सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   India Atomic Energy Regulation SHANTI Bill 2025 in Parliament Nuclear Reactor Private Sector explained news

भारत में आम लोगों के हाथ आएंगे एटमी उपकरण?: परमाणु ऊर्जा कानून में बदलाव का प्रस्ताव, जानें इसके मायने

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 17 Dec 2025 01:35 PM IST
सार

यह जानना अहम है कि आखिर इस विधेयक में क्या प्रस्ताव हैं, जिन्हें लेकर देशभर में चर्चाएं जारी हैं? इससे परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल के नियम किस तरह बदल जाएंगे? अगर निजी और आम लोगों को परमाणु उपकरण के इस्तेमाल की इजाजत होगी तो इसकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी? अगर ऐसे में कोई हादसा हो जाता है तो इससे कैसे निपटा जाएगा? इसके अलावा सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण क्यों है? आइये जानते हैं...

विज्ञापन
India Atomic Energy Regulation SHANTI Bill 2025 in Parliament Nuclear Reactor Private Sector explained news
परमाणु शक्ति को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी। - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

केंद्र सरकार ने लोकसभा में सिविल न्यूक्लियर कानून में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। इसके जरिए सरकार अब परमाणु ऊर्जा पर सरकार का एकाधिकार खत्म करने की तैयारी कर रही है। अगर मौजूदा कानून को बदलने के लिए लाया गया विधेयक स्वीकार होता है तो आने वाले दिनों में भारत में निजी कंपनियां और यहां तक कि आम व्यक्ति भी परमाणु संयंत्र के निर्माण और इसके संचालन जैसी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
Trending Videos


केंद्रीय विज्ञान-तकनीक मामलों के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में इससे जुड़ा विधेयक पेश किया। बुधवार को इस पर चर्चा शुरू हुई। बताया गया है कि इस विधेयक को कानून बनवाकर सरकार 2047 तक कुल 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रही है। 
विज्ञापन
विज्ञापन

ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर इस विधेयक में क्या प्रस्ताव हैं, जिन्हें लेकर देशभर में चर्चाएं जारी हैं? इससे परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल के नियम किस तरह बदल जाएंगे? अगर निजी और आम लोगों को परमाणु उपकरण के इस्तेमाल की इजाजत होगी तो इसकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी? अगर ऐसे में कोई हादसा हो जाता है तो इससे कैसे निपटा जाएगा? इसके अलावा सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण क्यों है? आइये जानते हैं...

पहले जानें- क्या हैं सिविल न्यूक्लियर कानून में बदलाव का प्रस्ताव?
सिविल न्यूक्लियर कानून में बदलाव के लिए जो विधेयक लाया गया है, उसे सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI), 2025 नाम दिया गया है। इसके जरिए सरकार परमाणु ऊर्जा कानून (एटॉमिक एनर्जी एक्ट), 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को वापस ले लेगी। मौजूदा समय में भारत में परमाणु पदार्थों, ऊर्जा और उपकरणों के इस्तेमाल को लेकर यही दोनों कानून दिशा-निर्देश तय करते हैं।

अब जानें- नए विधेयक में क्या?
शांति, 2025 विधेयक में परमाणु ऊर्जा के उत्पादन, इस्तेमाल और नियमन के लिए एक नया वैध ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा रेडिएशन के मानकों को लेकर भी इस विधेयक में कई नियम शामिल किए गए हैं। विधेयक में कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा भारत की स्वच्छ ऊर्जा जरूरतों के लिए काफी अहम है। खासकर जैसे-जैसे ऊर्जा की मांग वाली तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डाटा सेंटर्स और उत्पादन की मांग बढ़ती जा रही है। 

कैसे सरकार तय करेगी परमाणु गतिविधियों का विनियमन?
  • विधेयक में कहा गया है कि सभी परमाणु और इससे होने वाले उत्सर्जन से जुड़ी गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) से सुरक्षा मंजूरियां लेनी होंगी। 
  • इस विधेयक के जरिए परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड की शक्तियां बढ़ाई गई हैं। अब एईआरबी सुरक्षा, रेडिएशन, परमाणु कचरे के प्रबंधन, जांच और आपात स्थिति को लेकर ज्यादा शक्तिशाली होगा।
  • सरकार के पास रेडियोएक्टिव पदार्थों या रेडिएशन से जुड़े उपकरणों के नियंत्रण का भी अधिकार होगा, ताकि किसी सुरक्षा खतरे की स्थिति में सरकार खुद व्यवस्था को अपने हाथ में ले सके। 

