{"_id":"690077dca661f5f92200daee","slug":"karnataka-high-court-has-stayed-the-state-government-order-required-private-organizations-to-seek-permission-r-2025-10-28","type":"story","status":"publish","title_hn":"Karnataka: संघ की गतिविधियों पर रोक लगाने की कर्नाटक सरकार की कोशिशों को झटका, हाईकोर्ट ने आदेश पर लगाई रोक","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Karnataka: संघ की गतिविधियों पर रोक लगाने की कर्नाटक सरकार की कोशिशों को झटका, हाईकोर्ट ने आदेश पर लगाई रोक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,बंगलूरू
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 28 Oct 2025 01:30 PM IST
विज्ञापन
सार
याचिका दायर करने वाले संगठन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अशोक हरनहल्ली ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार का आदेश संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है।
कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला
- फोटो : ANI
विज्ञापन
विस्तार
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को झटका देते हुए उसके एक आदेश पर रोक लगा दी है। दरअसल इस आदेश के तहत कर्नाटक सरकार ने निजी संगठनों को सरकारी परिसरों और सार्वजनिक जगहों, सड़कों आदि पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से प्रशासन की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था। कर्नाटक सरकार के इस आदेश को संघ की गतिविधियों को राज्य में बाधित करने के तौर पर देखा जा रहा था। हालांकि अब कर्नाटक उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।
याचिकाकर्ता का दावा- सरकार का आदेश मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा
राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ 'पुनशचैतन्य सेवा समस्थे' नामक संगठन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 17 नवंबर तक टाल दी है। याचिका दायर करने वाले संगठन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अशोक हरनहल्ली ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार का आदेश संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। वकील ने कहा कि 'सरकार का आदेश है कि 10 से ज्यादा लोगों को भी इकट्ठा होने के लिए सरकार की मंजरी लेनी होगी। यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। यहां तक कि अगर किसी पार्क में कोई समारोह होता है तो सरकार के इस आदेश के अनुसार, वह भी अवैध होगा।'
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 'जब पुलिस कानून लागू है तो फिर ऐसे आदेश की जरूरत क्यों पड़ी? सरकार इस तरह के प्रशासनिक आदेश जारी नहीं कर सकती।' इस पर राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने जवाब देने के लिए एक दिन का समय मांगा। इस पर उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि इस आदेश से कर्नाटक सरकार संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) और 19 (1)(बी) के तहत मिले अधिकारों को छीन रही है।
ये भी पढ़ें- Maharashtra: सरकार ने चीनी संस्थान के फंड की जांच के दिए आदेश; रोहित पवार का दावा- बारामती को बना रहे निशाना
क्या था कर्नाटक सरकार का आदेश
कर्नाटक सरकार ने प्रदेश की किसी भी सरकारी संपत्ति या परिसर में निजी संगठनों के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया था। नए नियमों के तहत सार्वजनिक जगहों, सड़कों और सरकारी परिसरों में बिना अनुमति के 10 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने, पथ संचलन करने या शाखा लगाने पर रोक लगा दी थी। आदेश के अनुसार, इस विनियमन का उद्देश्य भूमि, भवन, सड़क, पार्क, खेल के मैदान और जलाशयों सहित सार्वजनिक संपत्तियों का संरक्षण, सुरक्षा और उचित उपयोग सुनिश्चित करना बताया गया।
भाजपा ने कहा- फैसले से कर्नाटक सरकार का मुंह बंद हुआ
कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि 'यह सिद्धारमैया सरकार, प्रियांक खरगे के लिए बड़ा झटका है। ये बीते कुछ हफ्तों से आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा कर रहे थे। अब उच्च न्यायालय के इस आदेश से राज्य सरकार का मुंह बंद होगा क्योंकि आज न्याय हुआ है।'
याचिकाकर्ता का दावा- सरकार का आदेश मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा
राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ 'पुनशचैतन्य सेवा समस्थे' नामक संगठन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 17 नवंबर तक टाल दी है। याचिका दायर करने वाले संगठन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अशोक हरनहल्ली ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार का आदेश संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। वकील ने कहा कि 'सरकार का आदेश है कि 10 से ज्यादा लोगों को भी इकट्ठा होने के लिए सरकार की मंजरी लेनी होगी। यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। यहां तक कि अगर किसी पार्क में कोई समारोह होता है तो सरकार के इस आदेश के अनुसार, वह भी अवैध होगा।'
विज्ञापन
विज्ञापन
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 'जब पुलिस कानून लागू है तो फिर ऐसे आदेश की जरूरत क्यों पड़ी? सरकार इस तरह के प्रशासनिक आदेश जारी नहीं कर सकती।' इस पर राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने जवाब देने के लिए एक दिन का समय मांगा। इस पर उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि इस आदेश से कर्नाटक सरकार संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) और 19 (1)(बी) के तहत मिले अधिकारों को छीन रही है।
ये भी पढ़ें- Maharashtra: सरकार ने चीनी संस्थान के फंड की जांच के दिए आदेश; रोहित पवार का दावा- बारामती को बना रहे निशाना
क्या था कर्नाटक सरकार का आदेश
कर्नाटक सरकार ने प्रदेश की किसी भी सरकारी संपत्ति या परिसर में निजी संगठनों के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया था। नए नियमों के तहत सार्वजनिक जगहों, सड़कों और सरकारी परिसरों में बिना अनुमति के 10 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने, पथ संचलन करने या शाखा लगाने पर रोक लगा दी थी। आदेश के अनुसार, इस विनियमन का उद्देश्य भूमि, भवन, सड़क, पार्क, खेल के मैदान और जलाशयों सहित सार्वजनिक संपत्तियों का संरक्षण, सुरक्षा और उचित उपयोग सुनिश्चित करना बताया गया।
भाजपा ने कहा- फैसले से कर्नाटक सरकार का मुंह बंद हुआ
कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि 'यह सिद्धारमैया सरकार, प्रियांक खरगे के लिए बड़ा झटका है। ये बीते कुछ हफ्तों से आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा कर रहे थे। अब उच्च न्यायालय के इस आदेश से राज्य सरकार का मुंह बंद होगा क्योंकि आज न्याय हुआ है।'