ड्रोन से बदलेगी जंग की तस्वीर: भारतीय सेना खरीदेगी 850 कामिकाजे ड्रोन, 2000 करोड़ के सौदे पर जल्द लगेगी मुहर
Indian Army: भारतीय सेना ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों के आधार पर 850 कामिकाजे ड्रोन खरीदने जा रही है। करीब 2,000 करोड़ रुपये के इस सौदे को दिसंबर के अंत में रक्षा अधिग्रहण परिषद से मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
विस्तार
आधुनिक युद्ध की जरूरतों को देखते हुए भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता को और मजबूत करने जा रही है। ऑपरेशन सिंदूर से मिले अनुभवों के आधार पर सेना 850 कामिकाजे ड्रोन यानी लोइटरिंग म्यूनिशन खरीदने की तैयारी में है। करीब 2,000 करोड़ रुपये के इस बड़े सौदे पर इसी महीने के अंत में मुहर लग सकती है। यह खरीद भारतीय सेना के साथ-साथ तीनों रक्षा बलों और विशेष बलों की ताकत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, सेना का यह प्रस्ताव अब अधिग्रहण के उन्नत चरण में है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में होने वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की उच्चस्तरीय बैठक में इसे मंजूरी मिलने की पूरी संभावना है। इस सौदे को फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि कम समय में सेना को यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली मिल सके। प्रस्ताव के अनुसार, सभी ड्रोन और लॉन्चर स्वदेशी स्रोतों से खरीदे जाएंगे।
ऑपरेशन सिंदूर से मिले अहम सबक
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कामिकाजे ड्रोन की उपयोगिता साफ तौर पर सामने आई थी। इन ड्रोन ने दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले, निगरानी और त्वरित कार्रवाई में अहम भूमिका निभाई। इन्हीं अनुभवों के आधार पर सेना ने तय किया है कि भविष्य के युद्धों में लोइटरिंग म्यूनिशन की संख्या और बढ़ाई जाए। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का मानना है कि ये ड्रोन दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ मौके पर ही हमला करने की क्षमता रखते हैं।
हर बटालियन में होगी अश्नि प्लाटून
सेना की दीर्घकालिक योजना के तहत आने वाले समय में करीब 30,000 लोइटरिंग म्यूनिशन शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत हर इन्फैंट्री बटालियन में एक विशेष अश्नि प्लाटून बनाई जाएगी। इस प्लाटून की जिम्मेदारी ड्रोन के संचालन, दुश्मन के ठिकानों पर हमले और उग्रवाद-रोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने की होगी। इससे जमीनी स्तर पर सेना की ताकत और प्रतिक्रिया क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
स्वदेशी रक्षा उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
इस सौदे का एक अहम पहलू यह भी है कि सभी ड्रोन स्वदेशी कंपनियों से खरीदे जाएंगे। इससे न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती मिलेगी, बल्कि घरेलू रक्षा उद्योग को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्वदेशी कामिकाजे ड्रोन तकनीक के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हैं।
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि कामिकाजे ड्रोन आधुनिक युद्ध में गेम चेंजर साबित हो रहे हैं। इनकी संख्या बढ़ने से भारतीय सेना की सटीक हमला क्षमता, निगरानी, खुफिया जानकारी और त्वरित प्रतिक्रिया और मजबूत होगी। 850 ड्रोन की यह प्रस्तावित खरीद भविष्य के युद्धों के लिए सेना को ज्यादा सक्षम और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
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