अगर परमाणु ऊर्जा से जुड़ा हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार?
परमाणु ऊर्जा अगर भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायक है तो इसका गलत प्रबंधन हादसों को भी बुलावा दे सकता है। ऐसे में सरकार ने विधेयक में परमाणु हादसों को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम बनाए हैं। इसके तहत किसी भी दुर्घटना की स्थिति में परमाणु ऊर्जा से जुड़े केंद्र के संचालक को सबसे पहले घटना के लिए जिम्मेदार माना जाएगा और उसे नुकसान की भरपाई करनी होगी इसमें कहा गया है कि परमाणु केंद्र का संचालक हर तरह के नुकसान और तबाही के लिए जिम्मेदार होगा, सिवाय किसी खतरनाक प्राकृतिक आपदा से हुई तबाही के। यानी अगर कोई प्राकृतिक आपदा ऐसी है, जिसमें तमाम सुरक्षा मानकों का पालन करने के बावजूद नुकसान को नहीं रोका जा सकता, उस स्थिति में संचालक की जिम्मेदारी सीमित या नहीं होगी। 

इसके अलावा सशस्त्र संघर्ष, गृह युद्ध, आतंकवाद की घटना या विद्रोह की स्थिति में भी परमाणु इंस्टॉलेशन के संचालक की जिम्मेदारी सीमित या तय होगी। विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर नुकसान का मुआवजा संचालक की तय जिम्मेदारी से ज्यादा है तो अतिरिक्त मुआवजे के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी।

संचालकों के लिए भी परमाणु सुरक्षा से जुड़े नियम तय
सरकार ने साफ किया है कि परमाणु ऊर्जा के लिए इससे जुड़े पदार्थ और उपकरणों का इस्तेमाल करने वाली निजी कंपनियों-लोगों को बीमा और वित्तीय सुरक्षा का प्रबंधन करना जरूरी होगा, ताकि किसी संभावित नुकसान की स्थिति में उसकी भरपाई की जा सके। विधेयक में कहा गया है कि किसी हादसे की स्थिति में परमाणु नुकसान के दावों से जुड़े आयोग का गठन किया जाएगा, जो कि मुआवजे को लेकर फैसला करेगा। 

मौजूदा समय में भारत का परमाणु बीमा पूल (आईएनआईपी) किसी परमाणु संचालक और सप्लायर को परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 के तहत 1500 करोड़ का कवरेज मुहैया कराता है। इस विधेयक की एक खास बात यह है कि इसमें कंपनियों को लाइसेंस पाने के लिए अनुसंधान और नवाचार से जुड़ी गतिविधियां दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संस्थानों को लाइसेंस के लिए इन दोनों ही मानकों को दिखाना होगा। 

परमाणु सेक्टर को खोलने के लिए क्यों तैयार है सरकार?
भारत के परमाणु ऊर्जा से सशक्त बनने के बाद से ही इस पर सरकार का एकाधिकार रहा है। सरकार के नियंत्रण में भारत का परमाणु ऊर्जा बेस काफी संतुलित रहा है। देश में 23 परमाणु रिएक्टर हैं, जिन्हें सरकार ही प्रबंधित करती है और इनकी पूरी जिम्मेदारी न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के पास है। इन सभी के जरिए भारत हर वर्ष करीब 8.8 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा पैदा करता है। 

हालांकि, सरकार ने 2032 तक 22 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा पैदा करने का लक्ष्य रखा है, जिसे 2047 तक बढ़ाकर 100 गीगवॉट पहुंचाने की मंशा जताई गई है। ऐसे में सरकार निजी कंपनियों के लिए भी परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को खोलने के लिए तैयार है, ताकि इन लक्ष्यों को जल्द हासिल किया जा सके। 

विदेशी कंपनियों के लिए भी खुलेंगे भारत में निवेश के रास्ते
विधेयक में सरकार ने निजी कंपनियों के लिए न सिर्फ रास्ते खोले हैं, बल्कि विदेशी निवेशकों के लिए भी नियमों को आसान बनाया है। खासकर किसी हादसे की स्थिति में उनकी जिम्मेदारी का नियम हटाकर। रिपोर्ट्स की मानें तो पूरे विधेयक में कहीं भी परमाणु पदार्थों या इससे जुड़े उपकरणों को भेजने वाली कंपनियों को हादसे के लिए 'उत्तरदायी' ठहराने का जिक्र नहीं है। ऐसे में उनके पदार्थों या उपकरण की गड़बड़ी से हुए हादसे के लिए सप्लायर जिम्मेदार नहीं होंगे। बीते कई वर्षों से परमाणु पदार्थ और उपकरण भेजने वाली विदेशी कंपनियां भारत से इसी तरह की छूट की मांग भी कर रही थीं।

गौरतलब है कि इससे पहले परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 में सप्लायर्स को उत्तरदायी बनाने का भी जिक्र था। इसे तब भाजपा के दबाव में कांग्रेस ने ही कानून में शामिल किया था। इसके तहत कुछ मामलों में भारत की सिविल कोर्ट में सप्लायर्स के खिलाफ भी वाद दाखिल किया जा सकता है। हालांकि, तब फ्रांस की अरेवा कंपनी और अमेरिका की वेस्टिंग हाउस ने इसका विरोध किया था और भारत के साथ परमाणु संयंत्र बनाने का ज्ञापन समझौता होने के बावजूद दोनों ही कंपनियां इससे पीछे हट गई थीं। 

अन्य वीडियो
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed