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Army: भारतीय सेना को अमेरिका से मिला तीन अपाचे हेलिकॉप्टरों का अंतिम बैच, पाकिस्तान से सटी सीमा पर होंगे तैनात
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 17 Dec 2025 01:34 AM IST
सार
भारतीय सेना को अमेरिका से एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टरों की आखिरी खेप मिल गई है। ये उन्नत लड़ाकू हेलिकॉप्टर जल्द ही पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर तैनात किए जाएंगे। अपाचे टैंक रोधी मिसाइल, रॉकेट और आधुनिक सेंसर से लैस हैं।
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अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सेना को अमेरिका से तीन एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टरों का आखिरी बैच मिल गया है। आसमान में उड़ता टैंक कहलाने वाले ये हेलिकॉप्टर जल्द ही पाकिस्तान से सटी देश की पश्चिमी सीमा पर तैनात कर दिए जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर सोमवार शाम अपाचे हेलिकॉप्टर अलग-अलग पुर्जों के रूप में पहुंचे। अब इनका संयुक्त प्राप्ति निरीक्षण (जेआरआई) किया जा रहा है। इसके बाद सभी हिस्से संयोजित कर यह हेलिकॉप्टर सेना में शामिल किए जाएंगे।
एरिजोना स्थित मेसा में निर्मित अपाचे हेलिकॉप्टर अमेरिका और भारत समेत कई देशों की सेना का हिस्सा हैं। अपाचे हेलिकॉप्टर राजस्थान के जोधपुर स्थित 451 आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन में तैनात रहेंगे। इससे पहले करीब 15 महीने की देरी के बाद तीन अपाचे हेलिकॉप्टरों की पहली खेप जुलाई में भारत पहुंची थी। साल 2020 में अमेरिका के साथ हुए 60 करोड़ डॉलर के सौदे के तहत सभी छह हेलिकॉप्टर जून 2024 तक सेना को मिल जाने थे। लेकिन तकनीकी कारणों से यह समय सीमा बढ़ती रही।
अपाचे हेलिकॉप्टर यानी उड़ता टैंक
अपाचे हेलिकॉप्टरों की गिनती दुनिया के सबसे उन्नत मल्टीरोल कॉम्बैट हेलिकॉप्टरों में होती है। यह एजीएम-114 हेलफायर मिसाइल से लैस है। सटीक निर्देशित फायर एंड फॉरगेट यह मिसाइलें सुरक्षित दूरी से टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और बंकरों को नष्ट कर सकती हैं। इसमें हाइड्रा-70 रॉकेट और 30 मिमी चेन गन भी लगी है। इनकी मदद से दुश्मन के टैंकों, बंकरों और वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट किया जा सकता है। पायलट के हेलमेट पर लगे डिस्प्ले की मदद से अविश्वसनीय सटीकता से प्रति मिनट 625 राउंड फायरिंग की जा सकती है।
ये भी पढ़ें- इंडिगो संकट से सरकार को मिला बड़ा सबक, रणनीतिक क्षेत्रों में सीमित विकल्प की मार बन रही खतरा
खराब मौसम में भी कारगर
अपाचे खराब मौसम में भी कुछ ही सेकंड में 100 से अधिक लक्ष्यों का पता लगा कर उन्हें वर्गीकृत कर अपनी प्राथमिकता निर्धारित कर सकता है। इसका ढांचा युद्ध में होने वाला भारी नुकसान झेलने के लिए बनाया गया है। उन्नत सेंसर, रात में लड़ने की क्षमता और नेटवर्क-आधारित युद्ध प्रणाली के कारण अपाचे पहाड़ी और उच्च जोखिम वाले युद्ध क्षेत्रों में बेहद प्रभावी हेलिकॉप्टर माना जाता है।
पहाड़ों पर युद्ध में माहिर
अपाचे की खरीद से पाकिस्तान से सटी सीमा पर सेना की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कम ऊंचाई पर उड़ते हुए सटीक निशाना साधने की क्षमता के कारण पर्वतीय युद्ध के लिए अपाचे एक आदर्श हेलिकॉप्टर है। पर्वतीय दर्रे पारकर रहे दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को यह तेजी से तबाह कर सकता है। जमीन पर सैनिकों की मदद कर सकता है। साथ ही दुश्मन के इलाके में अंदर तक टोही अभियान भी चला सकता है।
अमेरिकी दूतावास ने किया स्वागत
एएच-64ई अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स की अंतिम खेप भारत पहुंचने पर अमेरिकी दूतावास ने इसका स्वागत किया। दूतावास ने कहा कि भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी की तहत किए गए वादे को पूरा किया गया है। इन हेलिकॉप्टर्स की डिलीवरी में पहले कई बार देरी हुई थी। अमेरिकी दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह डिलीवरी अमेरिका के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय की संयुक्त घोषणा पर अमल की दिशा में एक अहम कदम है।
