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ISRO: इसरो के शिल्पकार, अंतरिक्ष विज्ञानी चिटनिस नहीं रहे, उपग्रहों के डिजाइन में हासिल थी महारत

एजेंसी, पुणे Published by: लव गौर Updated Thu, 23 Oct 2025 06:45 AM IST
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सार

इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. एकनाथ वसंत चिटनिस का 100 वर्ष की आयु में पुणे में निधन हो गया। पद्मभूषण से सम्मानित चिटनिस ने थुम्बा में पहले राकेट लांच के लिए स्थल चयन में अहम भूमिका निभाई। 

isro space scientist dr eknath vasant chitnis passed away in pune at 100
ISRO वैज्ञानिक डॉ. चिटनिस का 100 साल की उम्र में निधन - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रोफेसर एकनाथ वसंत चिटनिस का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया, वह 100 वर्ष के थे। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना में चिटनिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई की सलाह पर उन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान और एक्स-रे अनुसंधान के लिए अमेरिका स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) छोड़ दिया था। चिटनिस ने इसरो के लिए तिरुवनंतपुरम के थुंबा और आंध्र प्रदेश के तट पर श्रीहरिकोटा में लॉन्चपैड स्थानों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह 1980 के दशक के मध्य में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए। 
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चिटनिस ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और दो दशकों तक निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशक रहे। उनका सबसे उल्लेखनीय योगदान 1975-76 में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (एसआईटीई) के माध्यम से था। यह नासा के एटीएस-6 उपग्रह का उपयोग करके छह राज्यों के 2,400 गांवों तक पहुंची।

पद्मभूषण से सम्मानित
वे 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (ऐआईएनसीओएसपीएआर) के सदस्य सचिव बने। यही संगठन बाद में ईसरो बना। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह शृंखला के उपग्रहों के डिजाइन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए काफी काम किया। विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में चिटनिस के योगदानों को 1985 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
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