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उड़ी हमले का असर: सिंधु जल समझौता रद्द करने पर हो रहा विचार

ब्यूरो/अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sun, 25 Sep 2016 05:44 AM IST
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India Hints at Question Marks Over Indus Water Treaty
- फोटो : ANI
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सिंधु जल समझौता रद्द करने को बेशक सरकार ने तेवर दिखा दिए हों, लेकिन समझौता रद्द होने की सूरत में उस पानी के प्रबंधन की कोई तैयारी नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप का बयान आने के एक दिन बाद केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने समझौते की बारीकियों को समझने का प्रयास किया। सूत्रों के अनुसार जल संसाधन मंत्रालय ने अभी इस दिशा में कुछ सोचा नहीं है। 

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नदी जल का बंटवारा दो देशों के बीच होने के कारण इस पर कोई भी निर्णय लेने का अधिकार विदेश मंत्रालय अथवा कैबिनेट के पास है। जल संसाधन मंत्रालय महज विदेश मंत्रालय या कैबिनेट के निर्देशों का पालन करेगा। उसका कार्य महज तय मानक के अनुसार नदी से जल को छोड़ना और बंद करना है। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बयान तो दे दिया है, मगर इस पर अमल करने में कई व्यावहारिक कठिनाइयां हैं। 

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सिंधु नदी दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक है

India Hints at Question Marks Over Indus Water Treaty

ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि इतनी मात्रा में पानी को रोक कर भारत उसका इस्तेमाल अपने इलाके में कर सके। इसके लिए भारत को बांध और कई नहरें बनानी होंगी, जिसके लिए बहुत पैसे और वक्त की जरूरत होगी। वर्ष 1960 में जवाहरलाल नेहरू और पाक राष्ट्रपति अयूब खान ने सिंधू जल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। 

गंगा से भी बड़ी है सिंधु
सिंधु नदी दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। इसका उद्गम स्थल चीन में है। यह नदी भारत से होते हुए पाकिस्तान की ओर जा रही है। इसकी लंबाई 3000 किलोमीटर से अधिक है और इसे गंगा से भी बड़ी नदी मानी जाती है। इसका बेसिन करीब 11.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। यूपी सरीखे चार राज्य इसके बेसिन में समा सकते हैं। 

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