ED: बैंक मैनेजर ने लोन काउंसलर से मिल वाहन ऋण धोखाधड़ी की, वोल्वो-मर्सिडीज-लैंड रोवर जैसी गाड़ियां खरीदीं
अमर कुलकर्णी ने 2017-2019 के दौरान एसबीआई, यूनिवर्सिटी रोड शाखा, पुणे में मुख्य प्रबंधक के रूप में कार्य किया था। उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। एसबीआई, पुणे में ऑटो लोन काउंसलर आदित्य सेठिया और कुछ उधारकर्ताओं के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा।
विस्तार
एसबीआई बैंक की एक शाखा में महज दो साल मैनेजर रहा। इस कार्यकाल के दौरान बैंक मैनेजर ने जमकर अपने पद का दुरुपयोग किया। ऋण लेने वालों और कार डीलरों के साथ मिलकर वाहन ऋण धोखाधड़ी को अंजाम दिया। नतीजा, उधारकर्ताओं ने झूठे दस्तावेजों के आधार पर बीएमडब्ल्यू-वोल्वो-मर्सिडीज-लैंड रोवर जैसी गाड़ियां खरीद ली। ईडी ने जब इस मामले की जांच की तो ऋण धोखाधड़ी का मामला सामने आया।
आरोप है कि अमर कुलकर्णी ने 2017-2019 के दौरान एसबीआई, यूनिवर्सिटी रोड शाखा, पुणे में मुख्य प्रबंधक के रूप में कार्य किया था। उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। एसबीआई, पुणे में ऑटो लोन काउंसलर आदित्य सेठिया और कुछ उधारकर्ताओं के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा। धोखाधड़ी से उच्च मूल्य के कार ऋणों की प्रक्रिया और सिफारिश करके एसबीआई को धोखा दिया। ईडी ने सीबीआई, एसीबी, पुणे और शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन, पुणे द्वारा आईपीसी, 1860 और पीसी अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर उक्त मामले की जांच शुरू की।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), मुंबई जोनल कार्यालय ने 25-26 नवंबर को पुणे में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत ऋण लेने वालों, कार डीलरों के साथ-साथ एसबीआई के तत्कालीन शाखा प्रबंधक के 12 आवासीय और कार्यालय परिसरों में छापेमारी की है। ईडी की जांच से पता चला है कि आरोपी कर्जदारों ने जाली दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी से उच्च मूल्य के कार ऋण प्राप्त किए। बैंक के साथ धोखाधड़ी की। इसके अलावा, आरोपी लोक सेवक अमर कुलकर्णी ने उक्त साजिश के तहत, बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए, उक्त फर्जी/जाली दस्तावेजों का सत्यापन किए बिना, आरोपी कर्जदारों के उच्च मूल्य के कार ऋण प्रस्तावों को अनुचित और बेईमानी से संसाधित और अनुशंसित किया। कई मामलों में, ऋण में शामिल मार्जिन मनी बढ़ाने के लिए बैंक को बढ़ी हुई राशि के साथ फर्जी कोटेशन प्रस्तुत किए गए। इसके बाद झूठे दस्तावेजों का उपयोग करके ऋण स्वीकृत हुए।
ईडी की जांच में यह पता चला है कि ऋण एजेंट और एसबीआई के शाखा प्रबंधक के साथ मिलीभगत करके, उधारकर्ताओं ने झूठे दस्तावेज़ों के आधार पर बीएमडब्ल्यू, वोल्वो, मर्सिडीज़, लैंड रोवर आदि जैसी कई महंगी कारें खरीदी थीं। तलाशी कार्यवाही के दौरान, ऋण उधारकर्ताओं द्वारा खरीदी गई विभिन्न अचल संपत्तियों की पहचान हुई। आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं। साथ ही पीएमएलए, 2002 की धारा 17 के तहत उनके परिसरों से कई महंगी कारें जब्त की गईं हैं।
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