Suresh Gopi: केरल में सत्तारूढ़ CPM पर भड़के केंद्रीय मंत्री बोले- मेरे अंदर की आग बुझ नहीं सकती; जानिए मामला
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से उपजे विवाद पर सफाई दी है। उन्होंने केरल की सत्ताधारी पार्टी- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) पर तुच्छ सियासत करने के आरोप लगाए हैं। विवाद एक बुजुर्ग के घर बनाने की अपील को कथित तौर पर ठुकराने के बाद उपजा। जानिए क्या है पूरा मामला

विस्तार
अभिनेता से नेता बने भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने केरल की सत्तारूढ़ पार्टी- सीपीआईएम पर अनजाने में हुई गलतियों को तूल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उनके खिलाफ राजनीतिक लाभ उठाने की ताक में हैं। गोपी ने कहा, 'अनजाने में हुई गलतियों' को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। बता दें कि यह विवाद बीते 12 सितंबर को सामने आया था। गोपी ने अपने संसदीय क्षेत्र- त्रिशूर लोकसभा में रहने वाले एक बुजुर्ग- वेलायुधन की मदद करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया था। खबरों के मुताबिक बुजुर्ग ने भाजपा सांसद से घर बनाने में सहायता मांगी थी।

किस घटना पर हो रहा विवाद, केंद्रीय मंत्री गुस्से में क्या बोले?
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद गोपी की आलोचना होने लगी। इसी बीच प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी- CPI(M) वेलायुधन के पास पहुंची और उसके लिए घर बनाने की पेशकश कर दी। बुधवार को इस संबंध में सवाल पूछे जाने पर गोपी ने कहा, उन्हें खुशी है कि वेलायुधन को घर मिल रहा है, लेकिन इस मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास हो रहा है। सीपीएम को आड़े हाथों लेते हुए गोपी ने कहा, 'वे लोग चाहे जितना राजनीतिक अभियान चलाएं, लेकिन मेरे भीतर की आग कभी बुझाई नहीं जा सकती।'

केंद्रीय मंत्री गोपी का जवाब
लोगों से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री गोपी ने मुख्यमंत्री पिनारई विजयन नीत सरकार की पार्टी- सीपीआईएम पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'अब मैं ऐसे और लोगों की सूची बना रहा हूं हैं जिन्हें घर की ज़रूरत है, इसका ब्योरा वे सत्ताधारी पार्टी को भेजेंगे।' उन्होंने चुनौती भरे अंदाज में कहा कि पार्टी को ऐसे सभी जरूरतमंद लोगों की मदद करने का साहस दिखाना चाहिए।
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फेसबुक पर भी दे चुके हैं सफाई
बुधवार को अपने जवाब से पहले सोमवार को गोपी ने अपने फेसबुक पोस्ट में बुजुर्ग की मदद न करने का कारण बताया था। उन्होंने लिखा था, मदद की अपील इसलिए स्वीकार नहीं की गई क्योंकि वे ऐसे वादे कभी नहीं करते जिन्हें पूरा नहीं किया जा सके। बकौल सुरेश गोपी, 'ऐसी याचिकाओं पर विचार करना राज्य सरकार का काम है। लोगों को झूठी उम्मीदें देना मेरी कार्यशैली नहीं है।'