Health Insurance: आयुष्मान योजना से इस वर्ग को हो सकता है बड़ा नुकसान, कैसे होगी भरपाई?
आईआरडीएआई (IRDAI) ने वर्ष 2047 तक देश के हर नागरिक को बीमा से कवर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2021 में देश के लगभग 51.4 करोड़ लोग किसी न किसी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े थे। यानी 2021 में देश की लगभग 37 आबादी इस समय स्वास्थ्य बीमा सेवाओं का लाभ ले रही थी।
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विस्तार
दिल्ली में 10 अप्रैल से आयुष्मान योजना लागू हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कई लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड देकर इसकी शुरुआत कर दी है। रेखा गुप्ता सरकार का दावा है कि राजधानी के करीब 6.54 लाख परिवारों को आयुष्मान योजना का लाभ मिलेगा, लेकिन दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू होने के कारण बड़ी संख्या में लोग स्वास्थ्य बीमा लेने से कतराने लगे हैं। लोगों को यह लग रहा है कि आयुष्मान बीमा के अंतर्गत 10 लाख रुपये तक का इलाज मिल जाएगा, ऐसे में उन्हें किसी अतिरिक्त स्वास्थ्य बीमा की आवश्यकता नहीं है। इसका बड़ा नुकसान निजी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को होने की संभावना है। स्वास्थ्य बीमा अभिकर्ताओं का कहना है कि आयुष्मान योजना लागू होने के बाद स्वास्थ्य बीमा लेने वालों की संख्या में भारी कमी आई है।
स्वास्थ्य बीमा के आंकड़े
आईआरडीएआई (IRDAI) ने वर्ष 2047 तक देश के हर नागरिक को बीमा से कवर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2021 में देश के लगभग 51.4 करोड़ लोग किसी न किसी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े थे। यानी 2021 में देश की लगभग 37 आबादी इस समय स्वास्थ्य बीमा सेवाओं का लाभ ले रही थी। 2018 में आयुष्मान योजना के सामने आने के बाद इस संख्या में तेज बढ़ोतरी हुई है। अब स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र से कवर्ड लोगों की कुल संख्या देश की कुल आबादी के एक बड़े हिस्से को कवर कर चुकी है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी संख्या प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना का लाभ लेने वाले लाभार्थियों की ही है। हालांकि, इसके बाद भी देश की बहुत बड़ी आबादी स्वास्थ्य सेवाओं से दूर है।
जो लोग किसी न किसी निजी स्वास्थ्य बीमा का लाभ रहे हैं, उनमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी संगठित क्षेत्र (ऑर्गनाइज्ड सेक्टर) में काम कर रहे कर्मचारियों और उनके परिवार के लोगों की है। केंद्र सरकार, विभिन्न राज्य सरकार के कर्मचारियों, तीनों सेनाओं, निजी क्षेत्र में संगठित कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारी सरकार या कंपनियों के द्वारा आवश्यक तौर पर दी जा रही स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। अपने आप में यह एक बड़ी संख्या है जिसे स्वास्थ्य बीमा सेवा का लाभ मिल रहा है। यहां सेना के अंगों, कुछ सरकारी क्षेत्रों/कम्पनियों में अपने कर्मचारियों को मुफ्त में स्वास्थ्य/चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जाती हैं। इस वर्ग को यहां स्वास्थ्य बीमा सेवा लाभ हासिल करने वाले वर्ग के अंतर्गत रखा गया है।
आयुष्मान योजना की सबसे बड़ी हिस्सेदारी
स्वास्थ्य बीमा से कवर्ड लोगों में बड़ी हिस्सेदारी प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों की हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान योजना की शुरुआत 23 सितंबर 2018 को झारखंड के रांची से की थी। शुरुआत में 10.74 करोड़ परिवारों के लगभग 50 करोड़ लोगों को इसके अंदर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। वर्तमान में करीब 12 करोड़ परिवारों के लगभग 55 करोड़ लोगों को इस योजना का पात्र माना जाता है। पीआईबी (प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो) के एक आंकड़े के अनुसार, जून 2024 तक 34.7 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
