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Kerala: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम के घंटे बढ़ाने के विरोध में उतरे डॉक्टर, सरकार को दी चेतावनी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम
Published by: नितिन गौतम
Updated Fri, 26 Dec 2025 01:21 PM IST
सार
केरल में सरकार ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की ड्यूटी की समयसीमा सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक कर दी है। जिस पर राज्य के सरकारी डॉक्टर भड़क गए है। उनका कहना है कि वे पहले से ही काम के बोझ में दबाव में काम कर रहे हैं। ऐसे में सरकार का फैसला बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है।
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सरकार के फैसले से डॉक्टर नाराज
- फोटो : Freepik
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विस्तार
केरल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम के घंटे सुबह नौ बजे से लेकर शाम छह बजे तक बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले से सरकारी डॉक्टरों ने नाराजगी जताई है। केरल के सरकारी डॉक्टरों के संगठन केरल गवर्नमेंट मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (KGMOA) ने कहा कि इस कदम से डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर बोझ पड़ेगा, जो पहले से ही ज्यादा काम कर रहे हैं। संगठन ने स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ की संख्या बढ़ाने की मांग की।
डॉक्टर्स के एसोसिएशन ने क्या कहा
एसोसिएशन ने केरल सरकार के इस फैसले को अव्यावहारिक और अन्यायपूर्ण बताया, साथ ही कहा कि यह फैसला जमीनी हकीकत को ध्यान में रखे बिना लिया गया है। KGMOA ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, परिवार स्वास्थ्य केंद्रों से बहुत अलग परिस्थितियों में काम करते हैं और उनकी ज़िम्मेदारियां भी ज्यादा होती हैं। एसोसिएशन ने कहा कि बेहद कम स्टाफ संख्या पर मौजूदा सरकारी नियमों का पालन नहीं किया जा सकता और हाल के वर्षों में स्वास्थ्य केंद्रों में कोई नई पोस्ट भी नहीं बनाई गई है।
संगठन ने सरकार को दी चेतावनी
एसोसिएशन ने कहा कि कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ तीन डॉक्टरों के साथ काम कर रहे हैं। ओपीडी के घंटे शाम तक बढ़ाने का मतलब होगा कि, इंचार्ज ऑफिसर के अलावा, सिर्फ दो डॉक्टरों को शाम 6 बजे तक OPD संभालनी होगी। इससे ऐसी स्थिति आ सकती है कि सुबह के भीड़भाड़ वाले घंटों में ओपीडी में सिर्फ एक डॉक्टर ही उपलब्ध होगा। बयान में कहा गया है, 'ओपीडी में सिर्फ एक डॉक्टर के होने से असंतोष, झगड़े होंगे और इलाज की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।' KGMOA ने यह चेतावनी दी कि वह किसी भी ऐसे कदम का कड़ा विरोध करेगा जिससे डॉक्टरों पर और दबाव बढ़ेगा, जो ज़्यादा काम के बोझ के चलते अपने हक की छुट्टी भी नहीं ले पा रहे हैं।
एसोसिएशन ने सरकार से मांग की कि तुरंत संशोधित आदेश वापस लें और ऐसे फैसले लेने से पहले पर्याप्त मानव संसाधन सुनिश्चित करे।
ये भी पढ़ें- High Court: बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए कानून बनाए सरकार, मद्रास हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
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डॉक्टर्स के एसोसिएशन ने क्या कहा
एसोसिएशन ने केरल सरकार के इस फैसले को अव्यावहारिक और अन्यायपूर्ण बताया, साथ ही कहा कि यह फैसला जमीनी हकीकत को ध्यान में रखे बिना लिया गया है। KGMOA ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, परिवार स्वास्थ्य केंद्रों से बहुत अलग परिस्थितियों में काम करते हैं और उनकी ज़िम्मेदारियां भी ज्यादा होती हैं। एसोसिएशन ने कहा कि बेहद कम स्टाफ संख्या पर मौजूदा सरकारी नियमों का पालन नहीं किया जा सकता और हाल के वर्षों में स्वास्थ्य केंद्रों में कोई नई पोस्ट भी नहीं बनाई गई है।
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संगठन ने सरकार को दी चेतावनी
एसोसिएशन ने कहा कि कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ तीन डॉक्टरों के साथ काम कर रहे हैं। ओपीडी के घंटे शाम तक बढ़ाने का मतलब होगा कि, इंचार्ज ऑफिसर के अलावा, सिर्फ दो डॉक्टरों को शाम 6 बजे तक OPD संभालनी होगी। इससे ऐसी स्थिति आ सकती है कि सुबह के भीड़भाड़ वाले घंटों में ओपीडी में सिर्फ एक डॉक्टर ही उपलब्ध होगा। बयान में कहा गया है, 'ओपीडी में सिर्फ एक डॉक्टर के होने से असंतोष, झगड़े होंगे और इलाज की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।' KGMOA ने यह चेतावनी दी कि वह किसी भी ऐसे कदम का कड़ा विरोध करेगा जिससे डॉक्टरों पर और दबाव बढ़ेगा, जो ज़्यादा काम के बोझ के चलते अपने हक की छुट्टी भी नहीं ले पा रहे हैं।
एसोसिएशन ने सरकार से मांग की कि तुरंत संशोधित आदेश वापस लें और ऐसे फैसले लेने से पहले पर्याप्त मानव संसाधन सुनिश्चित करे।
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