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आईएस से प्रभावित मॉड्यूल ने बंदूकों को टेस्ट करने के लिए चुना था दिवाली का दिन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Shilpa Thakur
Updated Sun, 30 Dec 2018 11:14 AM IST
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- फोटो : ANI
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से प्रभावित मॉड्यूल 'हरकत उल हर्ब ए इस्लाम' से जुड़े लोगों ने बंदूकों की जांच के लिए दिवाली का दिन चुना था। इस दिन पटाखों की आवाज में इनकी बंदूकों की आवाज छिप गईं। बता दें 26 दिसंबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और एटीएस ने संयुक्त तौर पर उत्तर प्रदेश और दिल्ली की 16 जगहों पर छापा मारा था। जहां इन लोगों के छुपे रहने की आशंका थी। इस दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार बरामद किए और 10 लोगों को हिरासत में लिया।
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सूत्रों का कहना है कि 26 दिसंबर को हुई छापेमारी में एनआईए ने सभी ठिकानों से 12 बंदूकें जब्त की थीं। सूत्र का कहना है कि अवैध तरीके से हापुड़ और मेरठ से आपूर्तिकर्ता बंदूकें स्पलाई कर रहे थे। उनकी पहचान हो चुकी है और वह गिरफ्तारी का सामना भी कर सकते हैं।
मास्टरमाइंड मुफ्ती मोहम्मद सुहेल सहित मॉड्यूल के सभी लोग समय समय पर दिल्ली और अमरोह में मिलते रहते थे। वह बंदूकें खरीदने के बाद उन्हें जल्द से जल्द टेस्ट करने की कोशिश करते थे। हालांकि उन्हें बंदूकों में कुछ कमी लगी और उन्होंने रिपेयरिंग के लिए बंदूकों को सप्लायर्स को सौंप दिया। दिवाली के बाद इन्होंने पटाखों की आवाज का फायदा हटाया। वह बंदूकों की जांच फिदायीन आतंकी हमले की तैयारी के तहत कर रहे थे। जांचकर्ता ने बताया कि दिवाली की रात उन्होंने बंदूकों की टेस्टिंग करने के लिए चुनी ताकि पटाखों की आवाज में उनकी आवाज छिप जाए।
अधिकारी ने बताया कि अमरोहा में देश में तैयार हुआ रॉकेट लॉन्चर एक गिरफ्तार आरोपी की वेल्डिंग शॉप से बरामद किया गया। इसपर कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हानिरहित हाइड्रोलिक जैक है। जिसका इस्तेमाल ट्रैक्टर ट्रॉली को उठाने में किया जाता है। जांचकर्ता का कहना है कि रॉकेट लॉन्चर को इस्तेमाल करने की योजना इसलिए थी ताकि इसमें गनपाउडर और बाकी विस्फोटक लोड किए जा सकें। इसका इस्तेमाल अतीत में आतंकी हमले में हो चुका है। यह हमला करने के काम भी आ सकता है।
एनआईए से जुड़े सूत्र ने बताया कि मॉड्यूल के सदस्य अपने संचालकों के निर्देशों का पालन करने के लिए टेलिग्राम पर चैट ग्रुप का इस्तेमाल कर रहे थे। वह ट्रैक न हों इसके लिए वह चैट ग्रुप को थोड़े-थोड़े दिनों में डिलीट करते रहते थे और नया ग्रुप बनाते थे। इस समूह के काम करने का तरीका बिल्कुल वैसा था जैसा अन्य आंतकी संगठनों (जिनका भंडाफोड़ हो चुका है) का था।
इस मॉड्यूल का संचालन विदेश स्थित संस्था कर रही थी। जो स्थानीय मास्टरमाइंड की सहायता से इन सदस्यों से बातचीत करती थी। मॉड्यूल का संचालक अधिकतर युवाओं को ही प्रभावित करता था कि वह खलीफा के लिए इस्लामिक स्टेट के उद्देश्यों को समझें। जो भारत में आतंकी घटनाओं से ही पूरे हो सकते हैं।