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रैनसमवेयर का कहर: 53% भारतीय कंपनियों ने हैकरों को दी फिरौती, डाटा रिकवरी के लिए खर्चे 10 लाख डॉलर तक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शुभम कुमार
Updated Thu, 03 Jul 2025 07:58 AM IST
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सार
2024 में 53% भारतीय कंपनियों ने रैनसमवेयर हमले के बाद डाटा वापस पाने के लिए औसतन 4 करोड़ रु. की फिरौती दी। हालांकि फिरौती में 79% की गिरावट आई, लेकिन डाटा रिकवरी पर कंपनियों ने करीब 10 लाख डॉलर तक खर्च किए।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला

विस्तार
ब्रिटेन स्थित साइबर सुरक्षा फर्म सोफोस ने बुधवार को दावा किया कि 2024 में रैनसमवेयर हमलों का सामना करने वाली 53 प्रतिशत भारतीय कंपनियों ने अपना डाटा वापस पाने के लिए हैकर्स को फिरौती दी। भारत में रैनसमवेयर स्थिति-2025 की रिपोर्ट के अनुसार, फिरौती के रूप में औसत भुगतान 4,81,636 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 4 करोड़ किया गया। हालांकि यह पिछले वर्ष की तुलना में 79 प्रतिशत कम है। रैनसमवेयर हमले से प्रभावित 378 भारतीय आईटी और साइबर सुरक्षा फर्म इस अध्ययन का हिस्सा थीं।
हालांकि, इस सर्वेक्षण में ऐसी किसी भी कंपनी का नाम नहीं बताया गया जो साइबर हमलों का शिकार हुई और जिसने डाटा रिकवरी के लिए फिरौती का भुगतान किया। रिपोर्ट में कहा गया है, औसत फिरौती की मांग 52 प्रतिशत घटकर 20 लाख अमेरिकी डॉलर से 9,61,289 अमेरिकी डॉलर रह गई, जबकि औसत भुगतान और भी अधिक घटकर 79 प्रतिशत यानी 4,81,636 अमेरिकी डॉलर हो गया।
डाटा रिकवरी लागत पर 10 लाख डॉलर तक खर्च
भले ही इन कंपनियों ने हैकरों को फिरौती के रूप में पहले से कम भुगतान किया हो, लेकिन उन्हें इन हमलों से होने वाले नुकसान को ठीक करने और डाटा को सुचारू बनाने में काफी पैसा खर्च करना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि औसतन, भारतीय कंपनियां फिरौती की रकम के अलावा, रिकवरी लागत पर लगभग 10 लाख अमेरीकी डॉलर तक खर्च करती हैं।
ये हैं रैनसमवेयर हमलों की वजह
रिपोर्ट के मुताबिक, रैनसमवेयर हमलों के आम तकनीकी कारणों में निहित कमजोरियां (29 प्रतिशत), खराब क्रेडेंशियल (22 प्रतिशत), और दुर्भावनापूर्ण ईमेल (21 प्रतिशत) शामिल हैं। इसके अलावा सर्वेक्षण में 40 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना की कुशल कर्मियों की कमी, खराब गुणवत्ता वाली सुरक्षा और अपर्याप्त साइबर सुरक्षा उत्पादों जैसी परिचालन चुनौतियों के चलते वे हैकर्स के हमलों का सामना नहीं कर पाते।
क्या है रैनसमवेयर अटैक?
रैनसमवेयर एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर (मैलवेयर) है। यह कंप्यूटर सिस्टम या फाइलों तक पहुंच को रोक देता है और डाटा को अपने चंगुल से मुक्त करने के लिए फिरौती की मांग करता है।
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हालांकि, इस सर्वेक्षण में ऐसी किसी भी कंपनी का नाम नहीं बताया गया जो साइबर हमलों का शिकार हुई और जिसने डाटा रिकवरी के लिए फिरौती का भुगतान किया। रिपोर्ट में कहा गया है, औसत फिरौती की मांग 52 प्रतिशत घटकर 20 लाख अमेरिकी डॉलर से 9,61,289 अमेरिकी डॉलर रह गई, जबकि औसत भुगतान और भी अधिक घटकर 79 प्रतिशत यानी 4,81,636 अमेरिकी डॉलर हो गया।
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डाटा रिकवरी लागत पर 10 लाख डॉलर तक खर्च
भले ही इन कंपनियों ने हैकरों को फिरौती के रूप में पहले से कम भुगतान किया हो, लेकिन उन्हें इन हमलों से होने वाले नुकसान को ठीक करने और डाटा को सुचारू बनाने में काफी पैसा खर्च करना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि औसतन, भारतीय कंपनियां फिरौती की रकम के अलावा, रिकवरी लागत पर लगभग 10 लाख अमेरीकी डॉलर तक खर्च करती हैं।
ये हैं रैनसमवेयर हमलों की वजह
रिपोर्ट के मुताबिक, रैनसमवेयर हमलों के आम तकनीकी कारणों में निहित कमजोरियां (29 प्रतिशत), खराब क्रेडेंशियल (22 प्रतिशत), और दुर्भावनापूर्ण ईमेल (21 प्रतिशत) शामिल हैं। इसके अलावा सर्वेक्षण में 40 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना की कुशल कर्मियों की कमी, खराब गुणवत्ता वाली सुरक्षा और अपर्याप्त साइबर सुरक्षा उत्पादों जैसी परिचालन चुनौतियों के चलते वे हैकर्स के हमलों का सामना नहीं कर पाते।
क्या है रैनसमवेयर अटैक?
रैनसमवेयर एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर (मैलवेयर) है। यह कंप्यूटर सिस्टम या फाइलों तक पहुंच को रोक देता है और डाटा को अपने चंगुल से मुक्त करने के लिए फिरौती की मांग करता है।