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Ahmedabad Plane Crash: कैसे क्रैश हुआ एअर इंडिया विमान; इंजन फेल या लैंडिंग गियर बंद न होने का कितना असर?
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Fri, 13 Jun 2025 05:13 PM IST
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सार
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अहमदाबाद एयरपोर्ट से कुछ दूर ही गिरा एअर इंडिया का विमान।
- फोटो :
अमर उजाला
विस्तार
गुजरात के अहमदाबाद से ब्रिटेन के लंदन स्थित गैटविक एयरपोर्ट जाने वाली एअर इंडिया की फ्लाइट 171 गुरुवार को अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास दुर्घटना का शिकार हो गई। इसे भारत के किसी यात्री विमान के साथ हुई सबसे बुरी दुर्घटना माना जा रहा है। यह हादसा चौंकाने वाला इसलिए भी रहा, क्योंकि बोइंग के इस 787 ड्रीमलाइनर विमान की गिनती दुनिया के सबसे सुरक्षित विमानों में होती है। इस हादसे से कई एविएशन एक्सपर्ट्स भी अचंभित हैं।ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर एअर इंडिया के विमान के क्रैश होने पर क्या-क्या थ्योरी सामने आई हैं? इन थ्योरीज पर उड्डयन मामलों से जुड़े जानकारों का क्या कहना है? आइये जानते हैं...
पहली थ्योरी- क्या सही ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाया विमान, थ्रस्टर्स नहीं कर रहे थे काम?
विमान के टेकऑफ करने के ठीक बाद कॉकपिट में मौजूद पायलटों ने मेडे (Mayday) कॉल दी। भारत के उड्डयन नियामक- डीजीसीए के मुताबिक, इस मेडे कॉल के बाद एयरक्राफ्ट से और कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। यह साफ नहीं है कि आखिर मेडे कॉल क्यों दी गई। इस बीच हादसे में इकलौते बचे शख्स रमेश विश्वास कुमार ने कहा है कि विमान ऊंचाई तक पहुंचने में मुश्किल का सामना कर रहा था। इसी दौरान उन्होंने एक जबरदस्त धमाका सुना।
टेकऑफ के बाद विमान 625 फीट यानी 190 मीटर ऊंचाई तक गया। इसके बाद यह लगातार नीचे जाता दिखा और इसके बाद पेड़ और इमारतों के बीच गिर गया। इसके बाद विमान को आग के गोले में बदलता देखा गया। एविएशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, विमान का टेकऑफ सफल रहा था। लेकिन टेकऑफ के ठीक बाद ही यह ज्यादा ऊंचाई हासिल नहीं कर सका। इस पर कुछ शुरुआती रिपोर्ट्स में कहा गया कि एयरक्राफ्ट टेकऑफ के बाद जरूरी थ्रस्ट पैदा नहीं कर पाया और नाकाम हो गया, जिससे क्रैश की स्थिति बनी।
विमान के टेकऑफ करने के ठीक बाद कॉकपिट में मौजूद पायलटों ने मेडे (Mayday) कॉल दी। भारत के उड्डयन नियामक- डीजीसीए के मुताबिक, इस मेडे कॉल के बाद एयरक्राफ्ट से और कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। यह साफ नहीं है कि आखिर मेडे कॉल क्यों दी गई। इस बीच हादसे में इकलौते बचे शख्स रमेश विश्वास कुमार ने कहा है कि विमान ऊंचाई तक पहुंचने में मुश्किल का सामना कर रहा था। इसी दौरान उन्होंने एक जबरदस्त धमाका सुना।
टेकऑफ के बाद विमान 625 फीट यानी 190 मीटर ऊंचाई तक गया। इसके बाद यह लगातार नीचे जाता दिखा और इसके बाद पेड़ और इमारतों के बीच गिर गया। इसके बाद विमान को आग के गोले में बदलता देखा गया। एविएशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, विमान का टेकऑफ सफल रहा था। लेकिन टेकऑफ के ठीक बाद ही यह ज्यादा ऊंचाई हासिल नहीं कर सका। इस पर कुछ शुरुआती रिपोर्ट्स में कहा गया कि एयरक्राफ्ट टेकऑफ के बाद जरूरी थ्रस्ट पैदा नहीं कर पाया और नाकाम हो गया, जिससे क्रैश की स्थिति बनी।
अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान हादसा
- फोटो :
पीटीआई
2. क्या इंजन फेल होने की वजह से क्रैश हुआ यात्री विमान?
