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आईसीएमआर रिपोर्ट: इस साल हर नौवां भारतीय किसी न किसी संक्रामक रोग से संक्रमित, भारत में बढ़ा संक्रमण का खतरा
परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली
Published by: शिवम गर्ग
Updated Thu, 30 Oct 2025 07:19 AM IST
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आईसीएमआर
- फोटो : ANI
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भारत में संक्रामक रोगों का प्रसार लगातार बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि इस साल के शुरूआती छह महीने में हर नौंवा भारतीय किसी न किसी संक्रामक रोग से संक्रमित पाया गया। यह खुलासा नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट में हुआ है जिसके मुताबिक देश में संक्रामक रोगों की दर में हल्की लेकिन अहम बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
आईसीएमआर के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब्स (वीआरडीएल) ने जनवरी से जून 2025 के बीच कुल 4.5 लाख से अधिक मरीजों के नमूनों की जांच की। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी से मार्च के बीच 2,28,856 मरीजों के नमूनों में से 24,502 (10.7%) में रोगजनकों (पैथोजन्स) की पहचान हुई। वहीं अप्रैल से जून 2025 में 2,26,095 नमूनों में से 26,055 (11.5%) पॉजिटिव पाए गए। इस प्रकार संक्रमण दर में 0.8 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो संक्रमण प्रसार के रुझान पर निगरानी मजबूत करने का संकेत देता है।
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि यदि हम हर तिमाही में संक्रमण दर में हो रहे बदलाव को समझते रहेंगे, तो भविष्य में किसी भी महामारी की आशंका को समय रहते रोका जा सकता है। वीआरडीएल नेटवर्क हमारे लिए पहली निगरानी चौकी की तरह काम करता है। दरअसल संक्रामक रोगों के प्रसार की निगरानी के लिए आईसीएमआर ने पूरे देश की प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क बनाया है जिसमें 100 से भी ज्यादा वीआरडीएल प्रयोगशालाएं हैं। यहां पहुंचने वाले नमूनों का डाटा एकत्रित करने के बाद उसकी रिपोर्टिंग आईसीएमआर को सौंपी जा रही है।
मानसून और गर्मी में बढ़ते हैं संक्रमण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रैल से जून के महीनों में तापमान और नमी बढ़ने के चलते आम तौर पर डेंगू, चिकनगुनिया, इंफ्लूएंजा और श्वसन से जुड़े संक्रमण तेजी से फैलते हैं। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वरिष्ठ डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि यह मौसम संक्रमण रोगों को बढ़ावा देता है। मच्छर जनित रोगों से लेकर वायरल फीवर तक, इस अवधि में मामलों में उछाल स्वाभाविक है। वीआरडीएल प्रयोगशालाओं का डाटा इस मौसमी वृद्धि का स्पष्ट संकेत दे रहा है।
389 आईसीएमआर की रिपोर्ट बताती है कि इस साल अप्रैल से जून माह के बीच कुल 389 रोग समूह पाए गए जिनमें सर्वाधिक 191 मामले कण्ठमाला रोग, खसरा, रूबेला, डेंगू, चिकनगुनिया, रोटा वायरस, नोरो वायरस, वैरिसेला जोस्टर वायरस, ह्यूमन हर्पिस वायरस और एस्ट्रोवायरस शामिल हैं। कुछ विशेष रोगजनकों की मौजूदगी की ओर संकेत किया है जिनमें मच्छर जनित वायरस के अलावा श्वसन संक्रमण और जल जनित रोग शामिल हैं।
10 वर्ष में 40 लाख नमूनों की जांच: आईसीएमआर ने 2014 से 2024 तक 40 लाख से ज्यादा नमूनों की जांच की, जिनमें 7,55,873 रोगजनकों की पहचान की गई।
आईसीएमआर के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब्स (वीआरडीएल) ने जनवरी से जून 2025 के बीच कुल 4.5 लाख से अधिक मरीजों के नमूनों की जांच की। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी से मार्च के बीच 2,28,856 मरीजों के नमूनों में से 24,502 (10.7%) में रोगजनकों (पैथोजन्स) की पहचान हुई। वहीं अप्रैल से जून 2025 में 2,26,095 नमूनों में से 26,055 (11.5%) पॉजिटिव पाए गए। इस प्रकार संक्रमण दर में 0.8 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो संक्रमण प्रसार के रुझान पर निगरानी मजबूत करने का संकेत देता है।
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आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि यदि हम हर तिमाही में संक्रमण दर में हो रहे बदलाव को समझते रहेंगे, तो भविष्य में किसी भी महामारी की आशंका को समय रहते रोका जा सकता है। वीआरडीएल नेटवर्क हमारे लिए पहली निगरानी चौकी की तरह काम करता है। दरअसल संक्रामक रोगों के प्रसार की निगरानी के लिए आईसीएमआर ने पूरे देश की प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क बनाया है जिसमें 100 से भी ज्यादा वीआरडीएल प्रयोगशालाएं हैं। यहां पहुंचने वाले नमूनों का डाटा एकत्रित करने के बाद उसकी रिपोर्टिंग आईसीएमआर को सौंपी जा रही है।
मानसून और गर्मी में बढ़ते हैं संक्रमण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रैल से जून के महीनों में तापमान और नमी बढ़ने के चलते आम तौर पर डेंगू, चिकनगुनिया, इंफ्लूएंजा और श्वसन से जुड़े संक्रमण तेजी से फैलते हैं। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वरिष्ठ डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि यह मौसम संक्रमण रोगों को बढ़ावा देता है। मच्छर जनित रोगों से लेकर वायरल फीवर तक, इस अवधि में मामलों में उछाल स्वाभाविक है। वीआरडीएल प्रयोगशालाओं का डाटा इस मौसमी वृद्धि का स्पष्ट संकेत दे रहा है।
389 आईसीएमआर की रिपोर्ट बताती है कि इस साल अप्रैल से जून माह के बीच कुल 389 रोग समूह पाए गए जिनमें सर्वाधिक 191 मामले कण्ठमाला रोग, खसरा, रूबेला, डेंगू, चिकनगुनिया, रोटा वायरस, नोरो वायरस, वैरिसेला जोस्टर वायरस, ह्यूमन हर्पिस वायरस और एस्ट्रोवायरस शामिल हैं। कुछ विशेष रोगजनकों की मौजूदगी की ओर संकेत किया है जिनमें मच्छर जनित वायरस के अलावा श्वसन संक्रमण और जल जनित रोग शामिल हैं।
10 वर्ष में 40 लाख नमूनों की जांच: आईसीएमआर ने 2014 से 2024 तक 40 लाख से ज्यादा नमूनों की जांच की, जिनमें 7,55,873 रोगजनकों की पहचान की गई।