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Syria-Israel Conflict: सीरिया में इस्राइल की सैन्य कार्रवाई बढ़ी, बफर जोन बनाने से गहराया तनाव; जानें ताजा हाल
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बेरूत
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 15 Dec 2025 03:45 PM IST
सार
इस्राइली सेना ने दक्षिणी सीरिया में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से निर्धारित किए गए बफर जोन में अपनी मौजूदगी बढ़ा दी, जो गोलान हाइट्स के पास है। बता दें कि गोलान हाइट्स पर इस्राइल ने 1967 के युद्ध में कब्जा किया था, जिसे दुनिया के ज्यादातर देश मान्यता नहीं देते।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
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विस्तार
दक्षिण-पश्चिमी सीरिया के बेइत जिन गांव में रहने वाले कासिम हमादेह की जिंदगी एक ही दिन में उजड़ गई। पिछले महीने सुबह-सुबह गोलियों और धमाकों की आवाज के साथ इस्राइली सेना ने उनके गांव में छापा मारा। कुछ ही घंटों में हमादेह ने अपने दो बेटे, बहू और दो पोतों को खो दिया। उस दिन इस्राइली कार्रवाई में कुल 13 ग्रामीण मारे गए।
'आतंकी समूह के सदस्यों को पकड़ने गए थे सैनिक'
वहीं इस कार्रवाई को लेकर इस्राइल का कहना है कि उसके सैनिक एक आतंकी समूह के सदस्यों को पकड़ने गए थे, जो इस्राइल पर हमले की योजना बना रहे थे। इस्राइली सेना के मुताबिक, पहले उन पर गोलीबारी की गई, जिसमें छह सैनिक घायल हुए, जिसके बाद सेना ने जवाबी कार्रवाई की और हवाई समर्थन लिया। लेकिन गांव के लोगों ने इन दावों को खारिज किया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इस्राइली सैनिकों को घुसपैठिया समझकर विरोध किया, जिसके जवाब में टैंकों और तोपों से गोलाबारी की गई और बाद में ड्रोन हमला हुआ। दमिश्क की सरकार ने इस घटना को नरसंहार बताया है। इस तरह की हालिया कार्रवाइयों से सीरिया और इस्राइल के बीच तनाव और बढ़ गया है। अमेरिका के दबाव के बावजूद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की संभावनाएं फिलहाल खत्म होती दिख रही हैं।
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इस्राइल की मौजूदगी का विस्तार
पिछले साल दिसंबर में, जब सुन्नी इस्लामिक विद्रोहियों ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाया, तब इस्राइल-सीरिया संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी थी। सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा ने कहा था कि वह इस्राइल से टकराव नहीं चाहते। लेकिन इस्राइल अल-शारा के अतीत और उनके संगठन के अल-कायदा से पुराने संबंधों को लेकर संदेह में रहा।
इस्राइली सेना ने वहां चौकियां, सैन्य ठिकाने और निगरानी पोस्ट बनाए हैं। माउंट हर्मोन जैसे रणनीतिक इलाकों में हेलिपैड भी तैयार किए गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ड्रोन लगातार उड़ते रहते हैं और टैंक व सैन्य वाहन गश्त करते दिखते हैं। इस्राइल का कहना है कि उसकी मौजूदगी अस्थायी है और इसका मकसद हमलों को रोकना है, लेकिन उसने यह नहीं बताया कि वह कब वापस जाएगा। सुरक्षा समझौते को लेकर बातचीत भी अब तक बेनतीजा रही है।
लेबनान और गाजा की आशंका
सीरिया के लोग इस्राइल की मंशा को लेकर इसलिए भी चिंतित हैं, क्योंकि पड़ोसी लेबनान और गाजा में इस्राइल की सैन्य मौजूदगी अब भी जारी है। लेबनान में एक साल से ज्यादा समय पहले युद्धविराम होने के बावजूद इस्राइल कुछ पहाड़ी इलाकों पर काबिज है और लगातार हवाई हमले करता रहता है। गाजा में भी इस्राइल और हमास के बीच संघर्ष के बाद बफर जोन बनाने की योजना है। इससे सीरियाई नागरिकों को डर है कि दक्षिणी सीरिया में भी इस्राइल स्थायी रूप से कब्जा कर सकता है। कतर के दोहा में हुई एक बैठक में राष्ट्रपति अल-शारा ने कहा कि इस्राइल काल्पनिक खतरों का बहाना बनाकर आक्रामक कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस्राइल का पीछे हटना ही दोनों देशों की सुरक्षा का रास्ता है।
यह भी पढ़ें - South Korea: अपदस्थ राष्ट्रपति यून ने सियासी विरोधियों को खत्म करने के लिए लगाया था मार्शल लॉ, जांच में खुलासा
सीरिया की अंदरूनी मुश्किलें
असद के हटने के बाद सीरिया की नई सरकार कई चुनौतियों से जूझ रही है। उत्तर-पूर्व में कुर्द प्रशासन से समझौता नहीं हो पाया है। दक्षिणी स्वेइदा प्रांत में द्रुज समुदाय और बेदुइन कबीलों के बीच हिंसा के बाद हालात और बिगड़े हैं। सरकारी बलों पर आरोप है कि उन्होंने हिंसा में बेदुइन पक्ष का साथ दिया, जिसमें सैकड़ों द्रुज नागरिक मारे गए। इस्राइल खुद को द्रुज समुदाय का रक्षक बताता है, लेकिन सीरिया के कई द्रुज इस्राइल की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस्राइल की रणनीति खतरनाक है और यह सऊदी अरब, तुर्किये, मिस्र और यहां तक कि अमेरिका की सोच से भी मेल नहीं खाती, जो एक एकजुट और मजबूत सीरिया के पक्ष में हैं।
