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सेहत: गर्दन-पीठ के दर्द, बार-बार नींद टूटने और दिनभर की थकान की बड़ी वजह बनता है तकिया
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Tue, 23 Dec 2025 06:01 AM IST
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सार
अच्छी नींद के लिए सही तकिये का चुनाव बेहद जरूरी है, क्योंकि गलत तकिया नींद की गुणवत्ता खराब कर सकता है और चैन छीन सकता है। सही ऊंचाई और फर्मनेस वाला तकिया गर्दन और रीढ़ की हड्डी को संतुलन में रखता है, जिससे गर्दन-पीठ का दर्द और दिनभर की थकान कम होती है।
नींद नहीं आना
- फोटो : एडॉब स्टॉक
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विस्तार
अच्छी नींद के लिए दवाइयों या महंगे गैजेट्स से पहले जिस चीज की सबसे ज्यादा अनदेखी होती है, वह है तकिया। गलत तकिया के चयन से आपकी नींद तो बिगड़ेगी ही चैन भी छिन जाएगा।
गलत तकिया न केवल नींद की गुणवत्ता को खराब करती है, बल्कि गर्दन-पीठ के दर्द, बार-बार नींद टूटने और दिनभर की थकान की बड़ी वजह भी बन सकता है। वैज्ञानिक शोध साफ संकेत दे रहे हैं कि तकिये की ऊंचाई और उसकी कठोरता (फर्मनेस) अच्छी नींद के सबसे मजबूत संकेतक हैं। नेशनल ज्योग्राफिक की प्रीमियम हेल्थ सेक्शन की रिपोर्ट के अनुसार अगर आपको लगता है कि खराब नींद केवल तनाव, मोबाइल स्क्रीन या अनियमित दिनचर्या की वजह से होती है, तो विज्ञान की ताजा चेतावनी इससे कहीं सरल लेकिन अहम है। रिपोर्ट बताती है कि गलत तकिया आपकी नींद को बर्बाद कर सकता है, जबकि सही ऊंचाई और सही कठोरता वाला तकिया न केवल नींद की गुणवत्ता सुधारती है, बल्कि दर्द कम करने और जागते समय शरीर की मुद्रा को बेहतर रखने में भी मदद करती है। रिपोर्ट के मुताबिक तकिया सिर और गर्दन को रीढ़ की हड्डी के साथ संतुलन में रखने का काम करता है। यह संतुलन बिगड़ते ही गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे नींद बार-बार टूटती है और शरीर पूरी तरह आराम की अवस्था में नहीं पहुंच पाता। वैज्ञानिक इसे स्लीप पोश्चर का अहम आधार मानते हैं, जो सीधे-सीधे नींद की गहराई और निरंतरता से जुड़ा है।
करवट सोने वालों के लिए ऊंचा तकिया
रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि गलत तकिया केवल रात की समस्या नहीं है। इसका असर दिन में भी दिखता है। लगातार गर्दन और कंधों में जकड़न, सिरदर्द, और पीठ दर्द जैसी शिकायतें इसी असंतुलन से जुड़ी हो सकती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि सही तकिया शरीर को सोते समय “रीसेट” करने में मदद करता है, जिससे जागने के बाद की मुद्रा और मांसपेशियों की स्थिति बेहतर रहती है। हर व्यक्ति के लिए एक जैसा तकिया सही नहीं हो सकता। पीठ के बल सोने वालों के लिए मध्यम ऊंचाई और संतुलित फर्मनेस जरूरी मानी गई है, ताकि गर्दन की प्राकृतिक वक्रता बनी रहे। करवट लेकर सोने वालों को थोड़ी ऊंचा और अधिक सहारा देने वाला तकिया बेहतर रहता है, जिससे कंधे और गर्दन के बीच का अंतर संतुलित हो सके।
शरीर के हिसाब से लें तकिया
विज्ञान के मुताबिक शरीर का आकार यानी व्यक्ति मोटा है या पतला तकिये की जरूरतों को सीधे प्रभावित करता है। स्लीप मेडिसिन और बायोमैकेनिक्स से जुड़े शोध बताते हैं कि मोटे शरीर वाले लोगों में कंधों और ऊपरी धड़ की चौड़ाई अधिक होती है, जिससे करवट लेकर सोते समय सिर और गद्दे के बीच की दूरी बढ़ जाती है। ऐसे में अधिक ऊंचाई और अपेक्षाकृत ज्यादा फर्मनेस वाला तकिया जरूरी होती है, ताकि गर्दन रीढ़ की हड्डी की सीध में बनी रहे। बहुत पतली या ज्यादा दब जाने वाला तकिया मोटे शरीर वाले व्यक्ति में गर्दन को नीचे झुका देता है, जिससे सर्वाइकल स्पाइन पर दबाव बढ़ता है और नींद टूटने की आशंका रहती है। अगर लापरवाही बढ़ती गई तो सर्वाइकल पेन तय है।
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गलत तकिया न केवल नींद की गुणवत्ता को खराब करती है, बल्कि गर्दन-पीठ के दर्द, बार-बार नींद टूटने और दिनभर की थकान की बड़ी वजह भी बन सकता है। वैज्ञानिक शोध साफ संकेत दे रहे हैं कि तकिये की ऊंचाई और उसकी कठोरता (फर्मनेस) अच्छी नींद के सबसे मजबूत संकेतक हैं। नेशनल ज्योग्राफिक की प्रीमियम हेल्थ सेक्शन की रिपोर्ट के अनुसार अगर आपको लगता है कि खराब नींद केवल तनाव, मोबाइल स्क्रीन या अनियमित दिनचर्या की वजह से होती है, तो विज्ञान की ताजा चेतावनी इससे कहीं सरल लेकिन अहम है। रिपोर्ट बताती है कि गलत तकिया आपकी नींद को बर्बाद कर सकता है, जबकि सही ऊंचाई और सही कठोरता वाला तकिया न केवल नींद की गुणवत्ता सुधारती है, बल्कि दर्द कम करने और जागते समय शरीर की मुद्रा को बेहतर रखने में भी मदद करती है। रिपोर्ट के मुताबिक तकिया सिर और गर्दन को रीढ़ की हड्डी के साथ संतुलन में रखने का काम करता है। यह संतुलन बिगड़ते ही गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे नींद बार-बार टूटती है और शरीर पूरी तरह आराम की अवस्था में नहीं पहुंच पाता। वैज्ञानिक इसे स्लीप पोश्चर का अहम आधार मानते हैं, जो सीधे-सीधे नींद की गहराई और निरंतरता से जुड़ा है।
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करवट सोने वालों के लिए ऊंचा तकिया
रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि गलत तकिया केवल रात की समस्या नहीं है। इसका असर दिन में भी दिखता है। लगातार गर्दन और कंधों में जकड़न, सिरदर्द, और पीठ दर्द जैसी शिकायतें इसी असंतुलन से जुड़ी हो सकती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि सही तकिया शरीर को सोते समय “रीसेट” करने में मदद करता है, जिससे जागने के बाद की मुद्रा और मांसपेशियों की स्थिति बेहतर रहती है। हर व्यक्ति के लिए एक जैसा तकिया सही नहीं हो सकता। पीठ के बल सोने वालों के लिए मध्यम ऊंचाई और संतुलित फर्मनेस जरूरी मानी गई है, ताकि गर्दन की प्राकृतिक वक्रता बनी रहे। करवट लेकर सोने वालों को थोड़ी ऊंचा और अधिक सहारा देने वाला तकिया बेहतर रहता है, जिससे कंधे और गर्दन के बीच का अंतर संतुलित हो सके।
शरीर के हिसाब से लें तकिया
विज्ञान के मुताबिक शरीर का आकार यानी व्यक्ति मोटा है या पतला तकिये की जरूरतों को सीधे प्रभावित करता है। स्लीप मेडिसिन और बायोमैकेनिक्स से जुड़े शोध बताते हैं कि मोटे शरीर वाले लोगों में कंधों और ऊपरी धड़ की चौड़ाई अधिक होती है, जिससे करवट लेकर सोते समय सिर और गद्दे के बीच की दूरी बढ़ जाती है। ऐसे में अधिक ऊंचाई और अपेक्षाकृत ज्यादा फर्मनेस वाला तकिया जरूरी होती है, ताकि गर्दन रीढ़ की हड्डी की सीध में बनी रहे। बहुत पतली या ज्यादा दब जाने वाला तकिया मोटे शरीर वाले व्यक्ति में गर्दन को नीचे झुका देता है, जिससे सर्वाइकल स्पाइन पर दबाव बढ़ता है और नींद टूटने की आशंका रहती है। अगर लापरवाही बढ़ती गई तो सर्वाइकल पेन तय है।