Khabaron Ke Khiladi: ट्रंप के टैरिफ से कैसे निपटेगा भारत? ‘खबरों के खिलाड़ी’ ने इसे बताया आपदा में अवसर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत पर 25 फीसदी के सामान्य आयात शुल्क के ऊपर जुर्माने के तौर पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान कर दिया। सामान्य टैरिफ आज से प्रभावी हो गया, वहीं 25 फीसदी अतरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा।
विस्तार
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25 फीसदी टैरिफ और उसके बाद जुर्माने के रूप में 25 के अतरिक्त टैरिफ की चर्चा जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले से भारत कैसे निपटेगा, आगे क्या रास्ता हो सकता है? अमेरिका का भारत के प्रति रुख पहले कैसे रहा है? कुछ इसी तरह के सवालों पर इस हफ्ते ‘खबरों के खिलाड़ी’ में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, राकेश शुक्ल, अवधेश कुमार और राजकिशोर मौजूद रहे।
रामकृपाल सिंह: ट्रंप ने एक बात कही थी कि हम सिर्फ चार फीसदी हैं और हम बहुत कुछ करते हैं। इसी पर मैं कहता हूं कि क्या चार फीसदी आबादी 96 फीसदी आबादी का भविष्य तय करेगी। यूक्रेन रूस युद्ध का कारण क्या है? सोवियत संघ के विघटन के बाद उससे अलग हुए देशों को आप नाटो का सदस्य बनाते जा रहे थे। यूक्रेन को भी आप उसमें शामिल करने की तैयारी में थे। आपने रूस को लोगों को मरवाया और आप रूस पर आरोप लगा रहे हैं। ट्रंप दो चीजों से चिढ़ गए, पहली- जो युद्ध विराम वाला उनका झूठ उनका सामने आया और दूसरी- जो भारत ने दुनियाभर का डेटा जारी किया। जिसमें सभी रूस से तेल खरीदने वालों की सूची थी।
राकेश शुक्ल: अमेरिका अंदर से डरा हुआ है। अभी तक अमेरिका ने जिसका साथ दिया, वो हारा है। उसे आंतरिक विद्रोह का भी खतरा मंडरा रहा है। अगर टैरिफ के चलते अमेरिका में आने वाला समाना महंगा हुआ तो ये विद्रोह बड़ा हो जाएगा। भारत ने उनकी मनमानी के हिसाब से ट्रेड समझौता नहीं कर रहा है और न ही करेगा। इसलिए वो धमका रहे हैं।
राजकिशोर: भारत के पुरुषार्थ पर जब कोई हमला करता है तो वो पूरी ताकत से उसका प्रतिकार करता है। ये देश जय जवान-जय किसान का देश है। ट्रंप ने दोनों पर चोट करने की कोशिश की। पहले उन्होंने हमारे जवानों के शौर्य पर प्रश्न चिह्न खड़ा करने कोशिश की, फिर किसानों के पुरुषार्थ पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की। ट्रंप यहां पर रुकने वाले नहीं हैं। हमारे सामने चुनौती बहुत बड़ी है। इंदिरा गांधी गेहूं लेने गईं थीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंतजार करा दिया। इसके बाद देश में हरित क्रांति हुई।
अवधेश कुमार: इसका असर होना है। ये कोई साधारण स्थिति नहीं है। हम करीब 88 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका को करते हैं। हम जिन चीजों का निर्यात करते हैं, उसके विकल्प अमेरिका के पास मौजूद हैं। इसका असर तो होना है। हमारे पास जो विकल्प हैं, उनसे अमेरिका की भरपाई मुश्किल है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था को ठीक करने की जरूरत है। इससे मुकाबले के लिए भारत को अपने तीर्थ और पर्यटन को बढ़ावा देना होगा। दूसरा एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देना होगा।
विनोद अग्निहोत्री: अमेरिका का हर राष्ट्रपति ये करता है। ट्रंप बस थोड़े बड़बोले हैं। ये आज की बात नहीं हैं। 1971 में पाकिस्तानी सेना इतना खून खराबा पूर्वी पाकिस्तान में कर रही थी, तब उनका सारा मानवाधिकार कहां चला गया था। अमेरिका ऐसी अमरबेल है कि वो जिस पेड़ पर चढ़े वो पेड़ सूख जाए। ट्रंप इस गलतफहमी में है कि भारत झुक जाएगा।
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