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GPF: सरकारी कर्मियों को झटका, 6 साल से नहीं बढ़ी जीपीएफ की ब्याज दर, अब 31 दिसंबर तक 7.1 % ब्याज दर तय
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 13 Oct 2025 09:12 AM IST
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GPF
- फोटो : Amar Ujala
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केंद्र सरकार ने 'एक जुलाई 2025' से '30 सितंबर 2025' की तिमाही के लिए सामान्य भविष्य निधि 'जीपीएफ' पर मिलने वाले ब्याज की दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। 'जीपीएफ' की ब्याज दरों को छह साल से एक ही प्वाइंट पर रखा जा रहा है। इसे केंद्रीय कर्मियों के लिए तगड़ा झटका बताया जा रहा है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने अब एक अक्तूबर 2025 से 31 दिसंबर 2025 तक जीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दरों की घोषणा कर दी है। इस तिमाही के लिए जीपीएफ की ब्याज दर 7.1 फीसदी ही रहेगी।
सरकार से थी ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने इस वर्ष 'एक जनवरी से 31 मार्च' तिमाही के दौरान जनरल प्रोविडेंट फंड और उससे मिलते जुलते अन्य प्रोविडेंट फंड के लिए ब्याज की दरें घोषित की थीं। उस वक्त ब्याज दर 7.1 प्रतिशत रखी गई। साल के शुरू में सरकारी कर्मियों को एनडीए सरकार से जनरल प्रोविडेंट फंड की दरों में बदलाव किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्रालय द्वारा ब्याज की दरों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया। लंबे समय से ब्याज दरों को स्थिर रखा गया है।
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सरकार से थी ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने इस वर्ष 'एक जनवरी से 31 मार्च' तिमाही के दौरान जनरल प्रोविडेंट फंड और उससे मिलते जुलते अन्य प्रोविडेंट फंड के लिए ब्याज की दरें घोषित की थीं। उस वक्त ब्याज दर 7.1 प्रतिशत रखी गई। साल के शुरू में सरकारी कर्मियों को एनडीए सरकार से जनरल प्रोविडेंट फंड की दरों में बदलाव किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्रालय द्वारा ब्याज की दरों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया। लंबे समय से ब्याज दरों को स्थिर रखा गया है।
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कोरोना के दौरान भी नहीं बढ़ाई गई दरें
वर्ष 2021-22 के दौरान सामान्य भविष्य निधि तथा उसी प्रकार की अन्य निधियों के अभिदाताओं की कुल जमा रकमों पर दी जाने वाली ब्याज दर एक जुलाई 2021 से लेकर सितंबर 2021 तक 7.1 फीसदी रखी गई थी। आर्थिक कार्य विभाग के 19 अप्रैल 2021 को जारी संकल्प में भी सामान्य भविष्य निधि की राशि पर ब्याज दर 7.1 फीसदी तय की गई थी। उस वक्त देश में कोरोना की दूसरी लहर ने अपना कहर बरपा रखा था। तब केंद्रीय कर्मियों का महंगाई भत्ता भी 18 माह से रोका गया था। इसी वजह से कर्मियों को यह उम्मीद थी कि सरकार 'जीपीएफ' की राशि पर मिलने वाले ब्याज की दरों में बढ़ोतरी करेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका। एक जुलाई 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 तक जीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर 7.1 फीसदी रखी गई थी।
इन विभागों में लागू होती हैं दरें