चूंकि, विमान 190 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने में सफल रहा और इसके बाद नीचे गिरना शुरू हुआ, इसलिए सवाल यह भी हैं कि क्या विमान के दोनों इंजन में कोई गड़बड़ी आ गई थी। हालांकि, उड्डयन विशेषज्ञों के मुताबिक, विमान के दोनों इंजन का 'पावर लॉस', प्लेन क्रैश होने का एक कारण हो सकता है। हालांकि, हवा में 625 फीट की ऊंचाई पर जाने के बाद इंजन का 'शटडाउन' होना, ड्रीमलाइनर विमान तैयार करने वाली कंपनी बोइंग के लिए अपने आप में पहली घटना है। दरअसल, विमान के दो इंजन अलग-अलग स्वतंत्र यूनिट होते हैं। ऐसे में अगर एक इंजन में कोई तकनीकी दिक्कत आती है तो दूसरा इंजन आसानी से विमान के लोड को संभालकर इसे सुरक्षित लैंड करा सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में सस्टेनेबल एविएशन के प्रोफेसर रिचर्ड कुरेन के मुताबिक, दोनों इंजनों का एक साथ खराब हो जाने की आशंका काफी कम होती है। क्योंकि इंजन अगर कुछ कम ताकत जेनरेट करने से जुड़े संकेत देता है तो पायलटों को इसका अंदाजा हो जाता है और वे टेकऑफ के समय ही जरूरी कदम उठा सकते हैं। हालांकि, यॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जॉन मैक्डर्मिड के मुताबिक, विमान के उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद समस्या बहुत जल्दी आ गई और हो सकता है कि यह दिक्कत इतनी गंभीर थी कि दुर्घटना को टाला नहीं जा सका। कुछ इसी तरह की बात एयरप्लेन इंजीनियर अहमद बुसनैना ने कही। उन्होंने बताया कि अगर कोई विमान 10,000 या 20,000 फीट की ऊंचाई पर है और तब एक इंजन खराब हो जाता है तो उड़ान में बड़ी दिक्कत नहीं आएगी। पर अगर टेकऑफ के दौरान या इसके ठीक बाद ऊंचाई हासिल करते वक्त ही एक इंजन बंद पड़ जाए तो थ्रस्ट में अचानक आई कमी को संभालना पायलटों के लिए मुश्किल होता है।
चूंकि, विमान 190 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने में सफल रहा और इसके बाद नीचे गिरना शुरू हुआ, इसलिए सवाल यह भी हैं कि क्या विमान के दोनों इंजन में कोई गड़बड़ी आ गई थी। हालांकि, उड्डयन विशेषज्ञों के मुताबिक, विमान के दोनों इंजन का 'पावर लॉस', प्लेन क्रैश होने का एक कारण हो सकता है। हालांकि, हवा में 625 फीट की ऊंचाई पर जाने के बाद इंजन का 'शटडाउन' होना, ड्रीमलाइनर विमान तैयार करने वाली कंपनी बोइंग के लिए अपने आप में पहली घटना है। दरअसल, विमान के दो इंजन अलग-अलग स्वतंत्र यूनिट होते हैं। ऐसे में अगर एक इंजन में कोई तकनीकी दिक्कत आती है तो दूसरा इंजन आसानी से विमान के लोड को संभालकर इसे सुरक्षित लैंड करा सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में सस्टेनेबल एविएशन के प्रोफेसर रिचर्ड कुरेन के मुताबिक, दोनों इंजनों का एक साथ खराब हो जाने की आशंका काफी कम होती है। क्योंकि इंजन अगर कुछ कम ताकत जेनरेट करने से जुड़े संकेत देता है तो पायलटों को इसका अंदाजा हो जाता है और वे टेकऑफ के समय ही जरूरी कदम उठा सकते हैं। हालांकि, यॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जॉन मैक्डर्मिड के मुताबिक, विमान के उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद समस्या बहुत जल्दी आ गई और हो सकता है कि यह दिक्कत इतनी गंभीर थी कि दुर्घटना को टाला नहीं जा सका। कुछ इसी तरह की बात एयरप्लेन इंजीनियर अहमद बुसनैना ने कही। उन्होंने बताया कि अगर कोई विमान 10,000 या 20,000 फीट की ऊंचाई पर है और तब एक इंजन खराब हो जाता है तो उड़ान में बड़ी दिक्कत नहीं आएगी। पर अगर टेकऑफ के दौरान या इसके ठीक बाद ऊंचाई हासिल करते वक्त ही एक इंजन बंद पड़ जाए तो थ्रस्ट में अचानक आई कमी को संभालना पायलटों के लिए मुश्किल होता है।
3. मौसम जनित परिस्थितियों से हुआ हादसा?
ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि गुजरात में मौसम किसी तरह से इस घटना के लिए जिम्मेदार हो सकता है। दरअसल, गुजरात के अहमदाबाद में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है। ऐसे में आशंकाएं जताई गई हैं कि विमान के इंजन के ओवरहीट होने की वजह से इसने काम करना बंद कर दिया।
इस पर यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में एटमॉस्फेयरिक साइंस के प्रोफेसर पॉल विलियम्स ने ब्रिटिश मीडिया संस्थान 'द इंडिपेंडेंट' को बताया कि इस तरह का मौसम विमान के उड़ान भरने के लिए आसान होता है। उन्होंने कहा, "अहमदाबाद में 12 जून (गुरुवार) का दिन सूखा और धूप वाला था। तापमान भी 40 डिग्री सेल्सियस के करीब था, जिससे दृश्यता की समस्या भी नहीं दिख रही थी। साथ ही हल्की हवाएं पश्चिम की तरफ से आ रही थीं। यह मौसम विमानों के उड़ान भरने के लिए बेहतरीन है।" उन्होंने कहा कि इस साफ मौसम में टर्बुलेंस की समस्या भी नहीं होती, क्योंकि हवा काफी हल्की होती है, जो कि आसानी से इंजन की टर्बाइन्स को पार कर जाती है। गौरतलब है कि एयरक्राफ्ट का इंजन खुद 2000 डिग्री सेल्सियस तक गर्मी को झेल सकता है, क्योंकि ईंधन जलने के दौरान पहले ही तापमान काफी ज्यादा होता है।
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ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि गुजरात में मौसम किसी तरह से इस घटना के लिए जिम्मेदार हो सकता है। दरअसल, गुजरात के अहमदाबाद में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है। ऐसे में आशंकाएं जताई गई हैं कि विमान के इंजन के ओवरहीट होने की वजह से इसने काम करना बंद कर दिया।
इस पर यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में एटमॉस्फेयरिक साइंस के प्रोफेसर पॉल विलियम्स ने ब्रिटिश मीडिया संस्थान 'द इंडिपेंडेंट' को बताया कि इस तरह का मौसम विमान के उड़ान भरने के लिए आसान होता है। उन्होंने कहा, "अहमदाबाद में 12 जून (गुरुवार) का दिन सूखा और धूप वाला था। तापमान भी 40 डिग्री सेल्सियस के करीब था, जिससे दृश्यता की समस्या भी नहीं दिख रही थी। साथ ही हल्की हवाएं पश्चिम की तरफ से आ रही थीं। यह मौसम विमानों के उड़ान भरने के लिए बेहतरीन है।" उन्होंने कहा कि इस साफ मौसम में टर्बुलेंस की समस्या भी नहीं होती, क्योंकि हवा काफी हल्की होती है, जो कि आसानी से इंजन की टर्बाइन्स को पार कर जाती है। गौरतलब है कि एयरक्राफ्ट का इंजन खुद 2000 डिग्री सेल्सियस तक गर्मी को झेल सकता है, क्योंकि ईंधन जलने के दौरान पहले ही तापमान काफी ज्यादा होता है।
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अहमदाबाद विमान हादसा
- फोटो :
अमर उजाला
4. उपकरणों का न चलना, लैंडिंग गियर का बंद न होना क्या हादसे से जुड़े संकेत देता है?
