Election Commission In 2025: वोट चोरी से लेकर 12 राज्यों में SIR तक, इन कारणों से सुर्खियों में रहा चुनाव आयोग
चुनाव आयोग इस साल वोट चोरी से लेकर 12 राज्यों में एसआईआर तक कई कारणों के वजह से चर्चाओं में रहा। आयोग 2026 में बाकी 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी एसआईआर कराने वाला है। जानें और किन कारण से चुनाव आयोग की हुई चर्चा।
विस्तार
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने चुनाव आयोग और भाजपा पर "वोट चोरी" के आरोप लगाए थे। इन आरोपों से जूझते हुए चुनाव आयोग ने इस वर्ष 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन संशोधन किया। वहीं, असम में भी एक 'विशेष संशोधन' किया। आयोग 2026 में शेष 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी इसी तरह का अभ्यास करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
असम के साथ अन्य 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में होगा एसआईआर
हालांकि चुनाव आयोग को सुर्खियों में बनाए रखने वाली यह प्रक्रिया बिहार में पूरी हो चुकी है, लेकिन असम और अन्य 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह अभी भी जारी है, जहां लगभग 60 करोड़ मतदाता हैं। अधिकारियों ने बताया कि शेष 40 करोड़ मतदाताओं को अगले साल चरणबद्ध तरीके से कवर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह अभ्यास अब तक सफल रहा है और बाकी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी रहेगा। मतदाताओं द्वारा साझा की गई जानकारियों को डिजिटाइज किए जाने के साथ चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि संभवत आने वाले वर्षों में, मतदाता सूची की सफाई प्रक्रिया अधिक स्वचालित और बैकएंड संचालित हो जाएगी।
यह भी पढ़ें- High Court: बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए कानून बनाए सरकार, मद्रास हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
दशकों बाद बिहार चुनाव में कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई
इस वर्ष, एसआईआर के अलावा चुनाव प्राधिकरण ने बिहार में विधानसभा चुनाव भी कराए। शायद दशकों में यह पहली बार था कि चुनाव के दिन कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई। इसके साथ ही 243 विधानसभा सीटों में से किसी भी मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान की सिफारिश नहीं की गई। बिहार पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां मतदान केंद्रों का युक्तिकरण किया गया है, जिससे प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,500 से घटाकर 1,200 कर दी गई है। इससे मतदान के दिन लगने वाली कतारें कम होंगी।
मतदान प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए उठाए कई कदम
इसके साथ ही मतदान प्राधिकरण ने मतदान प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए। अब लोग मतदान केंद्र के बाहर तक मोबाइल फोन ले जा सकते हैं और उन्हें फोन डिपॉजिट बॉक्स में जमा कर सकते हैं। अब तक मतदान केंद्रों में फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी और उन्हें जमा करने की कोई सुविधा भी नहीं थी।
यह भी पढ़ें- Dr Manmohan Singh: पूर्व पीएम को राहुल गांधी समेत कृतज्ञ राष्ट्र ने दी श्रद्धांजलि, जानिए किसने क्या कहा?
वोट चोरी पर तीखी बहस
इस साल कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बीच वोट चोरी के आरोपों को लेकर तीखी बहस भी देखने को मिली। यह पहली बार था जब मुख्य चुनाव आयोग ने एक वरिष्ठ राजनीतिक नेता से ऐसे आरोप लगाने के लिए माफी मांगने को कहा, जिन्हें साबित नहीं किया जा सका। इंडिया ब्लॉक के कई नेताओं ने दावा किया था कि मतदाता सूची की सफाई के अभियान से करोड़ों वास्तविक, योग्य मतदाता दस्तावेजों की कमी के कारण अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो जाएंगे। कई राजनीतिक दलों ने तो विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) पर रोक लगाने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख भी किया था। शीर्ष न्यायालय ने चुनाव आयोग को मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के इच्छुक मतदाताओं से स्वीकार किए जाने वाले 13वें दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड को जोड़ने का निर्देश दिया, लेकिन इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि मतदाता सूचियों को साफ करने के लिए एसआईआर लागू करने की शक्तियां उसके पास हैं।
बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद, एसआईआर का विरोध करने वाली पार्टियों की प्रतिक्रिया शांत रही। विपक्ष द्वारा एसआईआर को अपने वोट चोरी के दावों से जोड़ने का प्रयास बिहार विधानसभा चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रहा है। जब चुनाव आयोग बिहार में एसआईआर की तैयारी कर रहा था, तब उसके अधिकारियों ने दावा किया था कि उसके जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं द्वारा बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के कई नागरिकों का पता लगाया गया था। हालांकि चुनाव प्राधिकरण ने ऐसे लोगों की कोई संख्या या सबूत साझा नहीं किया जो मतदाता सूची में शामिल होने के योग्य नहीं थे। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के दावों को भाजपा और उसके सहयोगियों से जुड़े न रहने वाले मतदाताओं को निशाना बनाने के लिए एसआईआर को अंजाम देने की एक चाल करार दिया था।
बिहार एसआईआर से सबक लेते हुए, चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियमों में संशोधन किया। मतदाताओं से कहा गया कि वे आंशिक रूप से भरे हुए जनगणना प्रपत्र जमा करने के बाद दस्तावेज प्रस्तुत करें, बशर्ते पृष्ठभूमि में काम करने वाले कर्मचारी पिछली एसआईआर अंतिम मतदाता सूची से उनके नाम का मिलान करने में विफल रहे हों। अधिकांश राज्यों में मतदाता सूची का अंतिम एसआईआर 2002 और 2004 के बीच था। अधिकांश संस्थाओं ने अपने-अपने राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित अंतिम एसआईआर के अनुसार वर्तमान मतदाताओं का मतदाताओं के साथ मानचित्रण लगभग पूरा कर लिया है।
विदेशी अवैध प्रवासियों को बाहर करना एसआईआर का उद्देश्य
एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य जन्मस्थान की जांच करके विदेशी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना है। बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न राज्यों में अवैध प्रवासियों पर की जा रही कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण हो जाता है। चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरुआत में संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के अनुरोध के बाद छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों की एसआईआर की समय सीमा बढ़ा दी थी।
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.