ये दरें सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं), अंशदायी भविष्य निधि (भारत), अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि, राज्य रेलवे भविष्य निधि (रक्षा सेवाएं), भारतीय आयुद्ध विभाग भविष्य निधि, भारतीय आयुद्ध कारखाना कामगार भविष्य निधि, भारतीय नौसेना गोदी कामगार भविष्य निधि, रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि और सशस्त्र सेना कार्मिक भविष्य निधि पर लागू होती हैं। जीपीएफ में जमा कर्मियों की राशि पर बैंकों के मुकाबले ब्याज अधिक मिलता है, इसलिए बहुत से कर्मचारी अपना शेयर बढ़ा देते हैं। जीपीएफ में ज्यादा वेतन इसलिए कटवाया जाता था, ताकि कर्मचारी अपनी बड़ी जरूरत के समय इसका इस्तेमाल कर सकें।
वर्ष 2021-22 के दौरान सामान्य भविष्य निधि तथा उसी प्रकार की अन्य निधियों के अभिदाताओं की कुल जमा रकमों पर दी जाने वाली ब्याज दर एक जुलाई 2021 से लेकर सितंबर 2021 तक 7.1 फीसदी रखी गई थी। आर्थिक कार्य विभाग के 19 अप्रैल 2021 को जारी संकल्प में भी सामान्य भविष्य निधि की राशि पर ब्याज दर 7.1 फीसदी तय की गई थी। उस वक्त देश में कोरोना की दूसरी लहर ने अपना कहर बरपा रखा था। तब केंद्रीय कर्मियों का महंगाई भत्ता भी 18 माह से रोका गया था। इसी वजह से कर्मियों को यह उम्मीद थी कि सरकार 'जीपीएफ' की राशि पर मिलने वाले ब्याज की दरों में बढ़ोतरी करेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका। एक जुलाई 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 तक जीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर 7.1 फीसदी रखी गई थी।
इन विभागों में लागू होती हैं दरें
ये दरें सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं), अंशदायी भविष्य निधि (भारत), अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि, राज्य रेलवे भविष्य निधि (रक्षा सेवाएं), भारतीय आयुद्ध विभाग भविष्य निधि, भारतीय आयुद्ध कारखाना कामगार भविष्य निधि, भारतीय नौसेना गोदी कामगार भविष्य निधि, रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि और सशस्त्र सेना कार्मिक भविष्य निधि पर लागू होती हैं। जीपीएफ में जमा कर्मियों की राशि पर बैंकों के मुकाबले ब्याज अधिक मिलता है, इसलिए बहुत से कर्मचारी अपना शेयर बढ़ा देते हैं। जीपीएफ में ज्यादा वेतन इसलिए कटवाया जाता था, ताकि कर्मचारी अपनी बड़ी जरूरत के समय इसका इस्तेमाल कर सकें।
वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख रुपये तय
कर्मचारी अपने जीपीएफ में से 90 फीसदी राशि निकाल सकते हैं। हालांकि इस लेकर नियम-शर्तें बदलती रहती हैं। बच्चों की शिक्षा, शादी, घर बनाना या उसके लिए प्लाट खरीदना, फ्लैट लेना है, पुश्तैनी मकान की रिपेयर करानी है और घर का लोन चुकाना है, जैसे कामों में जीपीएफ राशि काम आ जाती है। तीन वर्ष पहले केंद्र सरकार ने एक वित्त वर्ष में जनरल प्रोविडेंट फंड में वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख रुपये तय कर दी थी। नए प्रावधान के अनुसार, एक वित्त वर्ष में जीपीएफ खाते में जमा की गई कुल राशि पांच लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती है।
कर्मचारी अपने जीपीएफ में से 90 फीसदी राशि निकाल सकते हैं। हालांकि इस लेकर नियम-शर्तें बदलती रहती हैं। बच्चों की शिक्षा, शादी, घर बनाना या उसके लिए प्लाट खरीदना, फ्लैट लेना है, पुश्तैनी मकान की रिपेयर करानी है और घर का लोन चुकाना है, जैसे कामों में जीपीएफ राशि काम आ जाती है। तीन वर्ष पहले केंद्र सरकार ने एक वित्त वर्ष में जनरल प्रोविडेंट फंड में वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख रुपये तय कर दी थी। नए प्रावधान के अनुसार, एक वित्त वर्ष में जीपीएफ खाते में जमा की गई कुल राशि पांच लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती है।