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Gujarat: साइबर गुलामी गिरोह का पर्दाफाश, उत्तराखंड के आरोपी समेत तीन गिरफ्तार; बेरोजगारों को बनाते थे निशाना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Mon, 01 Sep 2025 10:56 PM IST
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सार
गुजरात के सूरत में पुलिस ने साइबर गुलामी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक उत्तराखंड का निवासी है। गिरोह बेरोजगार युवाओं को म्यांमा ले जाकर साइबर अपराधियों के लिए जबरन काम कराता था।

गुजरात पुलिस (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
गुजरात पुलिस ने एक बड़े साइबर गुलामी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक उत्तराखंड का रहने वाला है। पुलिस ने खुलासा किया कि ये आरोपी बेरोजगार युवाओं को म्यांमार ले जाकर उन्हें साइबर अपराधियों के लिए काम करने पर मजबूर करते थे। यह गिरोह बेरोजगारी का फायदा उठाकर युवाओं को नौकरी का झांसा देकर डिजिटल शोषण करता था।
सूरत पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और इथियोपिया के करीब 52 युवाओं को म्यांमा भेजा। वहां उन्हें साइबर अपराधियों के लिए काम करने को बाध्य किया गया। युवाओं को ऑनलाइन ठगी, फिशिंग और अन्य साइबर अपराधों में धकेल दिया गया। पुलिस ने बताया कि यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का नेटवर्क है, जो बेरोजगार युवाओं को आसान नौकरी का लालच देकर शोषण करता था।
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डिजिटल शोषण का नया रूप
अधिकारियों ने बताया कि साइबर गुलामी एक तरह का डिजिटल शोषण है। इसमें लोगों को धोखे से या बलपूर्वक मानव तस्करी के जरिये साइबर अपराध करवाए जाते हैं। इन कामों में ठगी, फिशिंग और डेटा चोरी जैसी गतिविधियां शामिल होती हैं। पीड़ितों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था और उनसे जबरन अपराध करवाए जाते थे।
मुख्य साजिशकर्ता उत्तराखंड से
पुलिस की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, रविवार को सूरत से तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें मुख्य साजिशकर्ता नीरव चौधरी (24) उत्तराखंड का रहने वाला है। उसके सहयोगी प्रीत कमानी (21) राजकोट जिले के गोंडल शहर के निवासी हैं, जबकि तीसरा आरोपी आशीष राणा (37) तापी जिले के व्यारा तालुका का रहने वाला है। पुलिस का कहना है कि इनके खिलाफ मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
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जांच में बड़े नेटवर्क के संकेत
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच में इस गिरोह के तार अन्य देशों से भी जुड़े होने के संकेत मिले हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह गिरोह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों के युवाओं को भी फंसाकर म्यांमा ले जा रहा था। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है और जांच आगे बढ़ रही है। माना जा रहा है कि इस नेटवर्क से कई और लोग जुड़े हो सकते हैं, जिन पर जल्द कार्रवाई हो सकती है।

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सूरत पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और इथियोपिया के करीब 52 युवाओं को म्यांमा भेजा। वहां उन्हें साइबर अपराधियों के लिए काम करने को बाध्य किया गया। युवाओं को ऑनलाइन ठगी, फिशिंग और अन्य साइबर अपराधों में धकेल दिया गया। पुलिस ने बताया कि यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का नेटवर्क है, जो बेरोजगार युवाओं को आसान नौकरी का लालच देकर शोषण करता था।
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अधिकारियों ने बताया कि साइबर गुलामी एक तरह का डिजिटल शोषण है। इसमें लोगों को धोखे से या बलपूर्वक मानव तस्करी के जरिये साइबर अपराध करवाए जाते हैं। इन कामों में ठगी, फिशिंग और डेटा चोरी जैसी गतिविधियां शामिल होती हैं। पीड़ितों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था और उनसे जबरन अपराध करवाए जाते थे।
मुख्य साजिशकर्ता उत्तराखंड से
पुलिस की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, रविवार को सूरत से तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें मुख्य साजिशकर्ता नीरव चौधरी (24) उत्तराखंड का रहने वाला है। उसके सहयोगी प्रीत कमानी (21) राजकोट जिले के गोंडल शहर के निवासी हैं, जबकि तीसरा आरोपी आशीष राणा (37) तापी जिले के व्यारा तालुका का रहने वाला है। पुलिस का कहना है कि इनके खिलाफ मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
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जांच में बड़े नेटवर्क के संकेत
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच में इस गिरोह के तार अन्य देशों से भी जुड़े होने के संकेत मिले हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह गिरोह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों के युवाओं को भी फंसाकर म्यांमा ले जा रहा था। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है और जांच आगे बढ़ रही है। माना जा रहा है कि इस नेटवर्क से कई और लोग जुड़े हो सकते हैं, जिन पर जल्द कार्रवाई हो सकती है।