40 करोड़ लोग स्वास्थ्य बीमा सेवाओं से दूर
सरकारी और निजी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों की सेवाओं के बाद भी देश की बड़ी आबादी आज भी स्वास्थ्य सेवाओं से बाहर है। नीति आयोग के एक आंकड़े के अनुसार, देश के करीब 40 करोड़ लोग आज भी स्वास्थ्य बीमा सेवाओं से दूर हैं। इस वर्ग को किसी स्वास्थ्य बीमा सेवा के अंदर लाना सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती है। विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएं और मूलभूत ढांचा उपलब्ध नहीं हैं, वहां स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचा पाना टेढ़ी खीर है।
स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को हो रहा नुकसान
देश की सबसे प्रमुख कंपनियों में से एक के स्वास्थ्य बीमा अभिकर्ता सुनील कुमार उपाध्याय ने अमर उजाला को बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा आयुष्मान योजना लाने से स्वास्थ्य बीमा के प्रति मध्यम वर्ग का रुझान काफी कम हो गया है। स्वास्थ्य बीमा लेने वालों में सबसे अधिक संख्या मध्य वर्ग की होती है। लेकिन अब ज्यादातर परिवारों को लग रहा है कि प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना आने से उनके परिवार को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा मिल जाएगी। ऐसे में उन्हें स्वास्थ्य बीमा सेवा पर खर्च करना सही नहीं लग रहा। उन्होंने कहा कि, जबकि असलियत यह है कि यह केवल निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए है। आयकर दाता, सरकारी नौकरी और अच्छी कमाई कर रहे वर्ग को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा कि वे अकेले हर सप्ताह आठ-दस स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी करते थे। लेकिन 10 अप्रैल 2025 को दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू होने के बाद अब कोई इसमें रुचि नहीं दिखा रहा है। उनके नई दिल्ली केंद्र पर काम कर रहे तीन हजार से अधिक अभिकर्ताओं में लगभग सबका यही हाल है। इसका असर सरकारी और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य बीमा अभिकर्ताओं पर पड़ेगा।
'मध्य वर्ग के लिए अपरिहार्य है स्वास्थ्य बीमा'
एक अभिकर्ता शालिनी श्रीवास्तव ने अमर उजाला से कहा कि जब तक केंद्र-राज्य सरकार सभी नागरिकों को किसी स्वास्थ्य बीमा के अंदर नहीं लाती, तब तक पूरे स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र के सामने कोई संकट नहीं है। सरकार ने अभी आयुष्मान योजना केवल निम्न वर्ग के लिए ही पेश की है। इनकम टैक्स देने वाला मध्य और उच्च वर्ग अभी भी इस दायरे से बाहर है। मध्य वर्ग ही स्वास्थ्य बीमा सेवाओं का असली और सबसे बड़ा उपभोक्ता है। ऐसे में स्वास्थ्य बीमा सेवा क्षेत्र में काम करने वालों के सामने कोई संकट नहीं है।
सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि दिल्ली में इस योजना का लाभ केवल 6.54 लाख परिवार उठा सकेंगे। अनधिकृत आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में 55 से 60 लाख परिवार रहते हैं जिनमें दो से ढाई करोड़ लोग रहते हैं। ऐसे में सरकार आयुष्मान योजना के माध्यम से दिल्ली की अधिकतम 10 फीसदी आबादी तक ही पहुंच रही है। ऐसे में शेष 90 प्रतिशत लोगों के लिए एक बेहतर स्वास्थ्य बीमा की उपयोगिता बनी रहेगी। यानी यहां स्वास्थ्य बीमा सेवाओं के लिए एक बहुत बड़ा बाजार रिक्त रहता है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने की सीमित क्षमता के चलते सरकार के लिए सभी परिवारों को स्वास्थ्य बीमा के अंदर लाना संभव नहीं है। आयुष्मान योजना लागू होने के कारण कुछ लोगों को गलतफहमी अवश्य हो सकती है, लेकिन जल्द ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य बीमा की उपयोगिता समझ में आ जायेगी। ऐसे में मध्य वर्ग के लिए स्वास्थ्य बीमा अभी भी अपरिहार्य ही रहेगा।