चिंताजनक: सड़कों पर बढ़ते वाहन चढ़ा रहे वायु प्रदूषण का ग्राफ, हर तीन सेकंड में 20 नई कारें और हो रही पंजीकृत
भारत में वायु प्रदूषण में अब सबसे बड़ा योगदान निजी वाहनों का है। हर तीन सेकंड में 20 कार और 70 दोपहिया वाहन रजिस्टर हो रहे हैं। प्रत्येक नई कार औसतन 3.15 किलो CO₂ प्रति किलोमीटर उत्सर्जित करती है। 2024-25 में 2.55 करोड़ वाहन पंजीकृत हुए, जिससे हवा जहरीली और शहरी योजना पर दबाव बढ़ा।
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वाहनों की बढ़ती संख्या ने वायु प्रदूषण का ग्राफ बहुत तेजी के साथ बढ़ाया है। भारत में वायु प्रदूषण की असली जड़ अब उद्योग, पराली या कचरा नहीं, बल्कि सड़क पर उतरते निजी वाहनों की तेजी से बढ़ती संख्या बन चुकी है। जैसे-जैसे शहरों में कारों और दोपहिया वाहनों की संख्या विस्फोटक रूप से बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे हवा की गुणवत्ता भी उसी रफ्तार से खतरनाक स्तरों पर पहुंच रही है। सीएसई की किताब सांसों का आपातकाल के अनुसार विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण में अब सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र का है और इसका प्रमुख कारण निजी वाहनों पर बढ़ती निर्भरता है।
देश में वाहनों का पंजीकरण जिस तेज रफ्तार से बढ़ रहा है, उसके सामने प्रदूषण नियंत्रण के हर प्रयास छोटे पड़ते जा रहे हैं। हर तीन सेकंड में 20 नई कारें और 70 दोपहिया वाहन रजिस्टर हो जाते हैं। जितनी देर में कोई व्यक्ति एक-दो घूंट पानी पिएगा उतनी देर में लगभग 100 गाड़ियां और सड़क पर आ चुकी होती हैं। प्रत्येक नई कार औसतन 3.15 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड प्रति किलोमीटर उत्सर्जित करती है, जो हवा को सीधे तौर पर जहरीला बनाती है।
यही नहीं, हर 15 सेकंड में इतने वाहन रजिस्टर हो जाते हैं कि उन्हें पार्क करने के लिए फुटबॉल के मैदान जितनी जगह की आवश्यकता होती है, जिससे शहरी योजना पर भी भारी दबाव बन रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में देश में 2.55 करोड़ वाहन पंजीकृत हुए, जिनमें 88 प्रतिशत निजी वाहन मुख्यतः कारें और दोपहिया थे।
यात्राएं ज्यादा, दूरी भी लंबी...प्रदूषण दोगुना
भारत में यातायात पैटर्न में भी बड़ा बदलाव आया है। बीते दस वर्षों में प्रति व्यक्ति यात्रा दर 17.5 प्रतिशत बढ़ी है और प्रति यात्रा दूरी में 28.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। यानी लोग पहले की तुलना में ज्यादा और लंबी दूरी तय कर रहे हैं, और इन यात्राओं का अधिकांश हिस्सा निजी वाहनों से हो रहा है। नतीजतन शहरों के स्तर पर उत्सर्जित होने वाला कार्बन अब पहले से कई गुना अधिक हो चुका है।
उदाहरण के लिए मिजोरम की राजधानी आइजोल सोशल मीडिया पर अनुशासित ट्रैफिक और बिना हॉर्न के लंबी कतारों में चलते वाहनों के कारण मशहूर हो चुकी है, लेकिन इसके पीछे एक कड़वी सच्चाई छिपी है। यह शहर गंभीर ट्रैफिक जाम की समस्या से ग्रस्त है, क्योंकि यह बिना किसी सुनियोजित विकास योजना के पहाड़ी ढलानों पर बसा है। आइजोल का क्षेत्रफल 129.91 वर्ग किमी है और शहर में 429 किलोमीटर सड़कें हैं, लेकिन इनमें से केवल 40% ही ऐसी हैं जिनकी चौड़ाई 10 मीटर से अधिक है।