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Sukhoi Engine: रफ्तार के घोड़े पर सवार HAL! नए कॉन्ट्रैक्ट के तहत IAF को सौंपा पहला इंजन, 240 का है टारगेट

Harendra Chaudhary हरेंद्र चौधरी
Updated Tue, 01 Oct 2024 05:15 PM IST
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सार

रक्षा मंत्रालय ने Su-30MKI विमान के लिए 240 एरो-इंजन की खरीद के लिए एचएएल के साथ 26,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। बता दें कि भारतीय वायुसेना के पास 260 सुखोई-30 विमानों का बेड़ा है। इनमें से पहले 50 सुखोई फाइटर जेट रूस से आए थे।

HAL riding on the horse of speed! First engine handed over to IAF under new contract, target is 240
सुखोई होगा अपग्रेड - फोटो : अमर उजाला
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सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने नए कॉन्ट्रैक्ट के तहत भारतीय वायुसेना को सुखोई SU-30MKI फाइटर एयरक्राफ्ट का पहला इंजन सौंप दिया है, जिसके कॉन्ट्रैक्ट पर पिछले महीने 09 सितंबर को ही हस्ताक्षर हुए थे। इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को अगले आठ साल में सुखोई फाइटर जेट के लिए 240 इंजन बनाने थे। लेकिन एक महीने से कम वक्त में एचएएल ने सुखोई का पहला इंजन तैयार करके भारतीय वायुसेना को सौंप दिया। रक्षा मंत्रालय ने Su-30MKI विमान के लिए 240 एरो-इंजन की खरीद के लिए एचएएल के साथ 26,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। बता दें कि भारतीय वायुसेना के पास 260 सुखोई-30 विमानों का बेड़ा है। इनमें से पहले 50 सुखोई फाइटर जेट रूस से आए थे, जबकि बाकी को एचएएल ने ट्रांसफर और टेक्नोलॉजी (T-O-T) लाइसेंस के तहत देश में ही बनाया था।

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हर साल 30 इंजन होंगे डिलीवर
मिग कॉम्प्लेक्स के सीईओ साकेत चतुर्वेदी ने सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट का पहला एरो इंजन भारतीय वायुसेना के एयर वाइस मार्शल के. हरिशंकर को सौंपा। एडीजी एक्यूए (कोरापुट) आर.बी. नागराजा ने भारतीय वायुसेना को इस इंजन के दस्तावेज सौंपे। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने 02 सितंबर को ही सुखोई-30 के इंजनों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। जिसके बाद आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा देते हुए रक्षा मंत्रालय ने सुखोई विमानों के लिए 240 AL-31FP एरो इंजन का कॉन्ट्रैक्ट 9 सितंबर 2024 को एचएएल को सौंपा था, जिसके तहत ये इंजन आठ साल में डिलीवर किए जाने हैं। हर साल 30 इंजन डिलीवर किए जाएंगे। सुखोई के इन इंजनों को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सुखोई इंजन डिविजन, कोरापुट में बनाया जा रहा है। सुखोई के AL-31FP एरो इंजनों को पूरी तरह से यहीं तैयार किया जा रहा है। इन इंजनों में 54 फीसदी से अधिक स्वदेश में ही बने कंपोनेंट्स लगाए गए हैं, और धीरे-धीरे इन्हें बढ़ा कर 63 फीसदी किया जाएगा। 
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भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ हैं सुखोई
भारतीय वायुसेना में इस समय फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं, और अगले डेढ़ दशक में इसके अधिकांश स्क्वाड्रन फेज आउट हो जाएंगे। जबकि भारत को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। मिग-21 बाइसन और मिग-29 के स्क्वाड्रन क्रमशः 2025 और 2035 तक चरणबद्ध तरीके से रिटायर हो जाएंगे। 2019 में पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट स्ट्राइक करने वाले फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों मिराज-2000 भी 2035 तक रिटायर कर दिए जाएंगे। वहीं, वायुसेना पहले ही तेजस एमके-1ए की डिलीवरी में हो रही देरी की समस्या से भी जूझ रही है। वहीं, ट्विन इंजन वाले 260 सुखोई भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ हैं। इनमें से ज्यादातर का निर्माण एचएएल ने रूस से लाइसेंस के तहत 12 अरब डॉलर से अधिक में किया है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना एचएएल से 1.3 बिलियन डॉलर में 12 नए सुखोई-30 भी खरीद रही है, जिसके समझौते पर दस्तखत पिछले साल सितंबर 2023 में किए गए थे। ये 12 नए सुखोई जल्द ही दुर्घटनाग्रस्त हुए विमानों की जगह लेंगे। 

