क्या सुलेमानी के मारे जाने के बाद मंडरा रहा है तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा?
- ईरान ने कमांडर के हमले का बदला लेना दोहराया
- रूस ने साध रखी है चुप्पी
- परोक्ष, कामर्शियल और फिर इंडिविजुअल अटैक की तरफ बढ़ सकती है वर्चस्व की लड़ाई
- भारत को बरतनी होगी विशेष सावधानी, अर्थव्यवस्था को मिलेगा तगड़ा झटका
विस्तार
ट्रंप की यह कोशिश अमेरिका के पक्ष में समर्थकों की संख्या बढ़ाने के तौर पर देखा जा रहा है। इन सबके बीच भारत ने सभी देशों से शांति बनाए रखने की अपील की है। क्या यह सब किसी तीसरे विश्वयुद्ध का संकेत है?
कूटनीति और वैश्विक मामले के जानकारों का कहना है कि कमांडर कासिम सुलेमानी ईरान में नंबर दो की हैसियत रखते थे। ड्रोन हमले में उनकी मौत हो गई। निश्चित रूप से यह छोटी घटना नहीं है। विदेश मामलों के जानकार और पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि सुलेमानी को मार गिराने वाले ड्रोन हमले का आदेश खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिया है। अमेरिका की तरफ से पहले इसी तरह के बयान आए और अब राष्ट्रपति ट्रंप के बयान इसे साबित भी कर रहे हैं।
किधर जा रहे हैं अमेरिका और ईरान
ईरान ने अपने कमांडर के जनाजे को यादगार रूप दिया है। टीवी फुटेज बताते हैं कि कमांडर सुलेमानी पर हमले को लेकर ईरान में भारी गुस्सा है। ईरान ने इसका बदला लेने की बात कही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अमेरिका के हित में अपने नागरिकों से बगदाद, इराक को खाली करने के लिए कहा है। पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि फिलहाल अमेरिका आर्थिक किलेबंदी करने और वाणिज्यक स्तर पर बड़ी लड़ाई छेड़ने का संकेत दे रहा है। यह कामर्शियल ट्रेडवार नया तनाव पैदा करेगा।
गौरतलब है कि अमेरिका और ईरान में अच्छे रिश्ते नहीं हैं। पिछले करीब एक दशक से अमेरिका लगातार तेजी से ईरान की मुश्किलें बढ़ा रहा है। इससे पहले भी इराक-ईरान के बीच चले युद्ध में भी अमेरिका ने इराक का साथ दिया था। पिछले एक दशक से अमेरिका भारत पर भी ईरान से कच्चा तेल न लेने का दबाव डाल रहा है। अमेरिका के ताजा रुख को देखते हुए यूरोप और खासकर ब्रिटेन, फ्रांस बेहद चौकन्ना हैं। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू अपना दौरा बीच में छोड़कर चले आए हैं। खाड़ी देश की हलचल काफी बढ़ गई है।
रूस खामोश है
विश्व में इतनी बड़ी हलचल पर रूस की प्रतिक्रिया खामोशी जैसी ही है। विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव या राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने अभी तक अपेक्षा के अनुरुप कोई बयान नहीं दिया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस मामले में संतुलन बनाकर चल रहे हैं। यह वह देश हैं जिनके ऊपर ईरान कुछ उम्मीद पाल कर रख सकता है। सीरिया पर अमेरिका के दबाव के समय भी रूस ने खुलकर तो चीन ने परोक्ष रूप से सीरिया का साथ दिया था। ईरान ने भी सीरिया का साथ दिया था।
भारत को संभलकर चलना होगा
पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि भारत को इस समय बहुत संभलकर चलना है। शशांक का मानना है कि अमेरिका, भारत और चीन के बीच में लगातार दूरी बढ़ाने का काम कर रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद उनसे भारत को जोड़कर नई हलचल पैदा कर दी है। भारत में शिया अल्पसंख्यकों की भी अच्छी खासी तादाद है।
आने वाले समय में इस पूरे एपीसोड से भारत को तगड़ा आर्थिक झटका लग सकता है। कच्चे तेल के मामले में भी हमारा भंडारण बड़ा नहीं है। संसाधन के मामले में भी भारत पीछे हैं। इससे जहां कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं, वहीं डॉलर के मुकाबले रुपये में अवमूल्यन आ सकता है। दूसरे ईरान के साथ तनाव बढ़ने की आशंका देखकर शेयर बाजार आगे भी गोते लगा सकता है।
वहीं अंतरराष्ट्रीय निवेशक भी हमें निराश कर सकते हैं। हमारे 10 हजार से अधिक नागरिक ईरान में हैं। खाड़ी देशों में भी हमारे नागरिक हैं। इस तरह से भारत के लिए चिंता बढ़ने के पूरे आसार हैं।