उड्डयन उद्योग से जुड़े कई जानकारों ने सवाल उठाया कि विमान 600 से अधिक फीट की ऊंचाई पर था, तो लैंडिंग गियर नीचे क्यों थे? विमान के उड़ान भरते ही लैंडिंग गियर ऊपर उठा दिया जाता है। चूंकि लैंडिंग गियर नीचे थे, इसलिए संभव है कि इंजन में खराबी का पहले ही पता चल गई हो।
अमेरिकी एयरोस्पेस सुरक्षा सलाहकार एंथनी ब्रिकहाउस ने भी ऐसी ही चिंता जताते हुए कहा कि उड़ान के उस चरण के लिए लैंडिंग गियर की स्थिति असामान्य थी। उन्होंने गड़बड़ी का इशारा करते हुए कहा कि अगर आपको नहीं पता कि क्या हो रहा है तो आप विमान को रनवे की तरफ वापस लाएंगे। ऐसे में लैंडिंग गियर नीचे ही रखेंगे।
लेकिन इस थ्योरी को लेकर अमेरिका के बॉस्टन मैसाच्युसेट्स में स्थित नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अहमद बुसनैना का अलग पक्ष है। एयरप्लेन इंजीनियर बुसनैना ने कहा कि आमतौर पर यात्री विमानों में लैंडिंग गियर (विमान के पहिए) करीब 1000 फीट या इससे ज्यादा ऊंचाई पर पहुंचने पर फोल्ड किए जाते हैं। ऐसे में लैंडिंग गियर का फोल्ड न होना किसी हादसे की वजह नहीं होना चाहिए।
उड्डयन उद्योग से जुड़े कई जानकारों ने सवाल उठाया कि विमान 600 से अधिक फीट की ऊंचाई पर था, तो लैंडिंग गियर नीचे क्यों थे? विमान के उड़ान भरते ही लैंडिंग गियर ऊपर उठा दिया जाता है। चूंकि लैंडिंग गियर नीचे थे, इसलिए संभव है कि इंजन में खराबी का पहले ही पता चल गई हो।
अमेरिकी एयरोस्पेस सुरक्षा सलाहकार एंथनी ब्रिकहाउस ने भी ऐसी ही चिंता जताते हुए कहा कि उड़ान के उस चरण के लिए लैंडिंग गियर की स्थिति असामान्य थी। उन्होंने गड़बड़ी का इशारा करते हुए कहा कि अगर आपको नहीं पता कि क्या हो रहा है तो आप विमान को रनवे की तरफ वापस लाएंगे। ऐसे में लैंडिंग गियर नीचे ही रखेंगे।
लेकिन इस थ्योरी को लेकर अमेरिका के बॉस्टन मैसाच्युसेट्स में स्थित नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अहमद बुसनैना का अलग पक्ष है। एयरप्लेन इंजीनियर बुसनैना ने कहा कि आमतौर पर यात्री विमानों में लैंडिंग गियर (विमान के पहिए) करीब 1000 फीट या इससे ज्यादा ऊंचाई पर पहुंचने पर फोल्ड किए जाते हैं। ऐसे में लैंडिंग गियर का फोल्ड न होना किसी हादसे की वजह नहीं होना चाहिए।
5. ईंधन से जुड़ी किसी समस्या से हुआ हादसा?
बोइंग के 737-8 वर्जन एयरक्राफ्ट को उड़ा चुके एक वरिष्ठ पायलट ने ब्रिटिश मीडिया ग्रुप बीबीसी से कहा कि कई बार इंजन फेल होने की वजह इंजन को ताकत देने वाले ईंधन के खराब होने या इसके जमने और चिपकने से हो सकता है। एयरक्राफ्ट के इंजन सटीक फ्यूल मीटिरिंग सिस्टम पर चलते हैं। अगर यह सिस्टम ब्लॉक हो गया तो इससे इंजन तक सही मात्रा में ईंधन नहीं पहुंचेगा और इंजन बंद हो जाएगा।
सवाल: उड़ान भरते ही ऊपर होना चाहिए लैंडिंग गियर...नीचे क्यों था? इस बड़ी लापरवाही की ओर इशारा कर रहे विशेषज्ञ
बोइंग के 737-8 वर्जन एयरक्राफ्ट को उड़ा चुके एक वरिष्ठ पायलट ने ब्रिटिश मीडिया ग्रुप बीबीसी से कहा कि कई बार इंजन फेल होने की वजह इंजन को ताकत देने वाले ईंधन के खराब होने या इसके जमने और चिपकने से हो सकता है। एयरक्राफ्ट के इंजन सटीक फ्यूल मीटिरिंग सिस्टम पर चलते हैं। अगर यह सिस्टम ब्लॉक हो गया तो इससे इंजन तक सही मात्रा में ईंधन नहीं पहुंचेगा और इंजन बंद हो जाएगा।
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अहमदाबाद विमान हादसा
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अमर उजाला
6. विमान से पक्षी टकराने से हुआ हादसा?
