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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज सहित 175 हस्तियों का पत्र: विपक्ष से कहा- बिहार का जनादेश अस्वीकार करें, जानिए मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद।
Published by: निर्मल कांत
Updated Thu, 20 Nov 2025 03:05 PM IST
सार
देश के 175 जानी-मानी हस्तियों ने बिहार चुनाव के नतीजों, एसआईआर को लेकर खुला पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि वह इन चुनावों के नतीजों को अस्वीकार करे। उन्होंने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव आयोग की मांग की।
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बिहा चुनाव परिणाम (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी सहित 175 प्रमुख हस्तियों ने बिहार चुनाव, चुनाव आयोग और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर खुला पत्र लिखा है। इन दिग्ज हस्तियों ने बिहार चुनाव परिणाम को धोखाधड़ी माना है और विपक्षी से आग्रह किया है कि वह इन नतीजों को स्वीकार न करे।
खुले पत्र में कहा गया, हम देश के नागरिक पूरी तरह पारदर्शी, जवाबदेह, मुक्त और निष्पक्ष चुनावों की मांग करते हैं। हम बिहार चुनाव परिणाम को धोखाधड़ी मानते हैं और विपक्ष से भी यही मांग करते हैं कि वह इन परिणामों को स्वीकार न करे।
इन हस्थतियों ने आगे कहा कि एसआईआर की मौजूद प्रणाली एक ऐसी सरकार की इच्छा पूरी करती है, जो किसी भी तरह सत्ता बनाए रखना चाहती है। बदलाव के नाम पर मनमानी चुनाव प्रक्रिया होती है। हमने दर्शक, विश्लेषक और टिप्पणीका के रूप में यह सब देखा है कि यह बदली हुई व्यवस्था कैसे लोकतंत्र पर असर डालती है और पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों को नजरअंदाज करती है।
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उन्होंने आगे कहा, यह हमारे लोकतंत्र और हमारे संविधान की रक्षा की लड़ाई का एक नया अध्याय है। अब धोखाधड़ी का खेल खुले तौर पर सामने आ गया है। मतदाताओं को जानबूझकर हटाया जा रहा है और उतनी ही सावधानी से नए मतदाता जोड़े जा रहे हैं, ताकि एक खास ताकत के उम्मीदवार जीत सकें। हम बिहार की जनता के साथ खड़े हैं और इन चुनाव परिणामों को अस्वीकार करते हैं।
पत्र में आगे कहा गया, चुनाव आयोग के अनुसार एसआईआर प्रक्रिया 2003 की प्रक्रिया पर आधारित है, लेकिन वास्तव में उससे कोई मेल नहीं खाती। इसमें चालाकी से हर मतदाता के लिए एक नया फॉर्म जोड़ दिया गया है, जिससे उन्हें दोबारा मतदाता सूची में नाम लिखवाना पड़ता है। नाम हटाने की प्रक्रिया और अंतिम सूची किसी तरह की पारदर्शिता नहीं दिखाती और कोई जवाबदेही नहीं लेती। यह बदली हुई प्रक्रिया एक भेदभावपूर्ण सूची देती है, जिसमें बिहार में लाखों लोग मताधिकार से वंचित हो गए।
इन प्रमुख हस्तियों ने आगे कहा, हम भारत के मतदाताओं के रूप में एकजुट होकर खड़े हैं। हम मानते हैं कि कोई भी योग्य मतदाता नहीं छूटना चाहिए। हमें राजनीतिक विपक्ष से निराशा है, क्योंकि उन्होंने इस बदली हुई चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लिया। लोगों के बीच मतदाता अधिकार यात्रा को समर्थन मिलने के बावजूद चुनाव में शामिल होना धोखाधड़ी से बनी इस सरकार को वैधता देता है।
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इसके अलावा, विपक्ष ने देश के जमीनी नागरिक संगठनों के साथ रणनीतिक रूप से काम करने की भी कम क्षमता दिखाई है। नागरिक समाज ने इस चुनावी संकट के दौर में कई प्रभावी कदम उठाए हैं। हम विपक्षी दलों से अपील करते हैं कि वे बिहार चुनावों से सीख लें और मिलकर ऐसा माहौल बनाएं जिससे लोकतंत्र मजबूत हो सके। उन्हें जनता के साथ मिलकर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, जैसे-जैसे आगे 12 और राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया लागू होने वाली है, हम चुप नहीं बैठेंगे। चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल दिख रहा है और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है। चुनाव आयोग ने उन मूल्यों को ठेस पहुंचाई है, जिन पर उसका निर्माण हुआ था। इन प्रमुख हस्तियों ने आरोप लगाया कि मौजूदा नेतृत्व में चुनाव आयोग एक रक्षक की जगह भक्षक का काम कर रहा है। हम भारत के चुनाव आयोग को उसकी मौजूदा स्थिति में वैध नहीं मानते। हम एक बार फिर एक निष्पक्ष, गैर-राजनीतिक और सांविधानिक सिद्धाओं के अनुरूप चुनाव आयोग के लिए संघर्ष करेंगे।
