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Ayodhya Ram Temple: 'भारत-नेपाल संबंध मजबूत होंगे, मंदिर से सकारात्मक संदेश', द्विपक्षीय रिश्ते पर बोले राजदूत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: ज्योति भास्कर Updated Thu, 16 Nov 2023 06:32 PM IST
सार

भारत में नेपाल के राजदूत शंकर पी शर्मा ने अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को "मजबूत और सकारात्मक संदेश" देने वाला करार दिया। उन्होंने कहा, दोनों देशों के संबंधों में इसकी अहम भूमिका है।

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India Nepal Ties Ayodhya Ram Temple Importance Envoy Shankar P Sharma
भारत में नेपाल के राजदूत शंकर शर्मा - फोटो : ANI
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उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन अगले साल होने वाला है। भगवान राम के भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था के इस बड़े केंद्र का नेपाल से भी रिश्ता है। दरअसल, मान्यताओं के अनुसार राम का विवाह जनकपुर में हुआ जो वर्तमान भूगोल के मुताबिक नेपाल में है। दोनों देशों के संबंधों के मद्देनजर अयोध्या के राम मंदिर की भूमिका क्या होगी? इस पर राजदूत शंकर पी शर्मा का कहना है कि मंदिर के उद्घाटन से दोनों देशों के नागरिकों को "मजबूत और सकारात्मक संदेश" मिलेगा। उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने राम मंदिर काफी महत्वपूर्ण महत्व रखता है।
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एक विशेष साक्षात्कार में, नेपाल के राजदूत ने कहा, "मुझे लगता है कि अयोध्या में राम मंदिर का यह उद्घाटन सभी नेपाली लोगों को एक बहुत मजबूत और सकारात्मक संदेश देगा। जब इसका उद्घाटन होगा, तो नेपाल में लगभग हर कोई इस जगह का दौरा करना पसंद करेगा।" एएनआई के साथ खास बातचीत के दौरान राजदूत शंकर पी शर्मा ने कहा, राम मंदिर नेपाल के लिए "अत्यंत महत्वपूर्ण" है। उन्होंने कहा कि भविष्य में हर साल नेपाल से लाखों लोग अयोध्या आएंगे।
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उन्होंने कहा, अयोध्या नेपाल से बहुत मजबूती से जुड़ा हुआ है, क्योंकि नेपाल में हर कोई जानता है कि नेपाल की बेटी सीता का विवाह राम से हुआ था। इसलिए, हर साल उनकी अयोध्या से बारात आती है। राजदूत शर्मा ने कहा, आज भी हर साल वे दूल्हे की बारात निकालते हैं, मूल रूप से अयोध्या से जनकपुर तक बारात जाती है। हर साल नेपाल में एक बड़ा उत्सव मनाया जाता है। हमारे पास जनकपुर में भी विवाह मंडप है। सैकड़ों हजारों लोग दर्शन करने आते हैं। न केवल सीता की जन्मस्थली, बल्कि इस विवाह मंडप का दर्शन करने की मान्यता है। ऐसे में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन नेपाल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

पर्यटन को लेकर राजदूत शर्मा ने कहा, मुझे यकीन है कि हर साल नेपाल से सैकड़ों हजारों लोग भारत खासकर अयोध्या आएंगे। वे खुद भी भविष्य में अयोध्या आएंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या नेपाल के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होंगे, उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हमारे पास अभी भी कुछ समय है। उनका फैसला बाकी है।" 

क्या भारत की तरफ से नेपाल के नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है? इस सवाल पर राजदूत ने कहा, "अभी तक, मैंने दूतावास नहीं देखा है, लेकिन अलग-अलग चैनल से भी निमंत्रण भेजा जा सकता है। मुझे लगता है कि भारत सरकार ने शायद दूसरे चैनलों का इस्तेमाल किया होगा। हालांकि, उन्होंने खुद दूतावास में निमंत्रण नहीं देखा है। नेपाल की तरफ से भारत भेजी गई चट्टानों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि काली गंडकी नदी में इन चट्टानों की पहचान की गई और इन्हें अयोध्या लाया गया, जिनकी पहचान कर मूर्ति का निर्माण संभव है।

उन्होंने कहा, "इन चट्टानों की पहचान काली गंडकी नदी में की गई थी, जहां हमें शालिग्राम मिलते हैं। यही एकमात्र जगह है जहां हमें शालिग्राम मिलते हैं। यदि आप भारत में वृन्दावन या किसी भी मंदिर या अधिकांश मंदिरों में जाएंगे तो आपको कुछ शालिग्राम दिखाई देंगे। शालिग्राम वाले मंदिर के लोग नेपाल को बताते हैं कि उन्होंने मंदिर के लिए 12,000 या 20,000 शालिग्राम लाए हैं। इसलिए, इस शिला की पहचान की गई। हालांकि यह वास्तव में वह शालिग्राम नहीं, काली गंडकी नदी में एक शिला है। इसलिए इसे मूर्ति की पहचान और संभावित निर्माण के लिए अयोध्या लाया गया है। इससे भगवान राम, सीता, लक्ष्मण की नई मूर्तियां बनाई जाएंगी।

नेपाली राजदूत शंकर पी शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि रामायण सर्किट और बौद्ध सर्किट पहले ही भारत और नेपाल के बीच कुछ हद तक शुरू हो चुके हैं। इससे दोनों देशों के बीच "मजबूत संबंध" होंगे। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रा पर्यटन से लोगों के बीच विकसित संबंध बहुत मजबूत हैं। उन्होंने कहा, अध्यात्मवाद, तीर्थयात्रा पर्यटन से विकसित संबंध भविष्य में भी कम नहीं होंगे। यह भविष्य में और भी मजबूत होंगे। 30, 40 साल पहले परिवहन की कमी के कारण बहुत कम लोग धार्मिक यात्रा पर भारत आते थे, लेकिन अब हर साल लाखों लोग इन जगहों पर घूमने आते हैं। 

क्या राम मंदिर का निर्माण पहले ही हो जाना चाहिए था? उन्होंने इस सवाल को भारत की आंतरिक नीति करार दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अयोध्या की भूमि अपने आप में बहुत कीमती, धार्मिक और आध्यात्मिक है। बता दें कि राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट की देखरेख में मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। रामलला की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में अगले साल स्थापित की जाएगी। बता दें कि राम मंदिर निर्माण की आधारशिला पीएम मोदी ने 5 अगस्त 2020 को रखी थी।

बता दें कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन अगले साल 22 जनवरी को होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत सहित कई गणमान्य व्यक्ति अयोध्या में राम मंदिर अभिषेक समारोह में भाग लेंगे।
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