में किए गए प्रस्तुतीकरणों पर भरोसा करने के साथ-साथ विश्वास करने के कारणों और गिरफ्तारी के आधार के प्रासंगिक उद्धरणों के अवलोकन के बाद, उच्च न्यायालय ने केसी वीरेंद्र को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के ईडी के औचित्य को उचित पाया है। वजह, क्योंकि उपलब्ध सामग्री से पता चलता है कि केसी वीरेंद्र, कथित अवैध सट्टेबाजी ऐप चलाने, सट्टेबाजी ऐप के जरिए लोगों को ठगने और पीओसी हासिल करने में शामिल है। उच्च न्यायालय ने पाया कि ईडी के पास पर्याप्त सामग्री है, जो यह मानने के लिए पर्याप्त कारण देती है कि याचिकाकर्ता का पति पीएमएलए, 2002 के तहत दंडनीय अपराध का दोषी है।

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