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Indian Air Force: स्वेदशी अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण; LLTR अश्विनी की खरीद स्वीकृत, बढ़ेगी वायुसेना की ताकत

एजेंसी, नई दिल्ली Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Thu, 13 Mar 2025 06:24 AM IST
सार

अस्त्र मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डिजाइन और विकसित किया है। यह 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। यह मिसाइल उन्नत मार्गदर्शन और नेविगेशन प्रणालियों से लैस है, जो इसे अधिक सटीकता के साथ लक्ष्यों को तबाह करने में सक्षम बनाता है। 

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Indian Air Force Successful test of Astra missile LLTR Ashwini Purchase nod increase in defence power
तेजस लड़ाकू विमान से स्वेदशी अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण - फोटो : अमर उजाला / एजेंसी
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विस्तार
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भारत के स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस से बुधवार को हवा से हवा में मार करने वाली ‘अस्त्र’ मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर तट पर किया गया। अस्त्र मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डिजाइन और विकसित किया है। यह 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।

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यह मिसाइल उन्नत मार्गदर्शन और नेविगेशन प्रणालियों से लैस है, जो इसे अधिक सटीकता के साथ लक्ष्यों को तबाह करने में सक्षम बनाता है। यह मिसाइल उन लक्ष्यों को भी नष्ट कर सकती है, जो पायलट की नजर में नहीं आते। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि परीक्षण में अस्त्र मिसाइल ने हवा में उड़ते लक्ष्य को सीधा भेदा। सभी प्रणाली ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और मिशन के सारे मापदंड को पूरे किए। इससे यह साफ हो गया कि यह मिसाइल किसी भी हालात में दुश्मन के विमानों को मार गिराने में सक्षम है। 
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वायुसेना में पहले ही हो चुकी है शामिल
अस्त्र मिसाइल पहले से ही भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल है। अब यह तेजस एमके-1ए वेरिएंट के लिए भी पूरी तरह तैयार हो गई है। इस सफल परीक्षण के बाद तेजस की मारक क्षमता और बढ़ जाएगी, जिससे भारत की वायु शक्ति को नया बल मिलेगा।

वायुसेना की ताकत को और धार देगा अश्विनी
पड़ोसी मुल्कों से उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए भारत अपने सशस्त्र बलों को लगातार मजबूत बना रहा है। इसी कड़ी में वायुसेना की ताकत को और धार देने के लिए लो-लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार, एलएलटीआर (अश्विनी) की खरीद की जाएगी। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), गाजियाबाद के साथ 2,906 करोड़ रुपये का करार किया है।

यह समझौता देश की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और सशक्त बनाने के सरकार के प्रयासों के तहत किया गया है। अश्विनी को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार विकास प्रतिष्ठान ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया है। यह रडार उच्च गति वाले लड़ाकू विमानों से लेकर मानव रहित हवाई यानों और हेलिकॉप्टरों जैसे धीमी गति से चलने वाले लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है। इसके अधिग्रहण से वायुसेना की परिचालन तैयारियों में काफी बढ़ोतरी होगी।

रक्षा सचिव राजेश कुमार की मौजूदगी में अनुबंध पर हस्ताक्षर
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। एलएलटीआर अत्याधुनिक ठोस अवस्था प्रौद्योगिकी पर आधारित रडार है। यह कार्यक्रम देश में रक्षा औद्योगिक इकोसिस्टम के विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने के अलावा विदेशी मूल के हथियार निर्माताओं पर निर्भरता को कम कर रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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