कई एक्सपर्ट्स ने अंदेशा जताया है कि पक्षी का विमान से टकराना भी हादसे की एक वजह हो सकता है। कई बार अगर पक्षी सीधा विमान के इंजन से टकराते हैं तो इससे विमान पर खतरा पैदा हो जाता है, क्योंकि उसकी पूरी पावर भी बंद हो सकती है। 2024 में दक्षिण कोरिया में हुआ विमान हादसा पक्षी के टकराने की वजह से ही हुआ था। इसमें 179 लोगों की जान चली गई थी।
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पक्षियों के विमानों से टकराने की घटना भी काफी अहम रही है। दिसंबर 2023 में नागरिक उड्डयन मंत्री ने संसद में दिए डाटा में बताया था कि अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पांच साल में 462 बार विमान और पक्षियों को टकराने की घटनाएं दर्ज की गईं जो कि देश में किसी भी एयरपोर्ट के लिहाज से सबसे ज्यादा थीं।
हालांकि, पायलट्स और विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि अगर पक्षियों के टकराने की घटना काफी गंभीर न रही हो तो इससे क्रैश की संभावना भी काफी कम होती है। प्रोफेसर कुरेन के मुताबिक, "जो पायलट इस विमान को उड़ा रहे थे, वे जबरदस्त रूप से प्रशिक्षित थे उन्हें पक्षी के टकराने जैसी घटनाओं से निपटने की ट्रेनिंग हर 60 से 100 घंटे ट्रेनिंग के बाद दी जाती है। इसलिए वे काफी अच्छे से जानते थे कि इन समस्याओं से कैसे निपटना है।" बर्ड हिट की कई ऐसी घटनाएं आई हैं, जहां पायलट विमान को सही स्थिति में लाने के बाद किसी आशंका के मद्देनजर इसकी आपात लैंडिंग करा लेते हैं।
कई एक्सपर्ट्स ने अंदेशा जताया है कि पक्षी का विमान से टकराना भी हादसे की एक वजह हो सकता है। कई बार अगर पक्षी सीधा विमान के इंजन से टकराते हैं तो इससे विमान पर खतरा पैदा हो जाता है, क्योंकि उसकी पूरी पावर भी बंद हो सकती है। 2024 में दक्षिण कोरिया में हुआ विमान हादसा पक्षी के टकराने की वजह से ही हुआ था। इसमें 179 लोगों की जान चली गई थी।
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पक्षियों के विमानों से टकराने की घटना भी काफी अहम रही है। दिसंबर 2023 में नागरिक उड्डयन मंत्री ने संसद में दिए डाटा में बताया था कि अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पांच साल में 462 बार विमान और पक्षियों को टकराने की घटनाएं दर्ज की गईं जो कि देश में किसी भी एयरपोर्ट के लिहाज से सबसे ज्यादा थीं।
हालांकि, पायलट्स और विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि अगर पक्षियों के टकराने की घटना काफी गंभीर न रही हो तो इससे क्रैश की संभावना भी काफी कम होती है। प्रोफेसर कुरेन के मुताबिक, "जो पायलट इस विमान को उड़ा रहे थे, वे जबरदस्त रूप से प्रशिक्षित थे उन्हें पक्षी के टकराने जैसी घटनाओं से निपटने की ट्रेनिंग हर 60 से 100 घंटे ट्रेनिंग के बाद दी जाती है। इसलिए वे काफी अच्छे से जानते थे कि इन समस्याओं से कैसे निपटना है।" बर्ड हिट की कई ऐसी घटनाएं आई हैं, जहां पायलट विमान को सही स्थिति में लाने के बाद किसी आशंका के मद्देनजर इसकी आपात लैंडिंग करा लेते हैं।
अहमदाबाद विमान हादसा
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amarujala.com
7. क्या ज्यादा वजन या विमान के फ्लैप की वजह से हुआ हादसा?