अमेरिका और इस्राइल में मतभेद
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इस्राइल दमिश्क से लेकर संयुक्त राष्ट्र बफर जोन तक एक निरस्त्र क्षेत्र चाहता है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका, इस नीति से सहमत नहीं दिखता। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस्राइल की कार्रवाई पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इस्राइल को सीरिया के साथ संवाद बनाए रखना चाहिए और ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जो सीरिया की स्थिरता में बाधा डालें।
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'आतंकी समूह के सदस्यों को पकड़ने गए थे सैनिक'
वहीं इस कार्रवाई को लेकर इस्राइल का कहना है कि उसके सैनिक एक आतंकी समूह के सदस्यों को पकड़ने गए थे, जो इस्राइल पर हमले की योजना बना रहे थे। इस्राइली सेना के मुताबिक, पहले उन पर गोलीबारी की गई, जिसमें छह सैनिक घायल हुए, जिसके बाद सेना ने जवाबी कार्रवाई की और हवाई समर्थन लिया। लेकिन गांव के लोगों ने इन दावों को खारिज किया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इस्राइली सैनिकों को घुसपैठिया समझकर विरोध किया, जिसके जवाब में टैंकों और तोपों से गोलाबारी की गई और बाद में ड्रोन हमला हुआ। दमिश्क की सरकार ने इस घटना को नरसंहार बताया है। इस तरह की हालिया कार्रवाइयों से सीरिया और इस्राइल के बीच तनाव और बढ़ गया है। अमेरिका के दबाव के बावजूद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की संभावनाएं फिलहाल खत्म होती दिख रही हैं।
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इस्राइल की मौजूदगी का विस्तार
पिछले साल दिसंबर में, जब सुन्नी इस्लामिक विद्रोहियों ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाया, तब इस्राइल-सीरिया संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी थी। सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा ने कहा था कि वह इस्राइल से टकराव नहीं चाहते। लेकिन इस्राइल अल-शारा के अतीत और उनके संगठन के अल-कायदा से पुराने संबंधों को लेकर संदेह में रहा।
इस्राइली सेना ने वहां चौकियां, सैन्य ठिकाने और निगरानी पोस्ट बनाए हैं। माउंट हर्मोन जैसे रणनीतिक इलाकों में हेलिपैड भी तैयार किए गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ड्रोन लगातार उड़ते रहते हैं और टैंक व सैन्य वाहन गश्त करते दिखते हैं। इस्राइल का कहना है कि उसकी मौजूदगी अस्थायी है और इसका मकसद हमलों को रोकना है, लेकिन उसने यह नहीं बताया कि वह कब वापस जाएगा। सुरक्षा समझौते को लेकर बातचीत भी अब तक बेनतीजा रही है।
लेबनान और गाजा की आशंका
सीरिया के लोग इस्राइल की मंशा को लेकर इसलिए भी चिंतित हैं, क्योंकि पड़ोसी लेबनान और गाजा में इस्राइल की सैन्य मौजूदगी अब भी जारी है। लेबनान में एक साल से ज्यादा समय पहले युद्धविराम होने के बावजूद इस्राइल कुछ पहाड़ी इलाकों पर काबिज है और लगातार हवाई हमले करता रहता है। गाजा में भी इस्राइल और हमास के बीच संघर्ष के बाद बफर जोन बनाने की योजना है। इससे सीरियाई नागरिकों को डर है कि दक्षिणी सीरिया में भी इस्राइल स्थायी रूप से कब्जा कर सकता है। कतर के दोहा में हुई एक बैठक में राष्ट्रपति अल-शारा ने कहा कि इस्राइल काल्पनिक खतरों का बहाना बनाकर आक्रामक कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस्राइल का पीछे हटना ही दोनों देशों की सुरक्षा का रास्ता है।
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सीरिया की अंदरूनी मुश्किलें
असद के हटने के बाद सीरिया की नई सरकार कई चुनौतियों से जूझ रही है। उत्तर-पूर्व में कुर्द प्रशासन से समझौता नहीं हो पाया है। दक्षिणी स्वेइदा प्रांत में द्रुज समुदाय और बेदुइन कबीलों के बीच हिंसा के बाद हालात और बिगड़े हैं। सरकारी बलों पर आरोप है कि उन्होंने हिंसा में बेदुइन पक्ष का साथ दिया, जिसमें सैकड़ों द्रुज नागरिक मारे गए। इस्राइल खुद को द्रुज समुदाय का रक्षक बताता है, लेकिन सीरिया के कई द्रुज इस्राइल की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस्राइल की रणनीति खतरनाक है और यह सऊदी अरब, तुर्किये, मिस्र और यहां तक कि अमेरिका की सोच से भी मेल नहीं खाती, जो एक एकजुट और मजबूत सीरिया के पक्ष में हैं।
अमेरिका और इस्राइल में मतभेद
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इस्राइल दमिश्क से लेकर संयुक्त राष्ट्र बफर जोन तक एक निरस्त्र क्षेत्र चाहता है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका, इस नीति से सहमत नहीं दिखता। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस्राइल की कार्रवाई पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इस्राइल को सीरिया के साथ संवाद बनाए रखना चाहिए और ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जो सीरिया की स्थिरता में बाधा डालें।