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उपलब्धि: पानी में घातक आर्सेनिक को पलभर में पहचानेगा नया सेंसर, IIT जोधपुर ने बनाया किफायती उपकरण
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Tue, 13 May 2025 06:39 AM IST
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सार
आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों ने पानी में घातक आर्सेनिक तत्व की पहचान के लिए एक किफायती, पोर्टेबल और सटीक सेंसर विकसित किया है। इस सेंसर की सबसे खास बात यह है कि यह बिना किसी विशेषज्ञ तकनीशियन आर्सेनिक की मात्रा को पहचान सकता है। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. महेश कुमार ने बताया कि इसका डिजाइन उपयोगकर्ता अनुकूल बनाया गया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसे आसानी से चला सकें।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला

विस्तार
देश के ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में सुरक्षित पेयजल की भारी कमी के बीच आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों ने एक बेहद उपयोगी नवाचार किया है। संस्थान ने पानी में घातक आर्सेनिक तत्व की पहचान के लिए एक किफायती, पोर्टेबल और सटीक सेंसर विकसित किया है।
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इस सेंसर की सबसे खास बात यह है कि यह बिना किसी विशेषज्ञ तकनीशियन आर्सेनिक की मात्रा को पहचान सकता है। इसे एक सर्किट बोर्ड और ‘आर्डुइनो’ मॉड्यूल से जोड़ा गया है, जिससे यह रियल टाइम में आंकड़े साझा कर सकता है। यह पहला ऐसा सेंसर है जो बिना किसी जटिल लैब उपकरणों या विशेषज्ञ तकनीशियन की मदद के मौके पर ही सटीक और बार-बार दोहराए जा सकने वाले परिणाम देता है। यह तकनीक इंसानों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन रहे आर्सेनिक से निपटने में मददगार साबित हो सकती है। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. महेश कुमार ने बताया कि इसका डिजाइन उपयोगकर्ता अनुकूल बनाया गया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसे आसानी से चला सकें। अब तक आर्सेनिक की जांच के लिए स्पेक्ट्रोस्कोपिक और इलेक्ट्रोकेमिकल तकनीकों का उपयोग होता रहा है, लेकिन यह बहुत महंगी और तकनीकी रूप से जटिल भी होती हैं। ऐसे में ये तकनीकें गरीब और दूरदराज के इलाकों के लिए व्यावहारिक नहीं हैं।
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स्वास्थ्य के लिए है गंभीर खतरा
अत्यंत विषैला रसायन आर्सेनिक बहुत कम मात्रा में भी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। इसमें त्वचा का कैंसर, तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं और हृदय रोग प्रमुख हैं। भूजल में आर्सेनिक की उपस्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा 10 पीपीबी से अधिक होने पर गंभीर रूप ले सकती है।
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108 देशों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर पर
जियोसाइंस फ्रंटियर्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में 250 करोड़ लोग पीने के पानी के लिए भूजल पर निर्भर हैं। इनमें से 108 देशों के भूजल स्रोतों में आर्सेनिक की मात्रा सुरक्षित स्तर से अधिक है। भारत के 20 राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों में यह समस्या गंभीर बन चुकी है। अध्ययन के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 23 करोड़ लोग जिनमें से 18 करोड़ एशिया में हैं, आर्सेनिक प्रदूषित पानी के कारण गंभीर जोखिम में हैं।
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