एअर इंडिया विमान हादसे के वीडियो के आधार पर जिस एक समस्या को लेकर एक्सपर्ट्स ने सबसे ज्यादा ध्यान दिया है, वह है एयरक्राफ्ट्स के फ्लैप्स यानी दोनों तरफ लगे 'पंख' की स्थिति। बीबीसी ने तीन विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया है कि उड़ान भरने के बाद बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के फ्लैप्स को पूरी तरह नहीं खोला/बढ़ाया गया था। यह फ्लैप्स किसी भी यात्री विमान के टेकऑफ के लिए काफी अहम होते हैं, क्योंकि यह कम गति में भी प्लेन को उड़ान भरवाने में मदद करते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर इन फ्लैप्स को सही ढंग से नहीं खोला गया, तो कोई भी विमान, जिसमें यात्री, उनका लगेज और ईंधन पूरी क्षमता से भरा गया हो, उसे टेकऑफ के बाद अपनी उठान बरकरार रखने में दिक्कत आएगी।
एक पायलट ने भी फ्लैप्स के पूरी तरह न खोले जाने पर सवाल उठाया और कहा कि अहमदाबाद के 40 डिग्री सेल्सिय तापमान पर जब हवा काफी हल्की और पतली होती है, तब विमान को टेकऑफ के बाद अपनी लिफ्ट बरकरार रखने के लिए पंखों को ज्यादा खोलना चाहिए होता है। इसके अलावा इंजन की ताकत- थ्रस्ट भी ज्यादा लगता है। अगर इनमें से कोई भी तैयारी कम रह जाती है तो बड़ा हादसा हो सकता है।
एअर इंडिया विमान हादसे के वीडियो के आधार पर जिस एक समस्या को लेकर एक्सपर्ट्स ने सबसे ज्यादा ध्यान दिया है, वह है एयरक्राफ्ट्स के फ्लैप्स यानी दोनों तरफ लगे 'पंख' की स्थिति। बीबीसी ने तीन विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया है कि उड़ान भरने के बाद बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के फ्लैप्स को पूरी तरह नहीं खोला/बढ़ाया गया था। यह फ्लैप्स किसी भी यात्री विमान के टेकऑफ के लिए काफी अहम होते हैं, क्योंकि यह कम गति में भी प्लेन को उड़ान भरवाने में मदद करते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर इन फ्लैप्स को सही ढंग से नहीं खोला गया, तो कोई भी विमान, जिसमें यात्री, उनका लगेज और ईंधन पूरी क्षमता से भरा गया हो, उसे टेकऑफ के बाद अपनी उठान बरकरार रखने में दिक्कत आएगी।
एक पायलट ने भी फ्लैप्स के पूरी तरह न खोले जाने पर सवाल उठाया और कहा कि अहमदाबाद के 40 डिग्री सेल्सिय तापमान पर जब हवा काफी हल्की और पतली होती है, तब विमान को टेकऑफ के बाद अपनी लिफ्ट बरकरार रखने के लिए पंखों को ज्यादा खोलना चाहिए होता है। इसके अलावा इंजन की ताकत- थ्रस्ट भी ज्यादा लगता है। अगर इनमें से कोई भी तैयारी कम रह जाती है तो बड़ा हादसा हो सकता है।
कुछ एक्सपर्ट्स ने इस थ्योरी पर भी सवाल उठाए हैं। दरअसल, उनका तर्क है कि बोइंग के 787 विमानों में फ्लैप्स को लेकर एक वॉर्निंग सिस्टम लगा होता है, जो कि टेकऑफ के पहले ही सिकुड़े हुए पंखों पर पायलटों को अलर्ट कर देता है। इससे फ्लाइट का क्रू भी अलर्ट हो जाता है। एक पूर्व-पायलट मार्को चान ने बताया कि वीडियो से इसकी पुष्टि नहीं हो रही है कि फ्लैप्स पूरी तरह खुले थे या नहीं, लेकिन अगर इन्हें पूरी तरह नहीं खोला गया था तो यह काफी अजीब बात थी। आमतौर पर इससे जुड़े चेक विमान के उड़ान भरने से पहले ही कर लिए जाते हैं, ऐसे में इनके खुलने में दिक्कत के पीछे मशीनी दिक्कत नहीं होनी चाहिए। अगर फ्लैप्स सही से नहीं खोले गए तो यह पायलट की चूक हो सकती है।