भारत कनाडा तनाव: खालिस्तान मामले पर पंजाब में सियासी दलों की चुप्पी, चुनाव में क्या पड़ सकता है असर?
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विस्तार
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर भारत-कनाडा के बीच उठे सियासी बवाल के बीच पंजाब में इस मुद्दे पर पूरी तरह खामोशी देखी जा रही है। कोई राजनीतिक दल इस मामले पर खुलकर बोल नहीं रहा है और हर मुद्दे पर एक दूसरे पर जोरदार आरोप-प्रत्यारोप लगाने वाली पार्टियां भी इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर खामोश हैं। पंजाब के विभिन्न नेताओं का मानना है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और प्रवासियों से जुड़ा मामला होने के कारण इस मुद्दे पर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
लेकिन इसी मुद्दे पर सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के स्टैंड को लेकर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि कमेटी ने पंजाब के लिए बेहद संवेदनशील इस विषय पर कनाडा और खालिस्तानी विचारधारा से जुड़े लोगों की आलोचना करने में नरमी बरती है। भाजपा ने मांग की है कि सिख गुरुद्वारा कमेटी को इस मामले में कड़ा स्टैंड लेना चाहिए। हालांकि, 25 सितंबर को ही आंतरिक कमेटी की एक बैठक में सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान को सिखों और पंजाब की छवि खराब करने वाला बताया गया है। कमेटी ने भारत सरकार से इस मामले पर उचित कार्रवाई करने की मांग की है।
अकाली दल भी चुप
खालिस्तान की मांग को पंजाब के कुछ लोगों से जोड़कर देखा जाता रहा है। सिख समुदाय की राजनीति करने वाली अकाली दल भी इस मुद्दे पर चुप है। पार्टी इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़ी है। उसका कहना है कि पूरा पंजाब इस मुद्दे पर सरकार के साथ है। लेकिन चूंकि, पंजाब से ही सबसे ज्यादा छात्र कनाडा में शिक्षा के लिए जाते हैं, लिहाजा इस तनाव के बढ़ने पर यहां लोग चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं। उनका मानना है कि इस मुद्दे का जल्द पटाक्षेप होना चाहिए जिससे बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य पर किसी तरह की आंच न आए।
राजनीतिक लाभ-नुकसान किसका
खालिस्तान विवाद बढ़ने पर पंजाब में तनाव बढ़ सकता है। पहले ही पंजाब में आतंकवाद झेल चुके लोग किसी भी रूप में इस विवाद की वापसी नहीं चाहते। लोगों की इस मंशा को भांपते हुए राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। कम से कम वर्तमान माहौल में कोई भी राजनीतिक दल इसका लाभ उठाने के लिए अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप से बच रहा है।
लगे थे ये आरोप
पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अरविंद केजरीवाल के पूर्व सहयोगी कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल पर बेहद गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अरविंद केजरीवाल के खालिस्तानियों से संबंध रहे हैं। हालांकि, अरविंद केजरीवाल ने इसे एक कवि की 'कपोल कल्पना' बताकर खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि चुनावों के ठीक पहले इस तरह के आरोप लगाकर आम आदमी पार्टी की बढ़त को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। चूंकि, इस समय पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है, और सरकार से इस मामले पर कड़े स्टैंड की अपेक्षा की जा रही है, सरकार ने भी इस बेहद संवेदनशील से कदम रख रही है। पंजाब सरकार ने इस विषय पर केंद्र के साथ पूरी तरह तालमेल दिखाया है, और सरकार के रुख का समर्थन किया है।
पूरा पंजाब एक, भड़काऊ बयानों से परहेज करना बेहतर
पंजाब के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि कनाडा के भारत से बहुत गहरे संबंध रहे हैं। यह एक संवेदनशील विषय है और दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार और अन्य संबंधों पर इसका असर पड़ता है, लिहाजा इस मुद्दे पर बहुत गंभीरता के साथ बात की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पूरा पंजाब एकजुट है। कोई भी पंजाब में आतंकवाद के दौर की दोबारा वापसी नहीं चाहता। यही कारण है कि सभी लोग इस मुद्दे पर एकजुट हैं और एक साथ इस परिस्थिति का मुकाबला करेंगे।
कड़ा स्टैंड ले गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी- भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सरदार आरपी सिंह ने अमर उजाला से कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कनाडा मामले पर कड़ा स्टैंड लेने से बच रही है। उन्होंने कहा कि जो लोग भी खालिस्तान की बात कर रहे हैं, वे असली सिख नहीं हैं, और पंजाब का एक भी व्यक्ति उनके साथ नहीं खड़ा है।