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क्या ऐसे में राहुल गांधी के लिए 24 लाख नौकरियां देना संभव हो पाएगा
डिजिटल ब्यूरो अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Tue, 02 Jul 2019 02:00 PM IST
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कांग्रेस का घोषणापत्र
- फोटो : ANI
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में युवाओं को 24 लाख नौकरियां देने का वादा कर खूब वाहवाही लूटी है। उन्होंने यह भी बता दिया है कि केंद्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती है तो 31 मार्च 2020 तक ये नौकरियां दे दी जाएंगी।
बेरोजगारी और एसएससी की कथित भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ युवा-हल्लाबोल जैसे आंदोलन के अग्रणी नेता अनुपम कहते हैं, यह अच्छी बात है कि राहुल गांधी ने रोजगार को लेकर एक इच्छा शक्ति दिखाई है। अच्छा होता कि वे घोषणा पत्र में यह भी बता देते कि नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया क्या होगी और 10 महीने में ज्वानिंग कैसे मिलेगी। चूंकि एसएससी जैसी संस्था तो पहले से ही सवालों के घेरे में है, उसे कांग्रेस पार्टी कैसे बदलेगी। 24 लाख में से 20 लाख नौकरी तो राज्य सरकारों के हाथ में है। पांच राज्यों को छोड़ दें तो बाकी जगह दूसरे दलों की सरकारें हैं। वे 10 महीने की जगह दो साल भी ले सकती हैं। इस तरह 10 महीने में नौकरी देने का वादा कैसे पूरा होगा।
अनुपम का कहना है कि एसएससी की मौजूदा स्थिति किसी से छिपी नहीं है। नौकरी ज्वानिंग में ही तीन-चार साल लग जाते हैं। पेपर लीक होने की स्थिति की जानकारी भी सभी को है। एसएससी के चेयरमैन पर जो गंभीर आरोप लगे हैं, उसके बाद भी उन्हें सेवा विस्तार मिल जाता है।
एसएससी के सीजीएल (ग्रेजुएशन) 2017 का फाइनल रिजल्ट नहीं आया है। भर्ती प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामले चल रहे हैं। सीजीएल 2016 के तहत करीब 1800 उम्मीदवारों की ज्वानिंग एक साल तक पेंडिंग पड़ी रही है। अभी चार-पांच महीने पहले ही उन्हें ज्वानिंग मिली है।
कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में 24 लाख नौकरियों का जिक्र है। इसमें चार लाख नौकरियां केंद्र में और 20 लाख राज्य सरकारों के दायरे में आती हैं। इन नौकरियों में साढ़े 11 लाख अध्यापक और साढ़े पांच लाख पुलिस की भर्ती होनी हैं। अनुपम के मुताबिक एसएससी में सालाना दो करोड़ आवेदन आते हैं।
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बेरोजगारी और एसएससी की कथित भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ युवा-हल्लाबोल जैसे आंदोलन के अग्रणी नेता अनुपम कहते हैं, यह अच्छी बात है कि राहुल गांधी ने रोजगार को लेकर एक इच्छा शक्ति दिखाई है। अच्छा होता कि वे घोषणा पत्र में यह भी बता देते कि नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया क्या होगी और 10 महीने में ज्वानिंग कैसे मिलेगी। चूंकि एसएससी जैसी संस्था तो पहले से ही सवालों के घेरे में है, उसे कांग्रेस पार्टी कैसे बदलेगी। 24 लाख में से 20 लाख नौकरी तो राज्य सरकारों के हाथ में है। पांच राज्यों को छोड़ दें तो बाकी जगह दूसरे दलों की सरकारें हैं। वे 10 महीने की जगह दो साल भी ले सकती हैं। इस तरह 10 महीने में नौकरी देने का वादा कैसे पूरा होगा।
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अनुपम का कहना है कि एसएससी की मौजूदा स्थिति किसी से छिपी नहीं है। नौकरी ज्वानिंग में ही तीन-चार साल लग जाते हैं। पेपर लीक होने की स्थिति की जानकारी भी सभी को है। एसएससी के चेयरमैन पर जो गंभीर आरोप लगे हैं, उसके बाद भी उन्हें सेवा विस्तार मिल जाता है।
एसएससी के सीजीएल (ग्रेजुएशन) 2017 का फाइनल रिजल्ट नहीं आया है। भर्ती प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामले चल रहे हैं। सीजीएल 2016 के तहत करीब 1800 उम्मीदवारों की ज्वानिंग एक साल तक पेंडिंग पड़ी रही है। अभी चार-पांच महीने पहले ही उन्हें ज्वानिंग मिली है।
कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में 24 लाख नौकरियों का जिक्र है। इसमें चार लाख नौकरियां केंद्र में और 20 लाख राज्य सरकारों के दायरे में आती हैं। इन नौकरियों में साढ़े 11 लाख अध्यापक और साढ़े पांच लाख पुलिस की भर्ती होनी हैं। अनुपम के मुताबिक एसएससी में सालाना दो करोड़ आवेदन आते हैं।
कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में अगर यह स्पष्ट हो जाता
कांग्रेस का घोषणापत्र
- फोटो : PTI
एसएससी में किस तरह और कौन से सुधार होंगे। क्या कांग्रेस पार्टी यह विश्वास रखती है कि वह सभी दलों के साथ मिलकर संसद के पटल पर हर साल यह डाटा रखेंगे कि कितने पद खाली हैं और मौजूदा वर्ष में कितने भरे गए हैं।
केंद्र और राज्य सरकारें इन पदों को भरने के लिए यह तरीका अपनाएंगी। केंद्र और राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार हो, यह जरूरी नहीं। वर्तमान में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की सरकार है, बाकी राज्यों में दूसरे दलों का शासन है। ऐसे में हर राज्य अपने स्तर पर भर्ती प्रक्रिया अपनाने के लिए स्वतंत्र है। इसमें योग्यता और समयावधि अलग अलग हो सकती है।
अनुपम का कहना है कि राहुल गांधी घोषणा पत्र में कर्मचारी चयन आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर अलग से कोई पत्र पेश करते तो वह कहीं ज्यादा कारगर साबित होता। युवा हल्ला-बोल ने दो महीने पहले केंद्र की भाजपा सरकार के लिए ‘मॉडल कोड’ तैयार किया था।
इसमें बताया गया था कि मात्र नौ महीने में कोई परीक्षा कैसे संचालित की जाती है। किसी भी नौकरी के विज्ञापन से लेकर परीक्षा आयोजित करना, नतीजा और ज्वाइनिंग तक की प्रक्रिया बताई गई है। पेपर लीक न हो, इस बाबत भी ठोस योजना तैयार की गई है।
केंद्र और राज्य सरकारें इन पदों को भरने के लिए यह तरीका अपनाएंगी। केंद्र और राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार हो, यह जरूरी नहीं। वर्तमान में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की सरकार है, बाकी राज्यों में दूसरे दलों का शासन है। ऐसे में हर राज्य अपने स्तर पर भर्ती प्रक्रिया अपनाने के लिए स्वतंत्र है। इसमें योग्यता और समयावधि अलग अलग हो सकती है।
अनुपम का कहना है कि राहुल गांधी घोषणा पत्र में कर्मचारी चयन आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर अलग से कोई पत्र पेश करते तो वह कहीं ज्यादा कारगर साबित होता। युवा हल्ला-बोल ने दो महीने पहले केंद्र की भाजपा सरकार के लिए ‘मॉडल कोड’ तैयार किया था।
इसमें बताया गया था कि मात्र नौ महीने में कोई परीक्षा कैसे संचालित की जाती है। किसी भी नौकरी के विज्ञापन से लेकर परीक्षा आयोजित करना, नतीजा और ज्वाइनिंग तक की प्रक्रिया बताई गई है। पेपर लीक न हो, इस बाबत भी ठोस योजना तैयार की गई है।