दूतावास ने कहा, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय की संयुक्त घोषणा के तहत भारतीय वायु सेना को बोइंग इंडिया के नवीनतम एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टर्स मिलना अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी में प्रगति को दर्शाता है। यह उपलब्धि अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग की मजबूती को दिखाती है और अमेरिकी रक्षा मंत्री तथा भारत के रक्षा मंत्रालय की ओर से किए गए वादों को पूरा करती है। अपनी आधुनिक क्षमताओं के साथ अपाचे क्षेत्रीय सुरक्षा के हमारे साझा दृष्टिकोण को मजबूत करता है और सह-उत्पादन, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग को और गहरा करता है।
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एरिजोना स्थित मेसा में निर्मित अपाचे हेलिकॉप्टर अमेरिका और भारत समेत कई देशों की सेना का हिस्सा हैं। अपाचे हेलिकॉप्टर राजस्थान के जोधपुर स्थित 451 आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन में तैनात रहेंगे। इससे पहले करीब 15 महीने की देरी के बाद तीन अपाचे हेलिकॉप्टरों की पहली खेप जुलाई में भारत पहुंची थी। साल 2020 में अमेरिका के साथ हुए 60 करोड़ डॉलर के सौदे के तहत सभी छह हेलिकॉप्टर जून 2024 तक सेना को मिल जाने थे। लेकिन तकनीकी कारणों से यह समय सीमा बढ़ती रही।
अपाचे हेलिकॉप्टर यानी उड़ता टैंक
अपाचे हेलिकॉप्टरों की गिनती दुनिया के सबसे उन्नत मल्टीरोल कॉम्बैट हेलिकॉप्टरों में होती है। यह एजीएम-114 हेलफायर मिसाइल से लैस है। सटीक निर्देशित फायर एंड फॉरगेट यह मिसाइलें सुरक्षित दूरी से टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और बंकरों को नष्ट कर सकती हैं। इसमें हाइड्रा-70 रॉकेट और 30 मिमी चेन गन भी लगी है। इनकी मदद से दुश्मन के टैंकों, बंकरों और वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट किया जा सकता है। पायलट के हेलमेट पर लगे डिस्प्ले की मदद से अविश्वसनीय सटीकता से प्रति मिनट 625 राउंड फायरिंग की जा सकती है।
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खराब मौसम में भी कारगर
अपाचे खराब मौसम में भी कुछ ही सेकंड में 100 से अधिक लक्ष्यों का पता लगा कर उन्हें वर्गीकृत कर अपनी प्राथमिकता निर्धारित कर सकता है। इसका ढांचा युद्ध में होने वाला भारी नुकसान झेलने के लिए बनाया गया है। उन्नत सेंसर, रात में लड़ने की क्षमता और नेटवर्क-आधारित युद्ध प्रणाली के कारण अपाचे पहाड़ी और उच्च जोखिम वाले युद्ध क्षेत्रों में बेहद प्रभावी हेलिकॉप्टर माना जाता है।
पहाड़ों पर युद्ध में माहिर
अपाचे की खरीद से पाकिस्तान से सटी सीमा पर सेना की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कम ऊंचाई पर उड़ते हुए सटीक निशाना साधने की क्षमता के कारण पर्वतीय युद्ध के लिए अपाचे एक आदर्श हेलिकॉप्टर है। पर्वतीय दर्रे पारकर रहे दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को यह तेजी से तबाह कर सकता है। जमीन पर सैनिकों की मदद कर सकता है। साथ ही दुश्मन के इलाके में अंदर तक टोही अभियान भी चला सकता है।
अमेरिकी दूतावास ने किया स्वागत
एएच-64ई अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स की अंतिम खेप भारत पहुंचने पर अमेरिकी दूतावास ने इसका स्वागत किया। दूतावास ने कहा कि भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी की तहत किए गए वादे को पूरा किया गया है। इन हेलिकॉप्टर्स की डिलीवरी में पहले कई बार देरी हुई थी। अमेरिकी दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह डिलीवरी अमेरिका के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय की संयुक्त घोषणा पर अमल की दिशा में एक अहम कदम है।
दूतावास ने कहा, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय की संयुक्त घोषणा के तहत भारतीय वायु सेना को बोइंग इंडिया के नवीनतम एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टर्स मिलना अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी में प्रगति को दर्शाता है। यह उपलब्धि अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग की मजबूती को दिखाती है और अमेरिकी रक्षा मंत्री तथा भारत के रक्षा मंत्रालय की ओर से किए गए वादों को पूरा करती है। अपनी आधुनिक क्षमताओं के साथ अपाचे क्षेत्रीय सुरक्षा के हमारे साझा दृष्टिकोण को मजबूत करता है और सह-उत्पादन, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग को और गहरा करता है।
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