दो से तीन बार बदला जाता है इंजन
इस साल फरवरी में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों (सीसीएस) ने भारतीय वायुसेना के बेड़े में मौजूद लगभग 60 मिग-29 लड़ाकू विमानों के लिए 5,300 करोड़ रुपये की लागत से नए इंजनों को भी मंजूरी दी थी, जिनका निर्माण भी एचएएल रूस के सहयोग से करेगा। बता दें कि भारत सालों से जरूरी थ्रस्ट-टू-वेट रेशियो के साथ फइटर जेट्स के लिए स्वदेशी एरो-इंजन का प्रोडक्शन करने में फेल रहा है। वहीं भारतीय वायुसेना अब लागत कम करने और स्वदेशी कंपोनेंट्स को बढ़ाने के लिए छोटी-छोटी संख्या की बजाय बड़ी मात्रा में एरो-इंजन का ऑर्डर दे रही है। किसी भी फाइटर जेट के जीवनकाल में कम से कम दो से तीन बार इंजन बदलने की जरूरत होती है। 

रूस लगा रहा ताकतवर AL-41FS इंजन
खास बात यह है कि भारत जहां सुखोई-30 के लिए अभी भी AL-31FP इंजन पर ही भरोसा कर रहा है, तो वहीं रूस अपने Su-30SM फाइटर जेट्स के लिए नए और अधिक शक्तिशाली AL-41FS इंजनों के साथ अपग्रेड कर रहा है। हालांकि भारत भी भारत भी अपने सुखोई को अपग्रेड करने की योजना पर काम कर रहा है, लेकिन इसमें सुखोई एवियोनिक्स, रडार और मिशन कंप्यूटर को अपग्रेड किया जाएगा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 84 सुखोई 30 MKI लड़ाकू विमानों की पहली खेप को अपग्रेड करने की मंजूरी मिल चुकी है। सुखोई के अपग्रेड की लागत प्रति जहाज लगभग 130-140 करोड़ रुपये के आसपास होगी। एचएएल अपनी नासिक फैसिलिटी में इन लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करेगा। एचएएल का नासिक डिवीजन पहले ही सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों की ओवरहालिंग कर चुका है। इस अपग्रेडेशन प्रोसेस से सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट्स की लाइफ बढ़ जाएगी, और ये 2055 तक काम करते रहेंगे। वहीं, सभी 84 जेटों के अपग्रेड्स के पूरा होने में आठ साल का लंबा वक्त लग सकता है। इन अपग्रेडेशन के बाद सुखोई-30 रूसी जेट नहीं रह जाएगा, बल्कि 78 फीसदी स्वदेशी सामग्री वाला भारतीय फाइटर जेट बन जाएगा।   

दुनिया में बढ़ेगा HAL का रुतबा
वहीं, इन अपग्रेड्स से पूरी दुनिया में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) का रुतबा भी बढ़ेगा। इससे एचएएल के लिए नया बाजार भी बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के बाद सुखोई जेट के अपग्रेडेशन, साथ मिल कर बनाने और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए रूस ने सहमति दे दी है। दुनिया भर में 600 से ज़्यादा सुखोई 27/30 फाइटर जेट बनाए जा चुके हैं। वियतनाम, मलेशिया, आर्मेनिया, इंडोनेशिया और अल्जीरिया जैसे देशों के पास सुखोई फाइटर जेट्स हैं। वहीं सुखोई में इन अपग्रेडेशन से ये देश भी भारत का रुख करेंगे। आर्मेनिया भी अपने सुखोई-30 को एवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक उपकरण और हथियारों से अपग्रेड करना चाहता है। वह भारत से बियोंड द विजुअल रेंज एस्ट्रा एमके-1 एयर-टू-एयर मिसाइलें खरीद कर सुखोई-30 में लगाना चाहता है। 

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