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इतिहास में दर्ज इन फिल्मों को अब नहीं देख पाएंगे आप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sun, 29 Jul 2018 04:31 PM IST
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Film history is shattered, now You will not find these old movies

सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय (एनएफएआई) का मुख्य उद्देश्य होता है फिल्मी इतिहास को सहेजना। जिसमें भारतीय फिल्मों के साथ साथ विश्व सिनेमा भी शामिल होता है। लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक यह सरकारी संस्था सिनेमा की अमर कृतियों को संरक्षित करने के प्रति उदासीन है। संग्रहालय से हजारों फिल्में ही नहीं बल्कि हमारा इतिहास भी लापता हुआ है। चलिए आपको उन फिल्मों के बारे में बताते हैं जो अब आप कभी नहीं देख पाएंगे-

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आलम आरा

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गायब हुई फिल्मों में आलम आरा का नाम भी शामिल है। यह फिल्म साल 1931 में आई थी। यह भारत की पहली टॉकीज फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी थे। जिन्होंने सिनेमा में ध्वनि के महत्व को समझते हुए आलम आरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया।  यह उर्दू भाषा में बनाई गई थी।

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मिल (मजदूर)

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यह फिल्म साल 1934 में आई थी। यह पहली ऐसी भारतीय टॉकीज फिल्म थी जिसे ब्रिटिश सेंसर ने बैन किया था। यह फिल्म प्रेमचंद ने मिल हड़ताल पर लिखी थी। यह भी संग्रहालय से गायब है।

राजा हरिश्चंद्र

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साल 1913 में दादा साहेब फालके की क्लासिक फिल्म राजा हरिश्चंद्रर आई थी। फिल्म के प्रिंट एक अग्नि दुर्घटना में जल गए।

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जिंदगी

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इन समाप्त हुई फिल्मों में जिंदगी नाम की फिल्म भी शामिल है। यह फिल्म साल 1940 में आई थी। इस फिल्म के गीत आज भी लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं। फिल्म का एक गीत - सो जा राजकुमारी.. सो जा.. को आज भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया जाता है।

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