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MEA: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों से भारत चिंतित, तारिक रहमान की वापसी पर दी पहली प्रतिक्रिया

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Fri, 26 Dec 2025 04:30 PM IST
सार

MEA On Bangladesh: भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो हमलों पर गंभीर चिंता जताई है। इसके साथ ही बीएनपी नेता तारिक रहमान की घर वापसी पर पहली प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का भारत समर्थन करता है; इसको इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

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India Emphasises Free and Fair Polls in Bangladesh Amid Tarique Rahman’s Return: MEA
BNP नेता तारिक रहमान की घर वापसी पर भारत की प्रतिक्रिया - फोटो : ANI/PTI
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भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले पर कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी शत्रुता गंभीर चिंता का विषय है।इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रमों पर भारत की पैनी नजर है।
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वहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता तारिक रहमान की स्वदेश वापसी पर भारत की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। विदेश मंत्रालय ने रहमान की वापसी पर कहा है कि भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का समर्थन करता है; इस घटनाक्रम को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
 
कौन हैं तारिक रहमान?
वे पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के बेटे हैं। 2008 से लंदन में रह रहे थे और वहीं से बीएनपी का नेतृत्व कर रहे थे। उन पर भ्रष्टाचार और 2004 के ढाका ग्रेनेड हमले जैसे मामलों में सजा सुनाई गई थी। बीएनपी का कहना है कि ये मामले राजनीतिक बदले की कार्रवाई थे। तारिक रहमान की वापसी बीएनपी के लिए नई ऊर्जा है, लेकिन चुनौती बड़ी है, पार्टी को एकजुट रखना, युवाओं का भरोसा जीतना, हिंसा और अस्थिरता से जूझ रहे देश को स्थिर दिशा देना।

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भारत के लिए क्यों मायने रखती है यह वापसी?
इस समय बांग्लादेश राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। फरवरी में होने वाले चुनाव से पहले हालात तनावपूर्ण हैं। अवामी लीग, जिसे भारत के करीब माना जाता है, चुनाव नहीं लड़ रही। अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के दौर में भारत से दूरी और पाकिस्तान से नजदीकी बढ़ने के संकेत मिले हैं। कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी फिर से सक्रिय हुआ है, जिसे भारत पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ा मानता है। ऐसे में भारत को लगता है कि बीएनपी अपेक्षाकृत उदार और लोकतांत्रिक विकल्प हो सकती है, भले ही अतीत में भारत-बांग्लादेश संबंधों में खटास रही हो।


 
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