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VB-G-Ram-G Bill: राजद नेता मनोज झा ने सांसदों को लिखा खुला पत्र, वीबी-जी राम जी विधेयक का विरोध करने का आह्वान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Thu, 18 Dec 2025 02:04 PM IST
सार
VB-G-Ram-G Bill: राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने अन्य सांसदों को एक खुला पत्र लिखकर उनसे वीबी-जी-राम-जी विधेयक, 2025 का विरोध करने की अपील की है। झा ने यह भी कहा कि 125 दिनों तक काम देने का दावा भी भ्रामक है।
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मनोज झा (फाइल)
- फोटो : एएनआई/वीडियो ग्रैब
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विस्तार
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने गुरुवार संसद के अन्य सदस्यों को खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सदस्यों से मनरेगा की रक्षा करने और उसकी जगह लेने के लिए लाए गए 'विकसित भारत जी-राम-जी विधेयक' का विरोध करने की अपील की। राज्यसभा सदस्य झा ने पत्र में महात्मा गांधी के जंतर का हवाला दिया है, जिसमें फैसला लेते समय सबसे गरीब व्यक्ति के चेहरे को याद रखने की बात कही गई है।
मनोज झा इन पत्र को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा किया। उन्होंने कहा कि मनरेगा केवल एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि यह भारत गणराज्य की ओर से अपने सबसे गरीब नागरिकों से किया गया नैतिक वादा है। यह संविधान की ओर से दी गई गरिमा, आजीविका और सामाजिक न्याय की गारंटी को दर्शाता है।
ये भी पढ़ें: G RAM G bill: विपक्ष का संसद परिसर में विरोध मार्च, खरगे बोले- इस बिल के खिलाफ हम संसद से लेकर सड़क तक लड़ेंगे
राज्यसभा सांसद ने अपने तर्क को मजबूत करने के लिए गांधी के जंतर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गांधी हमें यह याद दिलाने को कहते थे कि हमने जिस सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति को देखा है, उसका चेहरा याद करें और खुद से पूछें कि जो फैसला हम लेने जा रहे हैं, क्या वह उस व्यक्ति के किसी काम आएगा और क्या वह उसे अपने जीवन पर नियंत्रण वापस दिलाएगा।
उन्होंने कहा कि गांधी का मानना था कि जब कोई निर्णय इस कसौटी पर खरा उतरता है, तो सभी संदेह खत्म हो जाते हैं। यह जंतर सार्वजनिक जीवन के हर फैसले का मार्गदर्शन करने के लिए था और आज वे उसी सिद्धांत को ध्यान में रखकर यह पत्र लिख रहे हैं। उन्होंने 'वीबी-जी-राम-जी विधेयक, 2025' का विरोध करने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोकसभा में इस विधेयक पर देर रात तक चर्चा हुई। उन्होंने राज्यसभा के सदस्यों से भी आग्रह करते हैं कि वे इसका विरोध करें। मनोज झा ने कहा कि मनरेगा कानून 2005 सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के समर्थन से बनाया गया था। उस समय संसद ने यह साझा सांविधानिक जिम्मेदारी मानी थी कि सम्मान के साथ काम का अधिकार हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली का अहम हिस्सा है।
ये भी पढ़ें: लोकसभा से 'वीबी-जी-राम-जी' विधेयक पारित, कृषि मंत्री बोले- बापू का अपमान कर रहा विपक्ष
125 दिनों तक काम का दावा भ्रामक: मनोझ झा
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 41 का भी हवाला दिया, जिसमें राज्य को बेरोजगारी और जरूरतमंदों को काम और सरकारी मदद सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा ने इस निर्देश को कानूनी गारंटी में बदला, लेकिन प्रस्तावित विधेयक इस गारंटी को खत्म कर देता है। मनोज झा ने कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि नया ढांचा 100 की बजाय 125 दिनों का काम देगा, लेकिन यह दावा भ्रामक है।
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मनोज झा इन पत्र को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा किया। उन्होंने कहा कि मनरेगा केवल एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि यह भारत गणराज्य की ओर से अपने सबसे गरीब नागरिकों से किया गया नैतिक वादा है। यह संविधान की ओर से दी गई गरिमा, आजीविका और सामाजिक न्याय की गारंटी को दर्शाता है।
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राज्यसभा सांसद ने अपने तर्क को मजबूत करने के लिए गांधी के जंतर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गांधी हमें यह याद दिलाने को कहते थे कि हमने जिस सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति को देखा है, उसका चेहरा याद करें और खुद से पूछें कि जो फैसला हम लेने जा रहे हैं, क्या वह उस व्यक्ति के किसी काम आएगा और क्या वह उसे अपने जीवन पर नियंत्रण वापस दिलाएगा।
उन्होंने कहा कि गांधी का मानना था कि जब कोई निर्णय इस कसौटी पर खरा उतरता है, तो सभी संदेह खत्म हो जाते हैं। यह जंतर सार्वजनिक जीवन के हर फैसले का मार्गदर्शन करने के लिए था और आज वे उसी सिद्धांत को ध्यान में रखकर यह पत्र लिख रहे हैं। उन्होंने 'वीबी-जी-राम-जी विधेयक, 2025' का विरोध करने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोकसभा में इस विधेयक पर देर रात तक चर्चा हुई। उन्होंने राज्यसभा के सदस्यों से भी आग्रह करते हैं कि वे इसका विरोध करें। मनोज झा ने कहा कि मनरेगा कानून 2005 सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के समर्थन से बनाया गया था। उस समय संसद ने यह साझा सांविधानिक जिम्मेदारी मानी थी कि सम्मान के साथ काम का अधिकार हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली का अहम हिस्सा है।
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125 दिनों तक काम का दावा भ्रामक: मनोझ झा
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 41 का भी हवाला दिया, जिसमें राज्य को बेरोजगारी और जरूरतमंदों को काम और सरकारी मदद सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा ने इस निर्देश को कानूनी गारंटी में बदला, लेकिन प्रस्तावित विधेयक इस गारंटी को खत्म कर देता है। मनोज झा ने कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि नया ढांचा 100 की बजाय 125 दिनों का काम देगा, लेकिन यह दावा भ्रामक है।
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