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हवाई किराए पर सीमा: कितनी एयरलाइंस कर रहीं आदेश का पालन, किस हवाई मार्ग पर कितना कम हुआ किराया? जानें हालात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Mon, 08 Dec 2025 05:33 PM IST
सार

डीजीसीए की तरफ से एयरलाइंस के क्रू के लिए ड्यूटी के घंटे सीमित कर दिए गए। इसके बाद से ही इंडिगो की उड़ानें लगातार रद्द होने लगीं। सरकार की तरफ से मेट्रो शहरों में सख्ती बरते जाने के बाद 2-3 दिसंबर को इंडिगो की व्यवस्था चरमरा गई और इसके बाद से ही हवाई किराए तेजी से बढ़ने लगे। 6 दिसंबर को सरकार की तरफ से किरायों की सीमा तय किए जाने के बाद स्थिति सामान्य होना शुरू हुई, हालांकि किराये अब भी काफी ऊंचे स्तर पर हैं।

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नियंत्रण में आई हवाई किरायों में बढ़ोतरी। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इंडिगो एयरलाइंस के संकट के चलते केंद्र सरकार ने शनिवार को सख्त एक्शन लेते हुए हवाई किरायों पर कैप लगाने यानी किराए की सीमा तय करने का निर्णय लिया था। नागर विमानन मंत्रालय (MoCA) की तरफ से अपनी आपात शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए स्थिति सुधरने तक नए नियम लागू रहने का एलान कर दिया था। यानी जब तक देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी की स्थिति नहीं सुधरती, तब तक हवाई किरायों पर सीमा लागू रहेगी।
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इस बीच अमर उजाला ने सरकार के दिशा-निर्देशों के सामने आने के बाद हवाई किरायों पर लगी इस सीमा की सच्चाई जानने की कोशिश की। आइये जानते हैं कि कैसे इंडिगो का संकट पूरे देश में किरायों में आग लगा गया? इसके बाद क्यों सरकार को मामले में दखल देना पड़ा? प्रमुख हवाई रूटों के लिए विमानन मंत्रालय ने क्या नए नियम लागू किए? मौजूदा समय में इन नियमों का एयरलाइंस किस हद तक पालन कर रही हैं? प्रमुख हवाई मार्गों पर किराए की क्या स्थिति है? आइये जानते हैं...
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पहले जानें- सरकार को क्यों लाना पड़ा हवाई किराए पर सीमा से जुड़ा नियम

देश में कितना बढ़ गया हवाई किराया, सरकार ने कब दिया दखल
इंडिगो का संकट बढ़ने के साथ ही 5 दिसंबर को हवाई किराया नई ऊंचाइयों पर था। लखनऊ से बंगलूरू का किराया 69 हजार रुपये से ऊपर हो गया। वहीं, पटना से बंगलूरू का जो किराया 7 हजार से 9 हजार रुपये के बीच होता था, वह 60 हजार से 72 हजार रुपये तक दर्ज हुआ। इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने उड़ान किरायों पर सीमा लगाने का निर्णय लिया।

सरकार ने कितनी कर दी हवाई किराए की सीमा?
नागर विमानन मंत्रालय ने इंडिगो संकट के बीच यात्रियों की समस्या को देखते हुए बढ़ते किराए को कम करने के लिए अपनी नियामक शक्तियों को लागू किया। सरकार ने दूसरी एयरलाइन के किराये में हुए बेहताशा बढ़ोतरी पर लगाम लगाने के लिए सभी प्रभावित रूट्स पर सही और वाजिब किराया सुनिश्चित करने को कहा और इसकी सीमाएं भी तय कर दीं। 

अब जानें- सरकार के निर्देशों का मौजूदा समय में कितना असर?
नए हफ्ते के पहले दिन यानी 8 दिसंबर (सोमवार) को अलग-अलग एयरलाइंस और ट्रैवल एग्रीगेटर वेबसाइट्स की ओर से जो डाटा जुटाया गया है, उसके मुताबिक, इंडिगो का संकट कम होने और सरकार की तरफ से सीमा तय किए जाने के बाद अधिकतर मार्गों पर किराया स्थिर हुआ है। 

हवाई किरायों की जांच में सामने आता है कि इंडिगो एयरलाइंस की संचालन समस्या के कम होने और सरकार की तरफ से किराए पर कैप लगाए जाने के बाद से ही हवाई यात्रा की दरें स्थिर हुई हैं। हालांकि, कुछ मार्गों पर यह किराया अब भी सरकार की तरफ से निर्धारित कैप से ज्यादा है। जानकारों के मुताबिक, अधिकतर एयरलाइन कंपनियों ने अपने हवाई किरायों को कम करने का निर्णय ले लिया है। इसकी वजह से उनके किराये में संकट के दौर के मुकाबले काफी कमी दर्ज की गई है। हालांकि, अधिकतर रूट्स पर सरकार ने जितना किराया निर्धारित किया है, उसके मुकाबले यात्रियों को थोड़ी अतिरिक्त राशि इसलिए चुकानी पड़ रही है। इसकी मुख्यतः तीन वजहें हैं...

1. यूजर डेवलपमेंट फीस (यूडीएफ) 
सरकार ने जारी दिशा-निर्देशों में साफ किया है कि एयर फेयर कैप के मानक कुछ एयरपोर्ट्स की तरफ से चार्ज किए जाने वाले यूजर डेवलपमेंट फीस पर लागू नहीं होंगे। यानी हवाई अड्डे इन्हें अपने आधुनिकीकरण के लिए लगाना जारी रखेंगे। चूंकि एयरपोर्ट को यह फीस हवाई यात्रियों के जरिए मिलती है, इसलिए एयरलाइन कंपनियां पहले ही किरायों में इस फीस को जोड़ कर रखती है। दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बंगलूरू, आदि कुछ हवाई अड्डों ने यह यूडीएफ लगाना जारी रखा है। 

2. यात्री सेवा फीस (पीएसएफ)
पैसेंजर सर्विस फीस आमतौर पर एयरपोर्ट के रखरखाव, उनकी सुरक्षा, अभियानगत जरूरतें और यात्री सेवाओं में लगने वाले अन्य खर्चों के लिए उपभोक्ताओं से चार्ज होती है। एयरलाइन कंपनियां इन्हें टिकट के दामों में ही जोड़ कर पेश करती हैं। इसके चलते टिकट के दामों में कुछ इजाफा होता है। 

3. अन्य टैक्स
एयरलाइन कंपनियां यात्रियों को फ्लाइट में कुछ सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अतिरिक्त कर भी वसूलती हैं। यह टैक्स कई बार हवाई किराए के साथ जोड़ दिए जाते हैं। इसके अलावा यात्रियों को सीट चुनने की भी सुविधा दी जाती है, जिसका चार्ज उपभोक्ता को अलग से देना होता है। कई एयरलाइन अपने टिकट में इन सेवाओं को पहले से ही जोड़ देती हैं, जबकि कई कंपनियां यात्रियों के लिए इसे वैकल्पिक भी बनाती हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तरह की फीस और टैक्स उपभोक्ताओं के लिए हवाई टिकट के दामों को 20 से 40 फीसदी तक बढ़ा देते हैं। हालांकि, यह एयरपोर्ट, बुकिंग स्टेटस (इकोनॉमी, प्रीमियम और बिजनेस क्लास) और कुछ अन्य स्थितियों पर निर्भर होता है। 

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