खुले पत्र में हस्ताक्षर करने वाली हस्तियों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी देवश्याम एमजी, राजनीतिक अर्थशास्त्री और लेखक पराकला प्रभाकर, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज शंकर केजी, फिल्म अभिनेता प्रकाश राज, तकनीकी और सुरक्षा सलाहकार माधव देशपांडे, जनतंत्र समाज (बिहार) के राम शरण, बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता राशिद हुसैन जैसे नाम शामिल हैं।
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खुले पत्र में कहा गया, हम देश के नागरिक पूरी तरह पारदर्शी, जवाबदेह, मुक्त और निष्पक्ष चुनावों की मांग करते हैं। हम बिहार चुनाव परिणाम को धोखाधड़ी मानते हैं और विपक्ष से भी यही मांग करते हैं कि वह इन परिणामों को स्वीकार न करे।
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इन हस्थतियों ने आगे कहा कि एसआईआर की मौजूद प्रणाली एक ऐसी सरकार की इच्छा पूरी करती है, जो किसी भी तरह सत्ता बनाए रखना चाहती है। बदलाव के नाम पर मनमानी चुनाव प्रक्रिया होती है। हमने दर्शक, विश्लेषक और टिप्पणीका के रूप में यह सब देखा है कि यह बदली हुई व्यवस्था कैसे लोकतंत्र पर असर डालती है और पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों को नजरअंदाज करती है।
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उन्होंने आगे कहा, यह हमारे लोकतंत्र और हमारे संविधान की रक्षा की लड़ाई का एक नया अध्याय है। अब धोखाधड़ी का खेल खुले तौर पर सामने आ गया है। मतदाताओं को जानबूझकर हटाया जा रहा है और उतनी ही सावधानी से नए मतदाता जोड़े जा रहे हैं, ताकि एक खास ताकत के उम्मीदवार जीत सकें। हम बिहार की जनता के साथ खड़े हैं और इन चुनाव परिणामों को अस्वीकार करते हैं।
पत्र में आगे कहा गया, चुनाव आयोग के अनुसार एसआईआर प्रक्रिया 2003 की प्रक्रिया पर आधारित है, लेकिन वास्तव में उससे कोई मेल नहीं खाती। इसमें चालाकी से हर मतदाता के लिए एक नया फॉर्म जोड़ दिया गया है, जिससे उन्हें दोबारा मतदाता सूची में नाम लिखवाना पड़ता है। नाम हटाने की प्रक्रिया और अंतिम सूची किसी तरह की पारदर्शिता नहीं दिखाती और कोई जवाबदेही नहीं लेती। यह बदली हुई प्रक्रिया एक भेदभावपूर्ण सूची देती है, जिसमें बिहार में लाखों लोग मताधिकार से वंचित हो गए।
इन प्रमुख हस्तियों ने आगे कहा, हम भारत के मतदाताओं के रूप में एकजुट होकर खड़े हैं। हम मानते हैं कि कोई भी योग्य मतदाता नहीं छूटना चाहिए। हमें राजनीतिक विपक्ष से निराशा है, क्योंकि उन्होंने इस बदली हुई चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लिया। लोगों के बीच मतदाता अधिकार यात्रा को समर्थन मिलने के बावजूद चुनाव में शामिल होना धोखाधड़ी से बनी इस सरकार को वैधता देता है।
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इसके अलावा, विपक्ष ने देश के जमीनी नागरिक संगठनों के साथ रणनीतिक रूप से काम करने की भी कम क्षमता दिखाई है। नागरिक समाज ने इस चुनावी संकट के दौर में कई प्रभावी कदम उठाए हैं। हम विपक्षी दलों से अपील करते हैं कि वे बिहार चुनावों से सीख लें और मिलकर ऐसा माहौल बनाएं जिससे लोकतंत्र मजबूत हो सके। उन्हें जनता के साथ मिलकर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, जैसे-जैसे आगे 12 और राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया लागू होने वाली है, हम चुप नहीं बैठेंगे। चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल दिख रहा है और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है। चुनाव आयोग ने उन मूल्यों को ठेस पहुंचाई है, जिन पर उसका निर्माण हुआ था। इन प्रमुख हस्तियों ने आरोप लगाया कि मौजूदा नेतृत्व में चुनाव आयोग एक रक्षक की जगह भक्षक का काम कर रहा है। हम भारत के चुनाव आयोग को उसकी मौजूदा स्थिति में वैध नहीं मानते। हम एक बार फिर एक निष्पक्ष, गैर-राजनीतिक और सांविधानिक सिद्धाओं के अनुरूप चुनाव आयोग के लिए संघर्ष करेंगे।
खुले पत्र में हस्ताक्षर करने वाली हस्तियों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी देवश्याम एमजी, राजनीतिक अर्थशास्त्री और लेखक पराकला प्रभाकर, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज शंकर केजी, फिल्म अभिनेता प्रकाश राज, तकनीकी और सुरक्षा सलाहकार माधव देशपांडे, जनतंत्र समाज (बिहार) के राम शरण, बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता राशिद हुसैन जैसे नाम शामिल हैं।