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Hindi-Marathi Row: 'विधानसभा में पेश होगी माशेलकर समिति की रिपोर्ट', हिंदी-मराठी विवाद के बीच मंत्री उदय सामंत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: पवन पांडेय Updated Mon, 07 Jul 2025 07:34 PM IST
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सार

Hindi-Marathi Row: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर छिड़े विवाद पर एक तरफ जहां राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। वहीं राज्य सरकार ने इस मामले पर कहा है कि वो हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने वाली माशेलकर समिति की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करेगी।

Hindi-Marathi row: Mashelkar Committee report to be tabled in assembly, says Samant
उदय सामंत, मंत्री महाराष्ट्र (दाएं) - फोटो : ANI

विस्तार
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महाराष्ट्र के मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार माशेलकर समिति की उस रिपोर्ट को सदन में पेश करेगी, जिसमें कक्षा 1 से हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने की सिफारिश की गई है। मंत्री उदय सामंत ने यह बात विधानसभा में मराठी भाषा विभाग के पूरक मांगों पर चर्चा के दौरान कही। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट 22 फरवरी 2022 को तत्कालीन सरकार को सौंपी गई थी।
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समिति ने 1-12वीं तक हिंदी भाषा अनिवार्य करने की थी सिफारिश
उदय सामंत ने कहा, 'यह रिपोर्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत उच्च और तकनीकी शिक्षा से संबंधित थी। इसमें कक्षा 1 से 12 तक हिंदी को अनिवार्य भाषा बनाने की सिफारिश की गई थी।' उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की सूचना विभाग ने उस समय के मुख्यमंत्री (बिना नाम लिए उद्धव ठाकरे की ओर इशारा करते हुए) के हवाले से सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है।
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पूर्व सीएम ठाकरे ने सिफारिशों को दी थी मंजूरी- फडणवीस
मंत्री ने कहा, 'महायुति सरकार (शिंदे-फडणवीस सरकार) ने हिंदी को कक्षा एक से अनिवार्य नहीं बनाया है। माशेलकर समिति की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाएगा।' इससे पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीन-भाषा नीति और हिंदी को लेकर जारी दो सरकारी आदेश को वापस लेते हुए कहा था कि माशेलकर समिति की सिफारिशों को पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंजूरी दी थी। 

सीएम फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी दिखाया था कि कैबिनेट बैठक की कार्यवाही में उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर मौजूद हैं, जिसमें इस रिपोर्ट को स्वीकार करने का उल्लेख था। वहीं उद्धव ठाकरे ने इस पर जवाब देते हुए कहा था कि रिपोर्ट उनके कार्यकाल में जरूर आई थी, लेकिन सरकार गिरने के कारण उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

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राज्य में हिंदी-मराठी विवाद पर बवाल तेज
यह विवाद महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को स्कूलों में अनिवार्य बनाने को लेकर छिड़ा है, जिसे कई मराठी संगठनों और राजनीतिक दलों ने 'मराठी भाषा की उपेक्षा' बताते हुए विरोध किया है। इस मुद्दे पर हिंदी और मराठी के बीच संतुलन बनाने को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। राज्य सरकार अब माशेलकर समिति की रिपोर्ट को सदन में प्रस्तुत करेगी और इस पर चर्चा के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल सरकार ने स्पष्ट किया है कि हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया गया है।

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